पैसा, पॉलिटिक्स, पावर यानी ‘गोवा ….

:सिर्फ एक परमिशन यहां रातोंरात लखपति बना देती है, लेकिन यह फैसिलिटी खास लोगों को ही…

गोवा में ऐसा कहा जाता है कि यहां का हर नेता रियल एस्टेट से जुड़ा है, या फिर रियल एस्टेट वाला ही नेता है। बीते 10 सालों से गोवा की पूरी राजनीति के केंद्र में एक ही चीज है और वो है ‘मनी’। इस बार के चुनाव में सिविल सोसायटी ने इसके खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। जानिए यह सब कुछ कैसे चल रहा है। इससे पहले पोल में पार्टिसिपेट करके आप अपनी राय भी दे सकते हैं।

दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के बिजनेसमैन बड़े खिलाड़ी
कुछ सालों पहले तक गोवा नेचुरल ब्यूटी और खूबसूरत बीच के लिए पहचाना जाता था, लेकिन अब यहां बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हो रही हैं। लग्जरी कसीनो, प्रॉस्टीट्यूशन, ड्रग्स और गैंबलिंग है और इन सबके केंद्र में है पैसा।

हैरान करने वाली बात ये है कि इस पूरे रैकेट में गिनती के ही गोअन हैं, जिन्हें फायदा मिल रहा है; कमाई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू जैसे शहरों से आए बिजनेसमैन और नेता कर रहे हैं। गोवा सरकार की कमेटी में प्लानर रहे आर्किटेक्ट डीन डिक्रूज कहते हैं कि, ‘हमने गोवा का रीजनल प्लान बनाया था, जिसमें यह बताया था कि कहां कंस्ट्रक्शन किया जा सकता है, कहां नहीं। कौन सी प्राइवेट लैंड और कौन सी नदी-पहाड़ और कम्युनिटी की लैंड है, जहां जमीन की खरीदी-बिक्री नहीं हो सकती, लेकिन तीन साल पहले सरकार ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट में धारा 16बी जोड़कर लैंड कन्वर्जन का रास्ता खोल दिया, क्योंकि इसके जरिए लैंड यूज को कन्वर्ट करवाया जा सकता है। कन्वर्ट होते ही जमीन की कीमत 40 गुना तक बढ़ जाती है।’

‘मुझे जो डेटा मालूम है उसके मुताबिक, 20 लाख स्क्वेयर मीटर जमीन को कन्वर्ट करने के लिए एप्लिकेशन आ चुकी हैं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों से बिल्डर आते हैं। पहाड़ों, नदियों, जंगलों और खेती की जमीनों को कन्वर्ट करते हैं और यहां बहुमंजिला इमारतें बना देते हैं। इससे कमाई बिल्डर और नेता की होती है। एन्वायरमेंट भी खराब हो रहा है और गोवा की आइडेंटिटी भी खत्म हो रही है।’

आधे से ज्यादा विधायक रियल एस्टेट ब्रोकर
सोशल एक्टिविसट रोशन मैथियास कहते हैं, गोवा विधानसभा में 40 विधायक हैं और इन 40 में से करीब 30 रियल एस्टेट से जुड़े हुए हैं। कई ऐसे हैं जो पहले रियल एस्टेट ब्रोकर ही थे, इसलिए बिल्डर और पॉलिटिशियंस का पूरा नेक्सस काम कर रहा है।

300 रुपए का रेट, 5 लाख तक पहुंच जाता है
यहां खेती की जमीन बेची नहीं जा सकती, लेकिन बिल्डर नेताओं के साथ मिलकर उसे कन्वर्ट करवा लेते हैं। खेती की जमीन का रेट 200 से 300 रुपए स्क्वेयर मीटर होता है, ये लोग किसान को 4,000 से 5,000 रुपए का रेट देते हैं। कन्वर्ट होते ही यह रेट 5 लाख से 7 लाख पर पहुंच जाता है।

कम्युनिटी लैंड का भी सौदा किया जा रहा है। महामारी ने लोकल लोगों की हालत खराब कर दी। नौकरी और धंधा है नहीं। इसलिए स्थानीय लोग अपनी जमीनें बेचने को मजबूर हैं, जिसका फायदा बड़े बिल्डर और नेता उठा रहे हैं।

रूलिंग पार्टी नहीं, हर पार्टी का नेता रियल एस्टेट से जुड़ा
गोवा के सीनियर जर्नलिस्ट किशोर नाइक गांवकर के मुताबिक, सिर्फ रूलिंग पार्टी ही नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक पार्टियों के जो विधायक हैं या कैंडीडेट हैं वो रियल एस्टेट के बिजनेस से जुड़े हुए हैं। लोगों को दिखाने के लिए उनका चेहरा अलग है।

CM प्रमोद सावंत ने एफिडेविड में खुद को आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर दिखाया है, जबकि हर कोई जानता है कि वो सालों से किस बिजनेस से जुड़े हुए हैं। विजय सरदेसाई, विश्वजीत राणे से लेकर तमाम नेता हैं जो सीधे रियल एस्टेट बिजनेस से जुड़े हैं। इस बार विश्वजीत राणे और उनकी पत्नी और अतानसियो मोनसेराटे और उनकी पत्नी को BJP ने टिकट दिया है। इसी तरह माइकल लोबो और उनकी पत्नी को कांग्रेस ने टिकट दिया है।

जब इन लोगों के ज्यादा आदमी विधानसभा में होंगे तो ये कानून बनवा सकेंगे और बदल भी सकेंगे। ये सब एक-दूसरे के फैमिली फ्रेंड हैं। सरकार किसी की भी हो, लेकिन इनका एक ग्रुप हमेशा सरकार में होता है, जो दूसरे की मदद करता है। अब तो रियल एस्टेट लॉबी का दिल्ली से आने वाले IAS अफसरों के साथ भी एक नया नेक्सस बन चुका है। गोवा में पूरा खेल पैसों का है। पावरफुल लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।

कोर्ट हमारी बात सुन रहा है, ये सब तुरंत बंद होना चाहिए
गोवा बचाओ आंदोलन की मेंबर रेबोनी शाह कहती हैं, गैरकानूनी तरीके से ग्रीन लैंड को खत्म किया जा रहा है। हमने इसके खिलाफ कोर्ट में पिटीशन लगा रखी है, कोर्ट हमारी बात सुन भी रहा है। ये सब कुछ गोवा में रुकना चाहिए, वरना कुछ ही सालों में गोवा की आइडेंटिटी खत्म हो जाएगी। टूरिस्ट यहां मेंटल पीस के लिए आते हैं, लेकिन अब बड़ी इमारतों, कसीनो, ड्रग्स, प्रॉस्टीट्यूशन और गैंबलिंग ने सब बर्बाद कर दिया। सत्ताधारी पार्टी को चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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