ताने मारने से बिखरते रिश्ते:ऐसा हथियार जो संबंध बिगाड़कर घर तोड़ दे
हर रिश्तों में प्यार और तकरार तो होती ही है। रूठने-मनाने का सिलसिला हर रिश्ते को खास बनाता है। इससे इतर अगर रिश्ते में ताने मारने की आदत लग जाए, तो सम्बन्धों खटास आते देर नहीं लगती। एक-दूसरे को नीचा दिखाने या आरोप लगाने की वजह से व्यक्ति और रिश्ता किस तरह प्रभावित होता है बता रहे हैं लाइफ कोच पीयूष भाटिया, सायकेट्रिस्ट डॉ. अवनि तिवारी और डॉ. धर्मेन्द्र सिंह।
रिश्ता टूटने में देर नहीं लगती
लाइफ कोच पीयूष भाटिया कहती हैं कि गलती एक बार या दो बार हो सकती है। किसी को हर बात पर ताने देना या नीचा दिखाने की बार-बार की आदत को गलती नहीं गुस्ताखी माना जाना चाहिए। कभी किसी को तंज के तौर पर कही बात उसको उसकी गलती महसूस कराने के लिए भी कही जाती है। कई बार लोग कटाक्ष का इस्तेमाल अपनी बात समझाने के लिए भी करते हैं, लेकिन इस तरह का व्यवहार रिश्तों में ज्यादा नहीं चल पाता। अपनी नाराजगी के दौरान किसी को उल्टा-सीधा कह देने के बाद हर बार माफी मांगने की आदत पर जरूरी नहीं है कि माफी मिल ही जाए। कई बार ऐसा होता है कि सामने वाला व्यक्ति बुरी तरह आहत हो जाता है और वो रिश्ते में झूठ बोलना, बातें छुपाना, इज्जत न करना, प्यार न जताने जैसी चीजें शुरू कर सकता है। इसलिए ताना देने वाले इंसान को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी रिश्ते में कोशिश के आखिरी मौके को छूटने में देर नहीं लगती।
कोई किसी पर तंज क्यों कसता है?
जिन्हें हम बेहद प्यार करते हैं, लड़ाई और बहस भी उन्हीं से होती है। नाराजगी के बीच कड़वे शब्दों का इस्तेमाल करना न सिर्फ सामने वाले को बुरा महसूस करवाता है, बल्कि रिश्ते को भी कमजोर करता है। डॉ. अवनि तिवारी कहती हैं कि लोग ताने तभी मारते हैं, जब खुद किसी बात से चिढ़े होते हैं। ऐसी स्थिति में किसी कि छोटी सी बात या गलती भी उनका मन खट्टा कर देती है। जैसे किसी से कोई समान लाने को कहा जाए और सामने रखे होने के बावजूद उसे यह दिखाई न दे, तो उसे सुनने को मिलता है ‘ तुम्हें दिखता ही क्या है?’ खराब मूड की वजह से भी कहे गए शब्द ही ताना बनकर दूसरे को चोट पहुंचाते हैं, झगड़े की वजह बनते हैं। लंबे समय तक स्थिति ऐसी बनी रही, तो रिश्ते के टूटने का डर भी बना रहता है।
एक ही तरह का रवैया बार-बार दोहराने से रिश्ते की तवज्जो कम कर देगा
डॉ. धर्मेन्द्र सिंह कहते हैं कि एक ही तरह का रवैया बार-बार करने से व्यक्ति की अहमियत कम हो जाती है। कोई शख्स अलग-अलग बातों पर नाराज होकर तंज कसने को ही अपना हथियार बना ले, तो एक समय बाद उसकी बातों को तवज्जो मिलनी बंद हो जाती है। कई बार लोग बदतमीजी और खुदगरजी में भी कड़वे शब्द बोल जाते हैं। बुरा तब लगता है, जिन रिश्तों से आप ऐसे कड़वे शब्दों की उम्मीद नहीं करते। ताने देने वाला व्यक्ति बाद में सफाई के तौर पर कहता है, ‘मुझे गुस्सा आ गया था या मेरे कहने का वो मतलब नहीं था।’ जबकि असलियत में दोनों लोग एक दूसरे की मानसिकता और कही गई बातों का मतलब जानते हैं। ये बातें रिश्ते को बिगाड़ती हैं।