विश्व कैंसर दिवस … डॉक्टर बोले- सबसे ज्यादा युवा आ रहे चपेट में, इन 10 बातों को कभी न करें नजरअंदाज
आमतौर पर कैंसर के प्रमुख कारण में तंबाकू उत्पादों का सेवन होता है। मगर, अब कैंसर के कारणों में गलत खानपान और अनियमित दिनचर्या भी शामिल हो गई है। यही वजह है कि कैंसर अब कम उम्र में लोगों को अपना शिकार बना रहा है। आगरा और आसपास के जिलों में कैंसर मरीजों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। अधिकांश मरीज कैंसर के शुरुआती लक्षण को पहचान नहीं पाते हैं और जब तक उनमें कैंसर के लक्षण पकड़ में आते हैं, तब तक कैंसर फैल चुका होता है।
खानपान की गलत शैली से बढ़ रहा बड़ी आंत का कैंसर
भारत में सबसे ज्यादा मुंह और गले के कैंसर रोगी मिलते हैं। मगर, अब बड़ी आंत में कैंसर के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। इस कैंसर के रोगियों में 18 से 30 साल तक के युवा भी शामिल हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की डाॅ. सुरभि गुप्ता का कहना है कि पिछले कुछ सालों में बड़ी आंत में कैंसर के रोगी बढ़े हैं। ऐसे मरीजों पर जब अध्ययन किया गया तो पता चला कि बड़ी आंत में कैंसर का बड़ा कारण गलत खानपान और अनियमित दिनचर्या है।
उन्होंने बताया कि आज के दौर में लोग फास्ट फूड और रिफाइंड आटा, तेल सहित अन्य पदार्थों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा खाने में हरी सब्जी और मोटे अनाज का प्रयोग नहीं हो रहा है। लोगों में शारीरिक श्रम की आदत कम हो रही है। इस कारण कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। इसके अलावा लंबे समय तक कब्ज रहना और कम पानी पीना भी कैंसर का एक कारण है। खाने में हरी सब्जी, फाइबर युक्त भोजन और चोकर वाले आटे का इस्तेमाल करें। व्यायाम जरूर करें।
10 साल में दोगुना हो गए कैंसर मरीज
डाॅ. सुरभि ने बताया कि पिछले 10 साल में मुंह, गला, ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या आगरा में दो गुनी हो गई है। इसके साथ फेफड़े और गुदा कैंसर के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। ब्रेस्ट कैंसर के मामलों ने महिलाओं के बच्चेदानी के मुंह के कैंसर को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि कैंसर रोग विभाग में हर साल 1500 नए मरीज आ रहे हैं। OPD में हर दिन 60 से 70 मरीज आते हैं। हर दिन 30 से 40 मरीजों की कीमोथैरेपी होती है।
तीसरी-चौथी स्टेज में पहुंच रहे मरीज
कैंसर रोग विशेषज्ञों का कहना है कैंसर की शुरुआत में हमारा शरीर संकेत देता है, लेकिन अधिकांश मरीज इन लक्षणों को समझ नहीं पाते हैं। बहुत से मरीज तो केवल इसलिए डॉक्टर के पास नहीं आते हैं कि कैंसर निकल आया तो क्या होगा। बाद में ऐसे मरीज जब आते हैं तो वो कैंसर की तीसरी या चौथी स्टेज होती है। अगर कैंसर की प्राइमरी और दूसरी स्टेज में भी इलाज मिल जाए तो मरीज ठीक हो जाते हैं।