ससुराल प्रेम में घिरे केशव मौर्य …. जिन 3 जगहों पर विरोध, वहां भाजपा के कट्टर समर्थक, शिकायत ये कि डिप्टी CM ने सिर्फ ससुराल की सड़क बनवाई
फिल्म सौतन का किशोर कुमार की आवाज में गाया गया एक गाना केशव प्रसाद मौर्य के लिए एकदम फिट बैठ रहा है। दरअसल, गाने के बोल हैं…सासू तीरथ, ससुरा तीरथ, तीरथ साला-साली हैं। दुनिया के सब तीरथ झूठे, चारों धाम घरवाली है। जी हां, इसके मायने आप समझ रहे हैं कि ससुराल ही सब कुछ है। इस गाने में भी और केशव के लिए भी। अब आइए जानते हैं कि हम यह बात क्यों कह रहे हैं।
दरअसल, सिराथू सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उनका ससुराल भी इसी क्षेत्र में पड़ता है। गांव के लोगों का कहना है कि ससुराल प्रेम में केशव ने घर के लिए जा रहे रास्ते पर सड़क बनवाई, बिजली की व्यवस्था भी की है, लेकिन यहां छोड़कर बाकी पूरा गांव विकास को तरस रहा है। सिर्फ यही नहीं, क्षेत्र के दूसरे गांवों के लोग भी विकास को लेकर केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहे हैं।
अपने ही गढ़ में प्रदेश के डिप्टी सीएम का विरोध हो, चुनाव के समय आरोप इस तरह के लग रहे हों तो बात की तह तक जाना जरूरी है। दै ….. की टीम ने सिराथू में जाकर लोगों से बात करके विरोध के कारणों को समझा।
आइए जानते हैं इनकी आखिर सच्चाई क्या है
पहला विरोध – पत्नी के घर के पास दी सुविधाएं, गांव को छोड़ा
केशव प्रसाद मौर्य ससुराल सिराथू के खूझा गांव में है। केशव के लिए जब यहां भाजपा एमएलसी सुरेंद्र चौधरी वोट मांगने पहुंचे तो ग्रामीणों ने विकास नहीं कराए जाने पर खरी- खोटी सुनाई, जमकर हंगामा किया। कहने लगे कि ससुराल वाले घर तक की सड़क चकाचक कर दी गई। गली- गली में सड़क पक्की कर दी गई। बिजली पहुंचा दी गई। गांव की दूसरी सड़क चलने लायक तक नहीं। पुलिया कई माह से ध्वस्त है। गांव के दूसरे हिस्से में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कहने वाले कहते हैं कि ससुराल प्रेम ही उनके विरोध का कारण है। विरोध करने वाले अधिकतर भाजपा समर्थक ही हैं।
दूसरा विरोध – पति लापता हुआ तो पत्नी ने किया था विरोध
सिराथू से टिकट कंफर्म होने के बाद पहली बार राजधानी से जब वह अपने गृह क्षेत्र पहुंचे तो यहां उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वह जमीन का सौदा करने वाले बिचौलिया राजीव मौर्य की पत्नी (जिला पंचायत सदस्य) से मिलने गए थे। राजीव मौर्या 19 जनवरी से लापता थे। पूनम देवी के सामने कई महिलाओं ने राजीव की बरामदगी को लेकर उप-मुख्यमंत्री के समक्ष भारी हंगामा किया था। तब केशव चुपके से वहां निकल गए थे। हालांकि, अगले दिन ही विरोध करने वाली महिलाओं की ओर से पूनम माफी मांगने लगीं। कहने लगीं कि यह तो विरोधियों की चाल थी। उधर, दो दिन बाद ही 25 जनवरी की रात यूपी एसओजी ने हरियाणा से राजीव को बरामद कर लिया था। अब, राजीव भी इसे विरोधियों की साजिश बता रहे हैं। केशव को अपना राजनीतिक गुरु बता रहे हैं।
घर गई भास्कर की टीम, तो पता चली ये कहानी
भास्कर टीम दिल्ली-कोलकाता हाईवे किनारे राजीव मौर्या के गुलामीपुर स्थित घर पहुंचे। यहां, राजीव अपने 1-2 समर्थक के साथ बैठे थे। कहने लगे कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। फिर भी हमने उनके लापता होने की वजह जानने की कोशिश की। पता चला कि राजीव मौर्य जमीन की खरीद- बिक्री में बिचौलिया की भूमिका निभाते हैं। यह इनका मूल पेशा है। इनके एक पार्टनर पूर्व मंत्री तथा वर्तमान में सपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्या के करीबी हैं। वहीं, राजीव भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष के साथ-साथ भाजपा के कट्टर समर्थक हैं। उनके घर में टंगी मोदी, योगी के साथ-साथ केशव मौर्या की तस्वीर बताती है कि वह केशव प्रसाद मौर्य के भी काफी करीबी हैं।
कुछ माह पहले केसरवानी की 4 बीघा जमीन का सौदा दीपक रस्तोगी से की थी। बाद में, यह जमीन वन विभाग की निकल गई। राजीव की मानें तो दीपक रस्तोगी ने 35 लाख रुपए RTGS के माध्यम से केसरवानी को दिए थे। चर्चा है कि जमीन का सौदा 1 करोड़ रुपए में हुआ था। इसी रुपए की वापसी का दबाव राजीव पर था। इससे राजीव तनाव में था। इसी बीच राजीव 19 जनवरी को घर से बाहर चला गया। उसके लापता होने की सूचना पुलिस को दी गई। कहा जाता है कि दीपक रस्तोगी ने राजीव से रुपया वसूली कराने के लिए केशव प्रसाद मौर्य से भी पहल करने की गुहार लगाई थी। संभव है कि केशव प्रसाद मौर्य ने इसमें पहल भी की होगी। हालांकि, राजीव ने इससे साफ इनकार किया है।
तीसरा विरोध – हाईवे बना, जमीनों का मुआवजा नहीं मिला
लोगों का कहना है कि विधानसभा क्षेत्र से गुजर रही दिल्ली- कोलकाता हाईवे के सिक्स लेन में अधिग्रहण की जा रही जमीन व मकान का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है। करीब 25 किलोमीटर की दूरी में हजारों किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन तथा मकान का अधिग्रहण हुआ है। मकान ध्वस्त कर दिए गए हैं। पर, अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है। इसे लेकर भी सिराथू में विरोध के स्वर गूंज रहे हैं। हालांकि, लोग भाजपा का ही समर्थन करते हैं लेकिन केशव से विकास को लेकर उनकी नाराजगी है।
सिराथू से मौर्य का राजनीतिक सफर
- केशव प्रसाद मौर्या ने राजनीतिक सफर की शुरुआत सिराथू से ही की थी।
- 2012 में विधायक बने, 2014 में सांसद बनने के लिए छोड़ दी थी सिराथू सीट
- इससे पहले प्रयागराज के शहर पश्चिमी सीट से दो बार विधानसभा चुनाव लड़े। पर, वह विधानसभा नहीं पहुंच सके।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में वह फूलपुर से सांसद चुन लिए गए।
- इसके बाद भाजपा ने इन्हें यूपी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी।
- 2017 में सरकार बनने पर इन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया।
- अब दूसरी बार वह सिराथू से नामांकन कर चुके हैं।
- अपना दल (कमेरा) पार्टी से गठबंधन के बाद सपा ने पल्लवी पटेल को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की है।
- बसपा ने संतोष त्रिपाठी तो कांग्रेस ने सीमा अग्निहोत्री को प्रत्याशी बनाया है।
सिराथू का इतिहास
कौशाम्बी में विधान सभा सीट व तहसील सिराथू का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। सिराथू ने अपने भूभाग में सदियों पुराना इतिहास समेट कर रखा है। मध्य कालीन भारत में राजा जयचंद्र ने अपनी पूर्वी प्रदेश की राजधानी सिराथू के कड़ा कस्बे को बनाया था। इसका सबसे बड़ा इतिहास कड़ा का ऐतिहासिक किला है। दूसरी विरासत यहां के पौराणिक मंदिर मां शीतला की है। इसे 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। पूर्वांचल की आराध्य देवी है। तीसरी विरासत हिन्दू- मुस्लिम एकता का प्रतीक सूफी संत ख्वाजा कड़क शाह बाबा की मजार है। कड़क शाह मुगल कालीन सूफी संत बताए जाते हैं। चौथी विरासत पांडव पुत्र युधिष्ठिर के हाथों से स्थापित महादेव का मंदिर कालेश्वर है। पांचवीं विरासत के रूप में जैन धर्म का वह आश्रम जो कूड़ी बाग नमक स्थान पर स्थित है।
अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम। दास मलूका कह गए सबके दाता राम… जैसी कालजई रचना करने वाले संत मलूक दास का आश्रम भी सिराथू स्थित कड़ा कस्बे में है। इसके अलावा बुंदेलखंड के वीर योद्धा आल्हा ऊदल के गुरु अमरा की समाधि भी सिराथू विधानसभा में ही स्थित है।
अब तक ये चुने गए
1957 में तहसील सिराथू को विधानसभा का दर्जा मिला। दारानगर के रहने वाले शिव प्रसाद पाण्डेय कांग्रेस के टिकट पर पहले विधायक चुने गए। 1962 कांग्रेस के टिकट पर हेमवती नंदन बहुगुणा, जो उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। 1967 में एमपी तिवारी, साल 1969 में राम चरण, 1974 में ब्रिज नाथ कुशवाहा, 1977 में ब्रिज नाथ प्रसाद कुशवाहा, 1980 में जगदीश प्रसाद, 1985 में पुरुषोत्तम लाल, 1989 में राधेश्याम भारतीय, 1991 में भागीरथी, 1993 में राम सजीवन निर्मल, 1996 में मातेश चन्द्र सोनकर, साल 2002 में मातेश चन्द्र सोनकर, 2007 वाचस्पति , साल 2012 में भाजपा से केशव प्रसाद मौर्य, 2014 के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर वाचस्पति दोबारा सिराथू के विधायक बने। फिर 2017 में भाजपा से शीतला पटेल विधायक चुने गए।
एक नजर में सिराथू विधानसभा सीट
सिराथू विधानसभा में 3 लाख 80 हज़ार 839 कुल मतदाता हैं। इसमें पुरुष 2 लाख 01 हज़ार 791 और महिला 1 लाख 79 हज़ार 35 और थर्ड जेंडर 12 हैं।
जातिगत आंकड़े: पासी 60 हज़ार, मुस्लिम 50 हज़ार, पटेल 30 हज़ार, अनुसूचित जाति 28 हज़ार, मौर्या 28 हज़ार, यादव 22 हज़ार, ब्राह्मण 25 हज़ार, पाल 18 हज़ार, वैश्य 30 हज़ार, धोबी 10 हज़ार, कोरी 08 हज़ार, प्रजापति 08 हज़ार, अन्य जाति 60 हज़ार के करीब बताई जा रही है (यह आंकड़े राजनैतिक दलों से बातचीत पर आधारित हैं)।