Gwalior.. डीजीपी के शपथपत्र से हुआ खुलासा … सागर फोरेंसिक लैब में अनफिट किट से किए गए डीएनए टेस्ट
न्यायालय में बीते दिनों जिन डीएनए रिपोर्ट्स के आधार पर व्यक्ति को दोषी या निर्दोष माना गया। वह डीएनए जांच अनफिट किट से की गई थीं।
न्यायालय में बीते दिनों जिन डीएनए रिपोर्ट्स के आधार पर व्यक्ति को दोषी या निर्दोष माना गया। वह डीएनए जांच अनफिट किट से की गई थीं। इसका खुलासा स्वयं मप्र के डीजीपी विवेक जौहरी ने हाई कोर्ट में दिए शपथ पत्र में किया। उन्होंने बताया कि सागर स्थित फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में किए गए औचक निरीक्षण में इस बात का खुलासा हुआ। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले में डीजीपी को फिर से जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। एडवोकेट अजय निरंकारी ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।
दरअसल, दतिया जिले के पुलिस थाना सेवढ़ा में हरिओम के खिलाफ दुष्कर्म का प्रकरण दर्ज किया गया। इस मामले में उसे 18 नवंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। जब आरोपी ने जमानत याचिका दायर की तो कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कई बार अवसर देने के बाद भी जब डीएनए रिपोर्ट पेश नहीं हुई तो कोर्ट ने सागर लैब की निदेशक से जवाब मांगा। तब जाकर खुलासा हुआ कि लैब में किट, केमिकल और अन्य सामान की कमी के कारण रिपोर्ट तैयार करने में देरी हो रही है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने जब डीजीपी से स्पष्टीकरण मांगा तो उन्होंने एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (पीटीआरआई) पुलिस मुख्यालय से जांच कराई। उनके आदेश पर 11 व 20 नवंबर 2021 को औचक निरीक्षण किया गया, जिसमें ऑटोसोमल एसटीआर और वाय-एसटीआर किट मिलीं। 24 दिसंबर को उन्हें जब्त कर जांच के लिए भेज दिया गया। इसमें खुलासा हुआ कि ये किट डीएनए टेस्ट करने के लिए अनफिट है।
लैब की तत्कालीन निदेशक को नोटिस
इस मामले में लैब की तत्कालीन डायरेक्टर हर्षा सिंह की मुसीबतें बढ़ती दिख रही हैं। डीजीपी ने हाई कोर्ट में दिए शपथ पत्र में स्वीकार किया कि डायरेक्टर ने कोर्ट को किट सहित अन्य जरूरी सामान खत्म होने पर की गई कार्रवाई के संबंध में गलत जानकारी दी। इस पर कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा- क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए? कोर्ट ने इसके संबंध में पृथक से केस दर्ज करने का निर्देश दिया है। इसकी सुनवाई सात फरवरी को होगी।