राम रहीम के डेरे से एक्सक्लूसिव रिपोर्ट … भक्त बोले- बाबा जिसे कहेंगे, वहीं थोक में वोट देंगे; महीनेभर पहले दो जमावड़ों में दिखाई थी ताकत
हरियाणा की रोहतक जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल पर जेल से रिहा किया जाएगा। उसे पंजाब में चुनाव से 13 दिन पहले जेल से छोड़ा जा रहा है। चुनाव के बीच राम रहीम को पैरोल मिलने के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। ऐसे में पेश है राम रहीम के पंजाब में स्थित सबसे बड़े डेरे से भास्कर की एक्स्क्लूसिव रिपोर्ट।
राम रहीम की रिहाई के बाद डेरों के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। 10 गाड़ियों का एक काफिला भी राम रहीम को लेने के लिए रोहतक की सुनारिया जेल के लिए रवाना हो गया है। चुनावी माहौल के बीच कुछ दिन पहले जब हमने सच्चा सौदा डेरा का दौरा किया तो भक्तों हमारे कैमरे पर साफ-साफ कहा कि डेरा जिधर इशारा करेगा, हमारा वोट भी उसी पार्टी या नेता को जाएगा। डेरा पॉलिटिकल कमेटी के सदस्य हरचरण सिंह कहते हैं कि ‘जिस भी पार्टी और नेता ने डेरा के बुरे वक्त में डेरा का साथ नहीं दिया, उनको चुनाव में सबक सिखाया जाएगा।’
पहले एक सवाल का जवाब दीजिए फिर आपको सलाबतपुरा के इस किलेनुमा डेरे के अंदर ले चलेंगे।
पंजाब के बठिंडा शहर से करीब 50 किमी दूर है, सलाबतपुरा डेरा सच्चा सौदा। पंजाब राज्य में सच्चा सौदा का ये सबसे बड़ा डेरा है। सैकड़ों एकड़ में फैले किलानुमा इस डेरे को चारों तरफ से 25 फुट की ऊंची और मजबूत दीवारों ने घेर रखा है। मुख्य गेट के बाहर तगड़ा पुलिस बंदोबस्त और अंदर की तरफ डेरे की अपनी सुरक्षा टुकड़ी। डेरे की भव्यता का अंदाजा गेट से अंदर प्रवेश करने पर ही लग जाता है।
डेरे के अंदर ही एक पूरा शहर बसता है। सेवादारों के रहने के लिए क्वार्टर्स हैं, संगत जमा होने के लिए बड़ा सा शेड तैयार किया गया है। डेरे के फॉलोअर्स बढ़ने की वजह से इसे और बड़ा किया जा रहा है। डेरे के अंदर ही खेती होती है। लंगर, पंगत, राशन हर चीज के लिए अलग-अलग बिल्डिंग्स बनी हुई हैं। डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख गुरु गुरुमीत राम रहीम भले ही 2017 से हरियाणा की सुनारिया जेल में सजा काट रहा हो, लेकिन इन भक्तों की अपने गुरु के प्रति आस्था में कोई कमी नहीं दिखती है। चुनाव के इस माहौल में भक्तों को अपने डेरे के आदेश का इंतजार है।
पंजाब में चुनाव के ठीक पहले एक महीने के अंदर डेरा सच्चा सौदा ने दो बड़ी सभाएं कीं, जिसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटी। इस सभा को डेरा ‘नाम चर्चा’ कहता है।
पहला- 9 जनवरी को पंजाब के बठिंडा जिले के सलाबतपुरा में डेरे के दूसरे गुरु शाह सतनाम सिंह का जन्मदिन उत्सव मनाया गया। डेरा दावा करता है कि इस दिन सिर्फ इसी डेरे में 25 लाख लोग पहुंचे। जिस दिन ये आयोजन हुआ आस-पास की सारी सड़कें भीड़-भाड़ की वजह से चोक हो गईं।
दूसरा– 25 जनवरी को डेरा सच्चा सौदा के हेडक्वार्टर्स सिरसा में पंजाब और हरियाणा के डेरा फॉलोअर्स गुरु शाह सतनाम सिंह का 103वां जन्मदिन मनाने के लिए जुटे। सच्चा सौदा डेरा अपने गुरु का जन्मदिन का पूरे महीने मनाते हैं।
ये सिर्फ धार्मिक भीड़ नहीं, बल्कि डेरा का शक्ति प्रदर्शन
भले ही ऊपर से देखने पर ये दोनों सभाएं धार्मिक आयोजन लगते हों, लेकिन चुनाव के ठीक पहले ये डेरा का शक्ति प्रदर्शन है। जानकार कहते हैं कि 2017 में राम रहीम के जेल जाने के बाद से ये अब तक का सबसे बड़ा आयोजन है और पंजाब चुनाव के पहले ये होना सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए संकेत है कि अगर पार्टियों ने डेरा को नजरंदाज या तिरस्कृत किया तो उन्हें चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
यही वजह है कि 9 जनवरी को सलाबतपुरा आयोजन में BJP के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरजीत कुमार जयानी, BJP राज्य महासचिव सुनीता गर्ग और वरिष्ठ BJP नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल पहुंचे। इसके अलावा बठिंडा से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जगरूप सिंह गिल, पंजाब के कैबिनेट मंत्री विजयिंदर सिंह, पूर्व कांग्रेस विधायक हरमिंदर सिंह जस्सी पहुंचे। पंजाब के बड़े नेता जैसे चन्नी, बादल, केजरीवाल जिस तरह से दूसरे डेरों में जा रहे हैं, उस तरह से यहां कोई बड़ा नेता नहीं पहुंच रहा।
पंजाब में करीब 10 हजार डेरे हैं और राजनीतिक इतिहास में डेरा सच्चा सौदा ने ही सबसे ज्यादा खुलकर राजनीति में भाग लिया है। डेरा खुलकर चुनावों में पार्टियों और उम्मीदवारों से साथ खड़ा रह चुका है। इसलिए ये डेरा सबसे ज्यादा चर्चित और विवादित भी रहा है। पंजाब के मालवा रीजन की 35-40 सीटों पर इस डेरे की पकड़ है और ये इस बार के पंचकोणीय चुनाव में काफी बड़ा आंकड़ा है। इसलिए राजनीतिक दल चाहकर भी इस डेरे को नजरंदाज नहीं कर सकते।
डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख राम रहीम हत्या और बलात्कार के आरोप में जेल में बंद है, लेकिन डेरों की संगतों में भीड़ अब भी जस की तस है। राम रहीम जेल से ही अपने भक्तों के नाम पत्र भेजता है और डेरों की संगतों में बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाकर इन पत्रों को गुरु का संदेश बताकर सुनाया जाता है और भक्त पूरी आस्था से इसे सुनते हैं। गुरु के इस संदेश को डेरा सच्चा सौदा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी खूब शेयर किया जाता है। सिर्फ यूट्यूब पर ही डेरा के अकाउंट पर करीब 2 लाख सब्सक्राइबर्स हैं।
पंजाब में सच्चा सौदा का सबसे बड़ा डेरा सलाबतपुरा। अंदर घुसते हुए बड़ी-बड़ी दीवारें और अंदर राम रहीम के भक्तों की चहल पहल। भक्त अपने गले में राम रहीम का लॉकेट पहने हुए हैं और डेरे से अपने जुड़ाव को गर्व से देखते हैं। लोग आस-पास के इलाकों से कई-कई किलोमीटर का सफर तक करके डेरे में सेवा करने आते हैं। कोई बढ़ई का काम कर रहा, कोई खेती किसानी के काम में जुटा है, तो कोई लंगर-पंगत में अपनी सेवा दे रहा है। डेरे के भक्तों में जाति, धर्म को लेकर कोई भेदभाव नहीं है। डेरे के फॉलोअर्स में हिंदू, सिख, मुस्लिम सभी शामिल हैं।
बेअंत सिंह करीब 30 साल से डेरा सच्चा सौदा में सेवादार हैं और वो डेरे के अंदर खेती किसानी के काम में लगे रहते हैं। बेअंत सिंह की पंजाब के मोगा जिले में खुद की भी जमीन है, लेकिन वो डेरे में सेवा के लिए अलग से समय निकालते ही हैं। वो बताते हैं कि 9 जनवरी को इसी डेरे में 24 लाख 75 हजार लोगों की भीड़ जुटी थी। हमने जब उनसे पंजाब चुनाव की चर्चा छेड़ी तो उन्होंने कहा कि ‘डेरे की राजनीतिक विंग तय करती है कि किसे वोट करना है और इसके बाद भक्तों को डेरे के चैनल के जरिए आदेश दिया जाता है कि किसे वोट करना है। हम सारे भक्तों का मानना है कि डेरे की एकता का प्रदर्शन चुनाव में भी होना चाहिए।’
बलबीर सिंह इन्सा, ये भी 2007 से डेरा सच्चा सौदा में सेवादार हैं और इनका काम है डेरे की जमीन में उपजी सब्जियों को डेरे की अन्य शाखाओं तक पहुंचाना। वो बताते हैं कि ‘गुरु का आदेश आया है कि सारे इकट्ठे मिलकर रहो।’ हमने पूछा कि क्या चुनाव में भी ये एकता कायम रहेगी? बलबीर कहते हैं ‘हमें जो भी आदेश आएगा हम उसी के मुताबिक वोट डालेंगे। हमने 2007, 2012 में भी डेरे के आदेश पर एक बार कांग्रेस को और दूसरी बार अकाली दल को वोट दिया था। इस बार अभी एनालिसिस चल रहा है, लेकिन वोट हमारा एकजुट ही होगा।’
डेरा सच्चा सौदा की पॉलिटिकल कमेटी के सदस्य हरचरण सिंह कहते हैं कि ‘चुनाव के वक्त हमारे अंदरूनी सिस्टम में सर्वे किया जाता है कि किस पार्टी ने डेरे का साथ दिया और किसने विरोध किया, इसके आधार पर हम पॉलिटिकल कमेटी में फैसला करते हैं कि चुनाव में किसे वोट देना है। जो नेता डेरे से दूरी बनाते हैं और नाम लेना भी पसंद नहीं करते हम चुनाव में उनका विरोध करेंगे। पंजाब में रूलिंग पार्टी बेअदबी के मुद्दे पर सियासत कर रही है और इसमें जबरदस्ती डेरे का नाम खींचा जाता है। इसलिए हम उनका विरोध करेंगे। हम समर्थन के लिए नए विकल्पों पर विचार करेंगे।’
अब आपको मिलाते हैं उनसे, जिन्होंने पंजाब के डेरों पर दशकों तक रिसर्च वर्क किया है और डेरों पर महारत रखते हैं।
2022 में कोई डेरा खुलकर समर्थन करने का रिस्क नहीं लेगा: प्रोफेसर प्रमोद कुमार, IDC
तीन दशकों से मैं पंजाब की राजनीति को देख रहा हूं। ये पहली बार हो रहा है कि चुनाव पंच कोणीय है। इसमें तीन मुख्य पार्टियां आप, अकाली और कांग्रेस। डेरे की पॉलिटिक्स पर इसका असर होगा। BJP का शहरी सीटों पर असर होगा। तीनों प्रमुख पार्टियां डेरों पर डोरे डालने की कोशिश कर रही हैं। चुनाव में मुकाबला ज्यादा होने से मार्जिन भी बहुत कम होने वाला है, इसलिए डेरों की अहमियत ज्यादा बढ़ जाती है। इस चुनाव में डेरे खुले तौर पर किसी पार्टी को समर्थन का ऐलान नहीं करेंगे। 2007, 2012, 2017 में डेरों का खास असर देखने को मिला था। अब ये पार्टी की जगह उम्मीदवारों के आधार पर समर्थन देते हैं। इस बार कोई डेरा रिस्क नहीं लेगा। लोगों तक अगर मैसेज पहुंचता है, तो सभी पार्टियों को पता चल जाता है और मुद्दा विवादित हो जाता है।
राजनीतिक पार्टियों का डेरों की शरण में जाना है ईजी पॉलिटिक्स: प्रोफेसर आशुतोष कुमार, पंजाब यूनिवर्सिटी
पंजाब में पावर स्ट्रक्चर सिर्फ एक ही तबके (जट सिखों) तक सीमित है। वहीं समाज के एक तबके (SC समुदाय) की सत्ता में भागीदारी ना के बराबर होती है। ऐसे में राजनीतिक दलों के नेता डेरों के जरिए इस वर्ग के वोटर्स को टारगेट करते हैं। नेताओं को लगता है डेरे के गुरु के पास जाकर उनका विश्वास जीता जाए, ताकि उनके फॉलोअर्स भी पार्टी के सपोर्ट में वोट कर दें। डेरों का कम्युनिकेशन नेटवर्क बहुत व्यवस्थित होता है। ये पूरी तरह से संगठित होता है। अब तकनीकी के जमाने में एक व्हाट्सएप मैसेज से ही काम हो जाता है। डेरा सच्चा सौदा में पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी होती है। डेरे के गुरु तय कर देते हैं कि किसे समर्थन देना है।
डेरे चुनावी राजनीति में सीधे शामिल नहीं होते: प्रोफेसर रौनकी राम
डेरे चुनावी राजनीति में सीधे शामिल नहीं होते, वो बैक चैनल से इसका समर्थन करते हैं। इसी वजह से सारी पार्टी वाले नेता इन डेरों पर जाते रहते हैं। ये डेरे कई सारे सामाजिक काम करते रहते हैं, इसलिए ये समाज का केंद्र बने रहते हैं। लाखों लाख लोगों की इन डेरों में आस्था होती है। डेरा सचखंड बल्लां की खास अहमियत इसलिए है क्योंकि संत रविदास को मानने वाले लाखों की इसमें आस्था होती है। बाकी डेरे भी SC समुदाय के बीच काफी चर्चित हैं। जब डेरे से जुड़े कुछ लोग अमीर हुए तो डेरे में पैसा आना शुरू हुआ और इस वजह से ये डेरे पावर सेंटर बनते गए।