वोट की हेराफेरी पर बवाल … अफसर बोले- एक वोट से क्या होगा? मिलिए उनसे, जिन्होंने पत्नी-ड्राइवर को वोट नहीं देने दिया… और चुनाव हार गए

एक वोट की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू.. ईश्वर का आशीर्वाद होता है…सुहागन के सिर का ताज होता है…हर औरत का ख्वाब होता है।…इस लाइन से दीपिका पादुकोण और शाहरुख खान की फिल्म ओम शांति ओम का डायलॉग आपको याद आ गया होगा। लेकिन इस चुनावी माहौल में हम यह बात क्यों कर रहे हैं। आप भी जान लीजिए…दरअसल, एक वोट की कीमत का मुद्दा उछल गया है।

चुनाव अफसर को लगता है कि एक वोट से कुछ नहीं होता, लेकिन इतिहास गवाह है कि एक वोट से दिग्गजों की जीत-हार तय हो गई। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में तो सीपी जोशी सीएम पद के उम्मीदवार थे। वह एक वोट से हार गए। उनके लिए अफसोस की बात ये रही कि उनकी पत्नी और मां मंदिर गईं थीं इसलिए वोट नहीं डाल सकीं।

किस्सा कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के दौरान का भी ऐसा ही है। यहां एआर कृष्णमूर्ति का ड्राइवर वोट नहीं डाल सका। कृष्णमूर्ति एक वोट से हार गए।

देश-विदेश के बड़े चुनावों के बड़े नेताओं की एक वोट से हार-जीत के बावजूद उत्तर प्रदेश में चुनाव अफसर ने कह दिया कि एक वोट से क्या होता है। दरअसल, रविवार से डाक पत्रों से वोट डालने की प्रक्रिया शुरू हुई तो आगरा के फतेहाबाद के एक 80 साल के बुजुर्ग दिव्यांग मतदाता ने आरोप लगाया कि उनकी इच्छा के खिलाफ मनमाने तरीके से वोट डाला गया। इस पर हंगामा हुआ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इसका वीडियो शेयर करते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है।

अखिलेश यादव की इस शिकायत के बाद एक वीडियो सामने आया जिस पर एक अधिकारी वोट की कीमत को कम आंकते दिखे। अगर आपको भी यही लगता है कि एक वोट से कुछ नहीं होता तो चलिए हम आपको देश-विदेश के 7 बड़े उदाहरण बताते हैं…

1. पत्नी-मां वोट दे देतीं तो जीत जाते सीपी जोशी

साल 2008 के राजस्थान विधानसभा के चुनाव में एक ऐतिहासिक क्षण आया। किसी ने सोचा भी नहीं था कि कांग्रेस नेता सीपी जोशी एक वोट से हार जाएंगे। उनके सामने भाजपा के कल्याण सिंह चौहान थे। उन्हें 62, 216 वोट मिले, जबकि सीपी जोशी को 62,215 वोट। सीपी जोशी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। दिलचस्प बात ये है कि उस रोज सीपी जोशी की मां, पत्नी और ड्राइवर ने मतदान नहीं किया था। यानी अगर ये तीनों वोट देते या कोई एक तो भी सीपी जोशी जीत जाते। सिर्फ एक वोट से सीपी जोशी को निराशा हाथ लगी।

सीपी जोशी एक वोट से हार गए थे। उनकी पत्नी, बेटी को लेकर ड्राइवर के साथ मंदिर गईं थीं। इसलिए वोट नहीं डाल सकीं।
सीपी जोशी एक वोट से हार गए थे। उनकी पत्नी, बेटी को लेकर ड्राइवर के साथ मंदिर गईं थीं। इसलिए वोट नहीं डाल सकीं।

2. ड्राइवर वोट दे देता तो जीते जाते एआर कृष्णमूर्ति
बात कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2004 की है। एआर कृष्णमूर्ति जनता दल सेक्युलर से उम्मीदवार थे। उनके सामने ध्रुव नारायण थे। उन्हें 40,752 वोट मिले जबकि कृष्णमूर्ति को 40,751 वोट मिले थे। कृष्णमूर्ति को एक वोट का अफसोस हो गया। हैरान करने वाली बात ये है कि कृष्णमूर्ति के कार ड्राइवर ने मतदान नहीं किया था क्योंकि उसे समय नहीं मिल सका था। अगर वह वोट डाल देता तो कृष्णमूर्ति जीत जाते।

कर्नाटक विधानसभा 2004 एआर कृष्णमूर्ति एक वोट से हार गए थे।
कर्नाटक विधानसभा 2004 एआर कृष्णमूर्ति एक वोट से हार गए थे।

3. एक वोट से अटल सरकार गिर गई थी

बात साल 1999 की है। AIADMK के समर्थन वापस लेने के बाद वाजपेयी सरकार को विश्वास प्रस्ताव रखना पड़ा था। विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े और सरकार गिर गई। जरूरत सिर्फ एक वोट की थी। उस समय पूरी एनडीए को यह अफसोस रहा कि बस एक वोट उनके पक्ष में और होता।

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार भी सिर्फ एक वोट से गिर गई थी।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार भी सिर्फ एक वोट से गिर गई थी।

4. अहमद पटेल आधे वोट से जीते थे
बात 2017 की है, जब गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ था। कांग्रेस की ओर से अहमद पटेल थे। कांग्रेस के ही दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी थी। उनके वोट रद्द हो गए थे, जिससे जीतने के लिए वोटों की संख्या 43.5 हो गई। अहमद पटेल को 44 वोट मिले थे। जिससे वह आधे वोट से जीत गए थे।

अहमद पटेल आधे वोट से जीते थे।
अहमद पटेल आधे वोट से जीते थे।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ देश में ही ऐसे उदाहरण हैं विदेशों में भी एक वोट की बड़ी अहमियत रही है, यहां भी जीत-हार तय हुई।

5. एक वोट से महाभियोग से बच गए अमेरिकी राष्ट्रपति
बात साल 1868 के मार्च की है। अमेरिका के 17वें राष्ट्रपति एंड्रूयू जॉनसन को एक वोट महत्व समझ में आया था। दरअसल, ऑफिस एक्ट तोड़ने के आरोप में जॉनसन पर महाभियोग चला था लेकिन केवल एक वोट के फर्क से महाभियोग साबित नहीं हो सका और वे बच निकले।

6. ब्रिटेन में एक वोट से संसद की सदस्यता छिन गई
ब्रिटेन में हेरॉल्ड मोर नाम के लीडर की संसद सदस्यता केवल एक वोट के कारण छिन गई। घटना 1911 की है, जब ये सदस्य 4 वोटों से जीता, हालांकि हफ्तेभर बाद ही इस जीत को चुनौती मिली और फिर एक वोट न मिल पाने पर उनकी सदस्यता रद्द हो गई।

7. एक वोट से अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बन सके
साल 1876 में अमेरिका में हुए 19वें राष्ट्रपति पद के चुनावों में रदरफोर्ड बी हायेस 185 वोट हासिल कर राष्ट्रपति चुने गए थे. इन चुनावों में उनके प्रतिद्वंदी सैमुअल टिलडेन को 184 वोट हासिल हुए और इस तरह से महज एक वोट के अंतर से वो राष्ट्रपति नहीं बन सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *