योगीजी! इस हिंसा का जवाब कौन देगा?
पलायन-दंगों पर बोलने वाली भाजपा अपनी सरकार की हिंसा भूली, दलितों-CAA के मुद्दे पर जल उठा था वेस्ट UP….
विधानसभा चुनाव में कैराना पलायन और मुजफ्फरनगर के दंगों का मुद्दा गरमाया है। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद हापुड़ में धमकी भरा बयान दे चुके हैं। कहा था, ‘यह जो गर्मी है यह खत्म हो जाएगी। मैं मई माह में भी शिमला बना देता हूं’। केंद्रीय गृहमंत्री खुद अमित शाह कैराना में पलायन का मुद्दा उठा चुके हैं, उस क्षेत्र में प्रचार कर वोट मांग चुके हैं।
गुरुवार को सीएम योगी ने अपने 5 सालों के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। उस दौरान सीएम ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में यूपी में एक भी दंगा नही हुआ। उन्होंने बसपा और सपा सरकार के दंगों को भी याद दिलाया, लेकिन भाजपा सरकार पिछले पांच साल में यूपी में हुई तमाम हिंसा को भूल गई। 2 अप्रैल 2018 को पूरा वेस्ट यूपी दलित मुद्दे पर हिंसा में जल उठा। सीएए के विरोध में भी वेस्ट यूपी में हिंसा हुई। सहारनपुर के सब्बीरपुर की घटना और मेरठ में शांति मार्च के दौरान हुए बवाल पर चुप्पी साधी जा रही है।
2018 की हिंसा जो दलितों के मसले पर हुई
एससी/एसटी आरक्षण में संशोधन को लेकर 2 अप्रैल 2018 को हजारों की संख्या में दलित सड़कों पर उतार आए। मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़ और अन्य जिलों में भीड़ उग्र हो गई। मेरठ में दिल्ली देहरादून हाईवे पर कंकरखेड़ा पुलिस चौकी में सिपाहियों को बंद कर जिंदा जलाने का प्रयास किया गया। हाइवे पर बस फूंक दी गई। मेरठ में कचहरी में आगजनी की गई। इसमें एक युवक की गोली लगने से मौत हो गई। अंबेडकर चौक पर नौचंदी इंस्पेक्टर की जीप को आग के हवाले कर दिया गया। इस हिंसा में बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा समेत 205 लोगों को मेरठ में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
20 दिसंबर 2019 की हिंसा
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में 20 दिसंबर 2019 को हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए। इन लोगों का आक्रोश सरकार के खिलाफ था। मेरठ समेत प्रदेश के 18 जिलों में हिंसा हुई। मेरठ हापुड़ रोड पर पुलिस चौकी को फूंक दिया गया। वाहनों में आग लगा दी गई। लिसाड़ीगेट इलाके में डिवाइडर उखाड़ दिए गए। हिंसा में रैपिड एक्शन फोर्स के सिपाही और दरोगा को भी गोली लगी। पुलिस प्रशासन ने तर्क दिया था कि मेरठ में हिंसा के दौरान उपद्रवियों द्वारा की गई फायरिंग में उपद्रव करने वाले 5 लोगों की मौत हुई।
30 जून का शांति मार्च बवाल
30 जून 2019 का शांति मार्च बवाल भी कुछ ऐसा ही रहा। युवा एकता समिति के बैनर तले मेरठ में 3 हजार से अधिक लोगों ने बिना अनुमित के फैज-ए-आम कॉलेज में मॉब लिंचिग के विरोध में मीटिंग की। बाद में बिना अनुमित जुलूस निकाला गया। उग्र भीड़ ने दिल्ली रोड से बवाल शुरू किया और इंदिरा चौक पर तोड़फोड़ करते हुए पुलिस पर पथराव किया। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने लाठीचार्ज किया। इस घटना को लेकर भाजपा ने स्थानीय पुलिस प्रशासन पर कानून व्यवस्था न संभाल पाने का आरोप लगाया। इसके अगले ही दिन मेरठ के एसएसपी और आईजी रेंज को शासन ने हटा दिया था।
सहारनपुर की जातीय हिंसा
2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद 5 मई को यह पहली हिंसा थी। इसमें दलित और राजपूत आमने सामने आ गए। दलितों के घर जलाए गए। दोनों ही वर्गों के लोगों ने एक-दूसरे पर हमला बोला। इसके बाद सहारनपुर से लेकर वेस्ट यूपी में माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया गया। सहारनपुर में हुई इस जातीय हिंसा के बाद दलित वर्ग के नेताओं ने आरोप लगाया था कि प्रदेश सरकार एक वर्ग के इशारे पर काम कर रही है। इसी हिंसा में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर का नाम भी सुर्खियों में आया, जिसके बाद चंद्रशेखर को जेल जाना पड़ा।
भाजपा अपनी हिंसा भी याद दिलाए: सपा विधायक
सपा विधायक रफीक अंसारी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा सरकार दंगों की बात कर रही है। भाजपा सरकार में पांच साल में जो हुआ है वह भी बताया जाए। दलितों पर अत्याचार किए गए। पंडितों को मारा गया। किसानों को कुचला गया। ऐसा कोई वर्ग नहीं बचा जिस पर सरकार ने अत्याचार न किया हो। मेरठ में भाजपा सरकार ने कितने कॉलेज बनवा दिए। कितना विकास मेरठ का किया। कोरोना-काल में लाश तक फेंकी गईं।
सरकार ने पांच साल तानाशाही की: जाखड़
उत्तर प्रदेश जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष और आरएलडी नेता रोहित जाखड़ ने कहा कि भाजपा सरकार ने पांच साल तानाशाही की है। लखीमपुर में मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचला। हाथरस कांड में रेप पीड़िता के शव को पेट्रोल डालकर जलाया गया। सरकार ने लोगों पर खूब लाठीचार्ज कराए। प्रयागराज में हॉस्टलों के गेट तोड़कर पुलिस ने छात्रों पर अत्याचार किए। जनता भाजपा सरकार के इस अत्याचार को भूली नहीं है।