BYJU’s से लाखों का ऑफर छोड़ हिसार के युवा ने शुरू किया शहद का बिजनेस; सालाना 20 लाख की कमाई
सक्सेसफुल लाइफ के लिए किसी बड़े शहर की बड़ी कंपनी में काम करना जरूरी नहीं है। छोटी जगह पर नए काम के साथ भी इसकी शुरुआत की जा सकती है। कुछ इसी सोच से साथ हिसार के श्री नारायण ने मुंबई में लाखों की नौकरी छोड़ अपने शहर हिसार आकर ‘अद्वैतम फूड्स’ नाम से शहद (honey) का स्टार्टअप शुरू किया।
श्री नारायण ने मात्र 80 हजार से काम शुरू किया था। अब वे सालाना 20 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। वे सीधे किसानों से शहद खरीदते हैं। इससे फायदा यह हुआ कि जो किसान पहले शहद एक्सट्रैक्ट करने के बाद महीनों तक खरीदारों का इंतजार करते थे, उन्हें अब अपने प्रोडक्ट के अच्छे पैसे मिल रहे हैं। श्री नारायण किसानों के अलावा सेल्फ हेल्प ग्रुप की कई महिलाओं को भी रोजगार दे रहे हैं।
आज की पॉजिटिव खबर में जानते हैं श्री नारायण की कामयाबी की कहानी, जो बिजनेस शुरू करने करने वाले युवाओं के लिए रोडमैप का काम करेगी …
बचपन काफी कठिनाई में बीता
26 साल के श्री नारायण हरियाणा के हिसार के रहने वाले हैं। उनका बचपन बड़ी मुश्किलों में बीता। जब वे महज 11 साल के थे, तब एक रोड एक्सीडेंट में उनके पिता की मौत हो गई। तब से लेकर अब तक उनकी बड़ी बहन वर्षा महर ही उनकी मार्गदर्शक रही हैं।
दैनिक भास्कर से बात करते हुए श्री नारायण कहते हैं, “मेरा बचपन काफी मुश्किलों में गुजरा है। छठी क्लास से मेरे पापा का साथ छूट गया। पारिवारिक कारणों की वजह से मैं अपने पैरों पर जल्द से जल्द खड़ा होना चाहता था। हमेशा से मेरा इंटरेस्ट नौकरी से ज्यादा बिजनेस में रहा है। मेरी बड़ी बहन मुझे हमेशा जिंदगी में कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करती रही हैं।”
बिजनेस शुरू करने को लेकर जब श्री नारायण ने अपनी बहन से बात की, तो उन्होंने समझाया कि बिजनेस की शुरूआत से पहले उसकी पढ़ाई करना जरूरी है। श्री नारायण कहते हैं, “मैं ग्रेजुएशन के बाद ही रेस्टोरेंट ओपन करना चाहता था, लेकिन बहन के कहने पर मैंने आगे पढ़ाई की। कॉलेज में अच्छा एक्सपोजर और फैकल्टी दोनों का साथ मिला। उनके गाइडेंस से ही मैंने खुद का स्टार्टअप करने का मन बनाया।”
पढ़ाई के दौरान मिला स्टार्टअप का आइडिया
श्री नारायण ने बीकॉम के बाद MBA की पढ़ाई जयपुर के तक्षशिला बिजनेस स्कूल से की। MBA करने के दौरान वे कई वर्कशॉप और ट्रेनिंग में शामिल हुए। उस दौरान उन्हें अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट्स से पता चला कि नौकरी के बजाय एग्रीकल्चर में ज्यादा फायदा है। तब उन्होंने तय किया कि वो खुद का बिजनेस ही करेंगे। जहां कमाई के साथ सुकून भी रहेगा। 2019 में पास आउट होने के बाद उन्होंने अपनी पर्सनल सेविंग्स से ‘अद्वैतम फूड्स’ कंपनी की शुरुआत की। इसके जरिए वो वैल्यू एडेड शहद प्रोडक्ट्स का बिजनेस कर रहे हैं।
लाखों का ऑफर ठुकराकर चुना बिजनेस
श्री नारायण कहते हैं, “MBA के तुरंत बाद ही मुझे बायजूस से 10 लाख का ऑफर आया, लेकिन मैंने सोचा की अगर जॉब किया तो बिजनेस नहीं कर पाऊंगा। फिर ऑफर को मना करके मैंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। अपनी सेविंग से सिर्फ 80 हजार रुपए की लागत से वैल्यू एडेड शहद का बिजनेस शुरु कर दिया। हालांकि शुरुआती दौर काफी मुश्किल भरा रहा। तब मेरे पास न तो एक्सपीरिएंस था, न ही अच्छी टीम। कॉलेज की किताबों से रियल लाइफ सिचुएशन काफी अलग होती है।”
कोरोना में दूसरे लोगों की तरह श्री नारायण को भी बिजनेस में काफी नुकसान हुआ, लेकिन वे जुटे रहे। अब उनकी टीम में 3 परमानेंट कर्मचारी हैं। वहीं, प्रोडक्ट की पैकेजिंग के लिए वे सेल्फ हेल्प की 7 से 8 महिलाओं को भी रोजगार देते हैं।
हनी का बिजनेस ही क्यों चुना?
पहले ही मार्केट में हनी के कई ब्रांड मौजूद हैं। फिर बिजनेस के लिए हनी को ही क्यों चुना? ये पूछने पर श्री नारायण कहते हैं, “एडिशनल वैल्यू के कारण हनी की जरूरत लोगों को हमेशा पड़ती रहती है। सर्दी-खांसी जैसी सामान्य बीमारियों के अलावा हनी इम्यूनिटी को भी बेहतर करता है। ये तब ही पॉसिबल है, जब हनी प्योर हो। मार्केट में मिलने वाले हनी के ज्यादातर ब्रांड मिलावटी हैं। इसकी डिमांड को देखते हुए ही मैंने इस बिजनेस को चुना।”
मार्केट में हनी के वैल्यू एडिशन वाले प्रोडक्ट यानी हनी से बनाने वाले दूसरे प्रोडक्ट की ज्यादा रेंज उपलब्ध नहीं है, इस वजह से भी श्री नारायण को इस फील्ड में बेहतर संभावनाएं दिखाई दीं। वे हनी के 7 से 8 वैल्यू एडेड प्रोडक्ट तैयार करते हैं, जिनमें हनी विद कैरेमल, हनी विद पीनट बटर, कैंडी विद हनी, हनी कुकीज शामिल हैं।
वे शहद में काली मिर्च पाउडर, पिप्पली जैसे औषधीय तत्व मिलाकर सितोपलादि चूर्ण भी बनाते हैं, जो खांसी, जुकाम, बुखार जैसी कई बीमारियों में कारगर है। ये प्रोडक्ट्स हरियाणा के अलावा राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई राज्यों में सुपर स्टोर्स में बिकते हैं। अब अपने प्रोडक्ट्स को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ले जाने के वे आयुष मंत्रालय के साथ जल्द ही काम करने की योजना बना रहे हैं।
रॉ हनी कहां से लाते हैं ?
श्री नारायण को बिजनेस के लिए बड़े पैमाने पर हनी की जरूरत होती है। वे तकरीबन 70-80 क्विंटल हनी हर तीन महीने इकट्ठा करते हैं। जिसके लिए कई बी कीपर (मधुमक्खियां पालने वाले) या किसान और फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन से जुड़े हैं।
श्री नारायण कहते हैं, “मैं हरियाणा के तीन-चार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन और 8 से 10 किसानों से जुड़ा हुआ हूं। वे हर महीने या दो महीने में हनी इकट्ठा करके मुझे बेचते हैं। इस शहद की मेरी यूनिट में प्रोसेसिंग होती है। पैकेजिंग यूनिट भी मेरी अपनी ही है। सभी प्रोडक्ट्स को बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग में पैक किया जाता है। सबसे बड़ी बात ये है हमारे किसी प्रोडक्ट में न कोई केमिकल का इस्तेमाल होता है न ही किसी प्रिजर्वेटिव का।”
श्री नारायण के अनुसार वे किसानों से शहद थोक में खरीदते हैं, जिससे उन्हें काफी फायदा होता है। किसानों को कभी अपना शहद बेचने में सालों लग जाता था, लेकिन अब उन्हें लगातार इनकम होती है, जिससे उन्हें अच्छा-खासा फायदा होता है।
इंटरेस्ट है तो बिजनेस सक्सेसफुल होगा
वैसे तो हर काम के लिए आपका इंटरेस्ट होना जरूरी चाहे वो जॉब हो या कोई बिजनेस। श्री नारायण अपने अनुभव बताते हुए कहते हैं, “मैं जब यह जान गया की हनी प्रोडक्ट्स में ही मेरा इंटरेस्ट है, तब मैंने इस पर काफी रिसर्च किया। रिसर्च में ही मुझे हनी प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई के बारे में समझ आया। फिर मैं फूड इंडस्ट्री से जुड़े काफी लोगों से मिला और उनके अनुभवों के बारे में जाना। उसके बाद मैंने टेस्ट डेवलपमेंट पर पैकेजिंग पर खास ध्यान दिया।”
नारायण कहते हैं, “लोगों को आपके प्रोडक्ट का टेस्ट अच्छा लगेगा, तभी वो प्रोडक्ट खरीदना पसंद करेंगे। फिर मैंने पैकेजिंग पर भी ध्यान दिया। जिस तरह की हनी या हनी प्रोडक्ट की पैकेजिंग मैं कर रहा हूं, उस तरह के पैक मार्केट में अभी अवेलेबल नहीं है। आज के समय में अवसरों की कमी नहीं है, न ही जॉब करना मजबूरी है। अपने इंटरेस्ट को पहचानकर आगे बढ़ें। अगर बिजनेस करना चाहते हैं, तो अपने फायदे के साथ दूसरे के फायदे के बारे में भी सोचें। इस तरह पैसा कमाने के साथ आप समाज में भी अपना योगदान दे सकेंगे।”