BHOPAL … क्यूब कंस्ट्रक्शन पर मेहरबानी:हमीदिया बिल्डिंग का काम 2018 में पूरा होना था, लेकिन 1034 दिन की देरी के बाद भी 44 करोड़ की पेनाल्टी पीडब्ल्यूडी ने माफ दी

हमीदिया अस्पताल की नई बहुमंजिला बिल्डिंग बना रही गुजरात के वडोदरा की कंपनी क्यूब कंस्ट्रक्शन पर पीडब्ल्यूडी की प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) की मेहरबानी का एक और मामला सामने आया है। दरअसल, 3 दिसंबर 2016 को कंपनी ने काम शुरू किया था। 2 दिसंबर 2018 को काम पूरा करना था, लेकिन 5 साल बाद भी अस्पताल अधूरा है।

बड़ी बात यह है कि पीआईयू के अफसरों ने इस लेटलतीफी के लिए कंपनी से 44 करोड़ रु. की पेनाल्टी वसूलने के बजाय माफ कर दी। मामले की शिकायत लोकायुक्त और संभागायुक्त भोपाल से की गई है, जिस पर संभागायुक्त ने 7 दिसंबर 2021 को पीआईयू के एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर (एपीडी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

कैग भी अतिरिक्त भुगतान पर सवाल उठा चुका

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में पीआईयू द्वारा क्यूब कंस्ट्रक्शन को 3.23 करोड़ रु. के अतिरिक्त भुगतान पर सवाल उठाए हैं। हालांकि इस पर डीपीई का कहना है कि अतिरिक्त सीमेंट के भुगतान के मामले में कैग की आपत्ति के बाद कांट्रेक्टर से बैंक गारंटी जमा करा ली गई है, साथ ही कैग के सामने इसे मंजूर करने की अपील की है।

ठेकेदार को दोषी नहीं ठहरा सकते

प्रोजेक्ट लेट होने पर पेनाल्टी लगाने की सिफारिश मैंने दो साल पहले की थी, लेकिन 5 महीने पहले पेनाल्टी माफी का आदेश सभी पक्षों को सुनने के बाद दिया है। आज की स्थिति में भी कंस्ट्रक्शन साइट पर विवादित हवा महल (ड्रग स्टोर) नहीं हटा है, जिसके हटे बिना प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सकता। इसके लिए जिम्मेदार आखिर कौन है? इसलिए प्रोजेक्ट में देरी के लिए पूरी तरह ठेकेदार दोषी नहीं ठहरा सकते हैं।– एसएल सूर्यवंशी, अतिरिक्त परियोजना संचालक (एपीडी), पीआईयू- पीडब्ल्यूडी

कॉन्ट्रैक्ट की शर्ताें को मनमर्जी तोड़ा- एपीडी ने पेनाल्टी रोकी, 40 करोड़ भुगतान भी कराया

आरटीआई दस्तावेजों के आधार पर हुई शिकायत के मुताबिक प्रोजेक्ट के कॉन्ट्रैक्ट की धारा 15 में लिखा है कि काम पूरा करने में कंपनी देर करती है तो उस पर प्रोजेक्ट लागत का 0.05% प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा। इसी धारा को आधार बनाते हुए डिवीजनल प्रोजेक्ट इंजीनियर ने 31 अगस्त 2021 तक कंपनी को 1034 दिनों की देरी का जिम्मेदार मानते हुए पेनाल्टी (प्रोजेक्ट कास्ट का 10%) लगाने का प्रस्ताव बनाकर पीआईयू के एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर (एपीडी) के पास भेजा, लेकिन उन्होंने फोर्स मेजर क्लॉज का उपयोग करते हुए काम की डेडलाइन 28 फरवरी 2022 तक बढ़ा दी और पेनाल्टी भी माफ कर दी।

इसके बाद कंपनी की 44 करोड़ रु. की डिपॉजिट मद में से 4 करोड़ रोककर शेष भुगतान करा दिए, जबकि एपीडी ने 11 दिसंबर 2019 को कंपनी पर पेनाल्टी लगाने की सिफारिश की थी। लेकिन, जब इसका प्रस्ताव आया तो कंपनी को देरी के लिए जिम्मेदार नहीं माना और पेनाल्टी माफ कर दी।

मामले में यह भी सामने आया है कि कंपनी को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए पीआईयू के अफसर लगातार कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें तोड़ते रहे और डेडलाइन व लागत दोनों बढ़ाते रहे। पीआईयू के डिवीजनल प्रोजेक्ट इंजीनियर विजय सिंह पटेल के मुताबिक निर्माण पूरा होने में अभी 3 से 4 महीने और लगेंगे।

तब कंपनी का दावा था- 399 करोड़ में पूरा करेंगे काम; अब तक 63 करोड़ ज्यादा खर्च

क्यूब कंस्ट्रक्शन ने सरकारी लागत से 2.61% कम दर पर टेंडर हासिल किया था। तब सरकार ने प्रोजेक्ट लागत का अनुमान 409.95 करोड़ रु. लगाया था, लेकिन कंपनी ने दावा किया था कि वो 399.25 करोड़ रु. में ही प्रोजेक्ट समय पर पूरा कर देगी। लेकिन, अब लागत बढ़कर 462.7 करोड़ रु. हो चुकी है।

अंतिम डेडलाइन 31 अगस्त 2021 तक इसके निर्माण पर 442.87 करोड़ रु. खर्च हो चुके थे यानी निर्धारित लागत से 43.62 करोड़ ज्यादा। इसके बाद दिसंबर 2021 को लागत 19.83 करोड़ रु. और बढ़ा दी गई। इसे अंतिम माना जाए तो ये प्रोजेक्ट सरकार को 63.46 करोड़ रु. महंगा पड़ चुका है यानी सरकार को इतने करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

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