तय हो गया VVIP नहीं डालते वोट … UP की सबसे बड़ी विधानसभा सीट पर सबसे कम 47% वोटिंग, कई बूथों पर 35% मतदान

वोटरों के लिहाज से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट साहिबाबाद (गाजियाबाद) में 10 फरवरी को वोटिंग भी सबसे कम 47.22 प्रतिशत हुई। कई बूथ तो ऐसे रहे, जहां मतदान प्रतिशत 35 से 40 प्रतिशत के बीच दर्ज हुआ। इस विस क्षेत्र में तमाम वीवीआईपी रहते हैं।

प्रसिद्ध कवि डॉक्टर कुमार विश्वास जैसे कई वीवीआईपी भी वोट डालने के लिए नहीं गए। कुमार विश्वास चुनाव वाले दिन मुंबई में मौजूद थे और गाजियाबाद नहीं आ पाए। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी सुरेश रैना ने भी मतदान नहीं किया। हालांकि, उनके पिता का कुछ दिन पहले ही निधन हुआ है, संभवत: इसी के चलते वह घर से बाहर नहीं निकल सके।

वोटरों की संख्या के हिसाब से साहिबाबाद सबसे बड़ी विस सीट है।
वोटरों की संख्या के हिसाब से साहिबाबाद सबसे बड़ी विस सीट है।

आंकड़ों में समझिए

गाजियाबाद जिले की साहिबाबाद विधानसभा सीट पर कुल मतदाता 10 लाख 20 हजार 386 हैं। इसमें पुरुष पांच लाख 76 हजार 308 और महिला मतदाता चार लाख 44 हजार 22 हैं। 10 फरवरी को इस सीट के लिए मतदान संपन्न हुआ। कुल 228 मतदान केंद्रों पर 1158 पोलिंग बूथ बनाए गए थे। 10 फरवरी को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक यहां कुल मतदान 44.22 फीसदी हुआ।

गाजियाबाद जिले की पांचों विधानसभा सीटों ही नहीं, पहले चरण के 11 जिलों की 58 सीटों में सबसे कम मतदान साहिबाबाद विधानसभा सीट पर हुआ। इस विधानसभा क्षेत्र के सनराइज एकेडमी, शिप्रा स्कूल, मेवल बीयल स्कूल, वैशाली स्थित स्कूल समेत करीब एक दर्जन मतदान केंद्रों पर पोलिंग 35 से 40 फीसदी हुआ है। कई बूथों पर पूरे-पूरे दिन सन्नाटा छाया रहा।

इंदिरापुरम, वसुंधरा, कौशांबी में फ्लैट कल्चर हैं। तमाम नौकरीपेशा इनमें रहते हैं, जो दिल्ली में भी नौकरी करते हैं।
इंदिरापुरम, वसुंधरा, कौशांबी में फ्लैट कल्चर हैं। तमाम नौकरीपेशा इनमें रहते हैं, जो दिल्ली में भी नौकरी करते हैं।

कम मतदान की ये हैं प्रमुख वजह

भाजपा नेता अंशुल गर्ग बताते हैं कि मतदान कम होने की कई वजह हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में वसुंधरा, इंदिरापुरम, वैशाली, कौशांबी, सूर्यनगर, प्रीतनगर जैसे इलाके हैं, जो वीवीआईपी कहलाए जाते हैं। इन इलाकों में तमाम वे नौकरीपेशा लोग रहते हैं, जो दिल्ली में नौकरी करते हैं। 10 फरवरी को दिल्ली में छुट्टी नहीं थे, इसलिए वे रोजाना की तरह अपनी ड्यूटी पर चले गए।

इसके अलावा आईटी सेक्टर में हजारों लड़के काम करते हैं, जो इन इलाकों में किराए के फ्लैट्स में रहते हैं। कोरोना के बाद से इनका वर्क फ्रॉम होम चल रहा है, इसलिए वे पिछले डेढ़-दो साल से अपने गांव-घर गए हुए हैं। कोविड का प्रकोप होने की वजह से भी बड़े परिवार के लोगों ने मतदान केंद्र पर जाने से परहेज किया।

इन बड़े परिवारों में तमाम राजनेता, अधिकारी और कारोबारी जैसे लोग भी हैं। इसके अलावा बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो नौकरी के चलते दूसरी जगह जाकर बस गए हैं, लेकिन वोट यहीं पर बनी हुई है। ये सब वजह मतदान प्रतिशत कम होने की रही हैं।

2012 में बनी थी यह विधानसभा सीट

साहिबाबाद विधानसभा सीट का अस्तित्व 2012 में आया। इससे पहले यह पूरा क्षेत्र गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट का हिस्सा था। साल 2012 में नए परिसीमन के बाद साहिबाबाद, इंदिरापुरम, खोड़ा, राजनगर एक्सटेंशन, राजेंद्रनगर, सूर्यनगर, वसुंधरा, कौशांबी आदि इलाकों को मिलाकर साहिबाबाद विधानसभा सीट बनाई गई। 2012 में इस सीट से बसपा के टिकट पर अमरपाल शर्मा ने पहली बार जीत दर्ज कराई।

2017 में भाजपा से सुनील शर्मा जीते। 2022 के चुनाव में भाजपा से सुनील शर्मा और सपा से अमरपाल शर्मा चुनाव मैदान में हैं। इसी विधानसभा क्षेत्र में हज हाउस और कैलाश मानसरोवर भवन बने हुए हैं। हज हाउस अखिलेश सरकार ने तो कैलाश मानसरोवर भवन योगी सरकार ने बनवाया था। चुनावी सभाओं के दौरान सीएम योगी ने इसे लेकर खूब बयानबाजी भी की।

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