हिजाब कॉन्ट्रोवर्सी का चुनावी हिसाब … मुस्लिम संगठनों के अगुआ बोले- 5 राज्यों के चुनाव के लिए 1500 किमी दूर से उछाला गया मुद्दा, ये BJP का गेम प्लान

कर्नाटक में हिजाब कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर खड़ा हुआ बखेड़ा पूरे देश में बहस का मुद्दा बन गया है। सबसे ताजा वायरल वीडियो में एक तरफ गेरुआ कपड़ा लपेटे लड़के जय श्री राम के नारे लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ बुर्का पहने एक लड़की अल्लाह हू अकबर के।

इस्लाम के जानकार और बुद्धिजीवी बिरादरी में शामिल ख्वाजा इफ्तिखार अहमद कहते हैं, ‘अल्लाह हू अकबर भी इस देश का है और जय श्रीराम भी इस देश का है। धर्म के नाम पर हिंदुस्तान को तक्सीम (बंटवारा) नहीं करना चाहिए।’ वे कहते हैं कि ध्यान से देखें तो यह ध्रुवीकरण की परफेक्ट पिक्चर है। मीडिया से लेकर राजनीति तक देश में हिजाब कॉन्ट्रोवर्सी से ज्यादा अब यह पिक्चर वायरल हो रही है।

मुस्लिम समुदाय के धर्म गुरुओं, बुद्धिजीवियों और पर्सनल लॉ बोर्ड की राय जानने के लिए जब हमने बात की तो कई और परतें खुलीं। आइए जानें मुस्लिम समुदाय के अलग-अलग हिस्सों की अगुआई करने वाले प्रतिनिधि BJP शासित राज्य से उठी इस कॉन्ट्रोवर्सी और इलेक्शन के कनेक्शन की बात क्यों कह रहे हैं? आगे बढ़ें इससे पहले एक सवाल का जवाब देकर पोल में पार्टिसिपेट भी कर सकते हैं।

चुनावों के बीच गढ़ा जा रहा हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव
ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य डॉ. रसूल इलियासी तो साफ इसे पांच राज्यों में हो रहे चुनावों के बीच हिंदू बनाम मुस्लिम नरेटिव गढ़ने की कोशिश कहते हैं। इलियासी कहते हैं, ‘हिजाब धार्मिक अनिवार्यता है, इस्लाम का जरूरी हिस्सा है। हिजाब पर कॉन्ट्रोवर्सी हो रही है, लेकिन क्या हिंदू औरतें सिर नहीं ढकतीं?’ वे पूछते हैं कि स्कूल में सरदार पगड़ी बांधकर जाएं तो ठीक, मुसलमान बच्चियां हिजाब लगाएं तो गलत, क्यों?

रसूल कहते हैं दरअसल, यह हिंदू बनाम मुस्लिम नरेटिव गढ़ने की साजिश है, पर कर्नाटक में ऐसा क्यों हो रहा है? रसूल जवाब देते हैं कि इस मामले को तूल देने की साफ वजह है। कर्नाटक भले ही चुनावी राज्यों से 1500 किलोमीटर दूर हो, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में यह दूरी कुछ भी नहीं। पांच राज्यों में चुनाव हैं। BJP अपना दांव चल रही है।

हिजाब की बात वहां से उठेगी, फिर वहां के BJP के मंत्री इसे इस्लामिक संगठन की साजिश करार देंगे, लेकिन क्या एजुकेशन और धर्म को अलग नहीं रखना चाहिए? रसूल कहते हैं, ‘बिल्कुल। लेकिन इस्लाम की कुछ जरूरी प्रेक्टिसेज हैं, उन पर पाबंदी लगाकर क्या संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं होता? वे जोर देकर कहते हैं, ‘कर्नाटक में ‌BJP की सरकार है, पांच राज्यों में चुनाव हैं। और अभी वहां हिजाब विवाद उठा। टाइमिंग पर सवाल तो उठने ही चाहिए।’

युवाओं को विरासत में क्या दे रहे हैं, हिंदुस्तान का बंटवारा कबूल नहीं
इस्लाम के जानकार ख्वाजा इफ्तिखार अहमद कहते हैं, ‘अल्लाह हू अकबर भी इसी देश का है और जय श्रीराम भी। जब तबस्सुम मुसलमान और रामलाल हिंदू बन जाता है, तब हिंदुस्तान मर जाता है। मुझे अपने हिंदुस्तान को बचाना है।’ दरअसल, ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की पीड़ा उस वीडियो का जिक्र करते हुए छलक उठी, जिसमें एक तरफ एक लड़की ‘अल्लाह हू अकबर’ के तो दूसरी तरफ कुछ लड़के ‘जय श्रीराम’ के नारे लगा रहे हैं।

वे कहते हैं, ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस सबके पीछे क्या कोई राजनीतिक मंशा है? वे कहते हैं कि देश के किसी कोने में जब चुनाव होते हैं तो ऐसी हरकतें बढ़ जाती हैं। कॉलेज का एक लोकल इशू आखिर पब्लिक डोमेन में कैसे आ गया? उसका समाधान तो स्कूल के प्रबंधन के द्वारा निकाला जाना चाहिए था। आखिर नेताओं ने हिंदुस्तान को बांटने वाले बयान क्यों देने शुरू कर दिए?

पर आपको क्या लगता है उन लड़कियों की स्कूल में हिजाब पहनकर जाने की मांग जायज है?
इफ्तिखार जवाब देते हैं, ‘इस्लाम में औरत का अजीम मुकाम है। औरत को यह हक दिया गया है कि वह ऐसा लिबास पहने जिससे उसकी अस्मत बढ़े, व्यक्तित्व आइडियल के तौर पर सामने रहे। यह मुद्दा सम्मान का है। अगर हमारी बच्चियां सम्मान के लिए कुछ पहनना चाहती हैं तो क्या दिक्कत है।’

डॉ. इफ्तिखार कहते हैं कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार हमें मिला। हालांकि, वे लोकतंत्र का हवाला देकर जींस पहनने की च्वाइस पर भी एतराज न होने की बात कहते हैं, पर क्या स्कूल में यूनिफॉर्म का अनुशासन नहीं होता? मैं तभी कह रहा हूं कि स्कूल प्रबंधन को यह मसला सुलझाना चाहिए। इसमें ध्रुवीकरण कर चुनावी फायदा उठाने की कोशिश नेताओं को नहीं करनी चाहिए।

अब देश में कहीं भी चुनाव होते हैं, मुद्दा हिंदू बनाम मुस्लिम बना दिया जाता है…

मुसलमानों की आस्था का केंद्र मशहूर फतेहपुरी मस्जिद के मुफ्ती मुकर्रम अहमद शाही कहते हैं, ‘मुझे तो समझ नहीं आता कि आखिर चुनाव से पहले ऐसे मुद्दे क्यों उठते हैं? और यह मुद्दा स्कूल का है। फिर उसे राष्ट्रव्यापी क्यों बनाने की कोशिश हो रही? हिजाब इस्लाम का जरूरी हिस्सा है।’

संविधान में सबको धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। फिर आखिर इस मामले में इतनी बहस की जरूरत क्या है? सिर्फ सियासत हो रही है। वे कहते हैं, ‘चुनाव के बीच ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदू मुसलमान करने की कोशिश होती है। सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए देश को बांटना बहुत गलत है। यह मामला बैठकर सुलझाया जा सकता था, लेकिन राज्य के नेता तो इसे साजिश करार देने लगे।’

नेताओं के बयान ‘ध्रुवीकरण’ की थ्योरी को करते हैं सपोर्ट!
नेताओं के बयानों को बारीकी से देखें तो वाकई ‘ध्रुवीकरण’ की परफेक्ट पिक्चर बनती है। कर्नाटक की BJP सरकार के एजुकेशन मिनिस्टर इसे इस्लामिक संगठन की साजिश करार देते हैं तो UP चुनाव प्रचार में व्यस्त कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा भारतीय संविधान में मिले अधिकार का हवाला देकर हिजाब, बिकनी, घूंघट या जींस कुछ भी पहनने को व्यक्तिगत च्वाइस मानती हैं।

उधर, मुस्लिम समुदाय का चेहरा बने असदुद्दीन ओवैसी ट्वीट कर उस लड़की की तारीफ करते हैं जिसका वीडियो वायरल हुआ। वे लिखते हैं, ‘उनका निडरता का कार्य हम सभी के लिए साहस का स्रोत बन गया है।’ BJP नेता गिरिराज सिंह ट्वीट कर कहते हैं, देश में गजवा-ए-हिंद नहीं चलेगा।

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