इंदौर … सिकलीगरों ने खोला राज- माचिस की तीली और ट्यूब के वॉल से बना रहे कारतूस, 8 घंटे में कट्‌टा तैयार

खरगोन, बड़वानी और बुरहानपुर सहित आसपास के अवैध हथियारों के कारोबार से जुड़े सिकलीगर अब सिर्फ कट्‌टे और पिस्टल ही नहीं, बल्कि कारतूस भी बनाने लगे हैं। बड़वानी के पास अंजड़ से पकड़ाए तेजपाल भाटिया और जसपाल सिंह दांगी ने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इनका कहना है कि वे ट्रैक्टर व ट्रक के टायर की पीतल की वॉल से 9 मिमी पिस्टल के लिए कारतूस बना रहे हैं।

इसके लिए माचिस की तीली और पटाखों के बारूद का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिन्हें देश के 19 प्रदेशों के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश तक भेजा जा रहा है। इन्होंने स्वीकार किया है कि यूपी, पंजाब सहित पांच प्रदेशों में होने वाले चुनाव को लेकर अवैध हथियारों की मांग बढ़ गई है। वे 8 से 10 घंटे में एक पिस्टल (7.62 एमएम और 7.65 एमएम की) तैयार कर देते हैं। इसके अलावा 9 एमएम का कट्‌टा भी बना देते हैं।

पंजाब व यूपी में चुनाव के कारण बढ़ी मांग

अवैध हथियार के कारोबार में लिप्त ये सभी आरोपी खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर और आसपास के जिलों के हैं। इनमें से कुछ अभी जेल में हैं और कुछ फरार।

गांव-गांव में बना रहे हथियार

आरोपियों ने कबूल किया है कि खरगोन, बड़वानी और बुरहानपुर के सिंगनूर, काजलपुरा, भगवानपुरा, सतीपुरा, झिरनिया, उमरटी, पलसूद, गंधवानी, गोगांव, पाचौरी और खकनार में ये हथियार बनाए जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के एजेंट भी यहां से हथियार ले जाते हैं।

इन गांवों के युवा सिकलीगर दर्जनों बार पुलिस के हाथ लगे हैं, लेकिन जमानत पर छूटते ही रोजगार न होने से ये दोबारा इसी काम में जुट जाते हैं। 20 से 22 साल का एक सिकलीगर 8 से 10 घंटे में एक हथियार तैयार कर देता है। 20 वर्षीय तेजपाल 32 बोर का कट्‌टा व उसका कारतूस बना लेता है। ये भीकन गांव खरगोन थाने से पैरोल पर छूटा था, तब से फरार है।

चिंताजनक है कि ये कारतूस भी बना रहे

जिन दो सिकलीगरों को पकड़ा है, उनसे 200 कारतूस मिले हैं। ये इन्होंने खुद बनाए हैं। इनसे क्राइम ब्रांच ने 200 से ज्यादा कट्‌टे व 88 अन्य हथियार जब्त किए हैं।
– निमिष अग्रवाल, डीसीपी, क्राइम ब्रांच

कारतूस की संख्या में अंतर से बढ़ रही मुसीबत

सूत्र बताते हैं कि यूपी में लाइसेंसी हथियार रखने वालों को 150 कारतूस की पात्रता है। सिकलीगर वहां के लोगों से हथियार के बदले कारतूस खरीद लेते थे। उनके हिसाब से कट्‌टे व पिस्टल बनाते थे। अब कारतूसों के खोल से सांचे बनाकर खुद कारतूस बना रहे हैं।

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