कंपनी की एक गलती से हो रहे हादसे … ऑटोमैटिक बसें चलाने का 172 में से सिर्फ 34 ड्राइवर को ही प्रशिक्षण, 12 दिन में दूसरा एक्सीडेंट
कानपुर में ई-बस से दूसरा दर्दनाक हादसा हुआ। इसमें 6 लोग घायल हो गए। शहर में ई-बसें काल बनकर दौड़ रही हैं। हादसों के पीछे प्राइवेट कंपनी तीर्थांकर सिटी बस प्राइवेट लिमिटेड की एक बड़ी चूक है, जो लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। अधिकारियों के मुताबिक प्राथमिक जांच में ये सामने आया है कि ई-बसों के ड्राइवरों के पर्याप्त प्रशिक्षण तक नहीं दिया गया है।
सिर्फ 34 ड्राइवर को ही मिला प्रशिक्षण
बसों का संचालन प्राइवेट कंपनी के पास है। कार्यरत ड्राइवर ने बताया कि ई-बसों के संचालन के लिए 172 ड्राइवर रखे गए है। इनमें से सिर्फ 34 ड्राइवर को ही लखनऊ में प्रशिक्षण कराया गया है। ऑटोमैटिक ई-बसों के संचालन का सही प्रशिक्षण ड्राइवर के पास नहीं है। 30 जनवरी को हुए पहले हादसे के बाद अधिकारियों ने ड्राइवरों के प्रशिक्षण की बात कही थी। लेकिन माहौल शांत होने के बाद सब शांत बैठ गए।
कानपुर में ही हो रहे हादसे
हादसे के बाद ई-बस को ट्रैफिक लाइन में जांच के लिए खड़ा किया गया है। आईटीएमएस (इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम) की टेक्निकल टीम ने भी सीसीटीवी फुटेज और अन्य इलेक्ट्रिक उपकरणों की जांच की। प्राथमिक जांच में सबकुछ सही पाया गया। अब सवाल ये उठता है कि कानपुर में ही आखिर इन बसों से हादसे क्यों हो रहे हैं। जबकि पीएमआई कंपनी ने ही लखनऊ समेत प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, अलीगढ़, आगरा, मथुरा में भी बसों की सप्लाई की है। कहीं भी कोई हादसे नहीं हो रहे हैं।
ड्राइवरों को अतिरिक्त प्रशिक्षण नहीं
पुलिस ने भी अपनी प्राथमिक जांच में माना है कि ड्राइवरों को पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। बसें पूरी तरह ऑटोमैटिक हैं। बसों के लिहाज से ड्राइवरों को उस स्तर का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। शुक्रवार को हुए दूसरे बस हादसे के बाद कमिश्नर डा. राज शेखर ने 3 दिनों तक ई-बस के संचालन को बंद कर ड्राइवरों को प्रशिक्षण और जरूरी जानकारी देने के लिए कहा है।
ड्राइवरों पर अतिरिक्त बोझ
बता दें कि 30 जनवरी की रात को टाटमिल चौराहे पर ही ई-बस ने हादसे में 6 लोगों की जान ले ली थी। इसकी जांच शासन द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच समिति ने की थी। जांच रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि ई-बस संचालन की जिम्मेदार एजेंसी के खिलाफ कई मामले प्रकाश में आए हैं। कंपनी चालकों से तय समय से अधिक कार्य ले रही है। चालकों को 16-16 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ती है।
हादसों की संभावना बढ़ी
समिति ने ये भी माना कि इससे चालकों की क्षमता प्रभावित होती है और थकावट के चलते हादसों की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है। शहर में ई-बसों का संचालन सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक होता है। नगर विकास विभाग के सचिव अनिल कुमार और एडीजी कानपुर भानु भाष्कर की दो सदस्यीय टीम ने हादसे के बाद अन्य बस चालकों के बयान दर्ज कराए थे। जांच में सामने आया कि सुबह जो बस चालक स्टीयरिंग व्हील थामता है, वह रात 10 बजे ही खाली होता है।
पैनिक बटन तक काम नहीं करते
बसों का संचालन तो आनन-फानन तो शुरू कर दिया गया। लेकिन बसों में लगे सिस्टम तक काम नहीं करते हैं। बसों में लगे पैनिक बटन तक काम नहीं करते हैं। बसों के संचालन के लिए कंट्रोल रूम भी बनाया जाना था, जिसे अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है। आखिर बसों के संचालन में इतनी जल्दबाजी क्यों बरती गई, इसका जवाब अधिकारी भी देने से कतरा रहे हैं।