योगी के स्टॉक एक्सचेंज कनेक्शन की इनसाइड स्टोरी … प्रमोशन और फैसले योगी से पूछकर होते थे, CEO चित्रा कहती थीं- वो तो कहीं भी प्रकट हो जाते हैं

एक योगी के इशारे पर कई सालों तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के बड़े फैसले लिए गए। हिमालय के इस रहस्यमय योगी को न तो किसी ने कभी देखा और न ही कोई उससे कभी मिला। इस योगी की कहानी पूरी तरह से फिल्मी है। इस कहानी के तीन मुख्य पात्र हैं। हिमालय का ये योगी खुद, NSE की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) चित्रा रामकृष्ण और ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम।

चित्रा कई सालों तक योगी के इशारे पर एक्सचेंज की गोपनीय जानकारी शेयर करती रहीं। 15 लाख रुपए के पैकेज वाले एक मिड-लेवल मैनेजर आनंद सुब्रमण्यम को 1.38 करोड़ रुपए के पैकेज पर नियुक्त कर दिया। प्रमोशन भी दिया। इन आरोपों की जांच के बाद 11 फरवरी को सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने रामकृष्ण पर 3 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई। सवाल किया तो बोलीं कि योगी तो कहीं भी प्रकट हो जाते हैं। अब रामकृष्ण के घर पर IT डिपार्टमेंट ने छापेमारी की है।

ऐसे में आपके मन में भी सवाल होगा कि हिमालय का योगी कौन है जिसके इशारे पर ये खेल चल रहा था? आनंद सुब्रमण्यम कौन है जिसे करोड़ों के पैकेज पर नियुक्त किया गया? SEBI को इस बारे में कैसे पता चला? SEBI को दिए जवाब में चित्रा रामकृष्ण ने क्या कहा? इस धांधली के सामने आने के बाद निवेशकों पर इसका क्या असर होगा? तो चलिए एक-एक कर इन सवालों को लेते हैं और इनके जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

सबसे पहले NSE क्या है?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) भारत का सबसे बड़ा फाइनेंशियल मार्केट है। इसका हेडक्वार्टर मुंबई में है। करोड़ों लोग रोजाना एक्सचेंज के जरिए शेयरों की खरीद-फरोक्त करते हैं। NSE पर रोजाना 49 करोड़ ट्रांजेक्शन होते हैं। NSE का एक दिन का टर्नओवर 64 हजार करोड़ रुपए के करीब है। 1992 में इनकॉरपोरेट हुए NSE के ऑपरेशन 1994 में शुरू हुए थे। इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम में NSE दुनिया में चौथे नंबर पर है। NSE भारत का पहला एक्सचेंज है जिसने निवेशकों को फुली ऑटोमेटेड इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की सुविधा दी।

NSE का हेडक्वार्टर मुंबई में है। एक दिन का टर्नओवर 64 हजार करोड़ रुपए के करीब है।
NSE का हेडक्वार्टर मुंबई में है। एक दिन का टर्नओवर 64 हजार करोड़ रुपए के करीब है।

चित्रा रामकृष्ण कौन हैं?
चित्रा रामाकृष्ण चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। 2013 में चित्रा NSE की पहली महिला MD और CEO बनी थीं। 2013 में चित्रा फोर्ब्स वूमन लीडर ऑफ द ईयर भी चुनी गई थीं। 2016 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सेबी को पूछताछ में उन्होंने बताया है वह हिमालय के एक रहस्यमय योगी की सलाह पर अपने फैसले लेती थीं। आनंद सुब्रमण्यम की भारी-भरकम पैकेज पर नियुक्ति भी चित्रा ने इसी रहस्यमय योगी के इशारे पर की थी। SEBI ने चित्रा रामाकृष्ण पर इन धांधलियों के लिए 3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। पूर्व CEO रवि नारायण पर भी 2 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगी है।

2013 में चित्रा NSE की पहली महिला MD और CEO बनी थीं। उन पर 3 करोड़ का जुर्माना लगा है।
2013 में चित्रा NSE की पहली महिला MD और CEO बनी थीं। उन पर 3 करोड़ का जुर्माना लगा है।

आनंद सुब्रमण्यम कौन है?
आनंद सुब्रमण्यम को 1 अप्रैल 2013 में चीफ स्ट्रैटेजिक ऑफिसर बनाया गया था और फिर 01 अप्रैल 2015 में प्रमोट कर ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर और एमडी और सीईओ का सलाहकार बनाया गया। 21 अक्टूबर 2016 तक वह इस पद पर रहें। NSE में आने से पहले बामर एंड लॉरी में आनंद की सैलरी 15 लाख सालाना थी, लेकिन NSE में उन्हें 1 करोड़ 38 लाख रुपए का भारी भरकम पैकेज दिया गया।

अगले साल मार्च में 20 पर्सेंट इंक्रीमेंट मिला और पांच हफ्ते बाद ही सैलरी और 15 पर्सेंट बढ़ा दी गई क्योंकि चित्रा ने आनंद को बेस्ट रेटिंग दी थी। 2016 तक पैकेज बढ़ाकर 4.21 करोड़ कर दिया गया था। आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति के वक्त HR डिपार्टमेंट को भी कंसल्ट नहीं किया गया था। इस पोस्ट के लिए केवल एक व्यक्ति का इंटरव्यू हुआ था जो आनंद सुब्रमण्यम थे। सुब्रमण्यन को हफ्ते में केवल 3 दिन ऑफिस आने की भी छूट थी। आनंद सुब्रमण्यम पर योगी ने 2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।

आनंद सुब्रमण्यम को 1 अप्रैल 2013 में NSE का चीफ स्ट्रैटेजिक ऑफिसर बनाया गया था
आनंद सुब्रमण्यम को 1 अप्रैल 2013 में NSE का चीफ स्ट्रैटेजिक ऑफिसर बनाया गया था

हिमालय का योगी कौन है?
हिमालय का योगी कौन है इस बात का पता नहीं चला है केवल बाबा की ईमेल आईडी rigyajursama@outlook.com मिली है। चित्रा रामकृष्ण ने सेबी को पूछताछ में बताया कि योगी परमहंस हैं। हिमालय रेंज में कहीं रहते हैं। बीस साल पहले गंगा के तट पर तीर्थ के दौरान मुलाकात हुई थी। चित्रा उस निराकार बाबा से ईमेल के जरिए पूछा करती थीं कि किस कर्मचारी को कितनी रेटिंग देनी है और किसे प्रमोशन देना है। नेशनल स्टाक एक्सचेंज की सारी महत्वपूर्ण जानकारी बाबा के साथ शेयर की जाती थीं। बोर्ड मीटिंग का एजेंडा तक बाबा को दिया जाता था। चित्रा के मुताबिक, योगी अपनी इच्छानुसार कहीं भी प्रकट हो सकते थे।

क्या आनंद सुब्रमण्यम ही योगी है?
सेबी की जांच से ऐसा लगता है कि योगी और कोई नहीं, बल्कि आनंद सुब्रमण्यम ही है। सेबी के मुताबिक, NSE भी अपनी जांच में इसी नतीजे पर पहुंचा था। कंसल्टेंसी फर्म E&Y के फॉरेंसिक ऑडिट में भी कहा गया है कि रामकृष्ण को खुद आनंद सुब्रमण्यम डायरेक्ट कर रहे थे। सुब्रमण्यम के डेस्कटॉप पर “anand.subramanian9” और “sironmani.10” नाम से स्काइप अकाउंट मिले थे। ये अकाउंट ‘rigyajursama@outlook.com’ और सुब्रमण्यम के मोबाइल नंबर से जुड़े थे। हालांकि, सेबी इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं खोज पाई है।

SEBI को इस फर्जीवाड़े की जानकारी कैसे मिली?
साल 2015 में एक व्हिसलब्लोअर ने मार्केट रेगुलेटर SEBI से को-लोकेशन स्कैम की शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि NSE में सीनियर मैनेजमेंट लेवल पर खूब धांधलेबाजी चल रही है। को-लोकेशन स्कैम का मतलब है सीक्रेट इंफॉर्मेशन पब्लिक होने से पहले कुछ इंडिविजुअल्स या कुछ ब्रोकर्स के साथ शेयर करना। इस जानकारी का इक्विटी मार्केट में कमाई करने के लिए उपयोग किया गया। उसी समय चित्रा का भी नाम सामने आया था। सेबी ने चित्रा को भी उस वक्त शो कॉज नोटिस भी भेजा था। SEBI ने हाल ही में अपनी जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट शेयर की है।

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने शिकायत के बाद जांच शुरू की थी
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने शिकायत के बाद जांच शुरू की थी

SEBI की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
6 साल की जांच के बाद पिछले हफ्ते शुक्रवार को 190 पन्नों वाला ऑर्डर जारी किया था। सेबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि MD और CEO रहने के दौरान चित्रा ने हिमालय के योगी से NSE की कई अहम जानकारियां शेयर कीं। कथित योगी की ईमेल आईडी rigyajursama@outlook.com पर ये जानकारी शेयर की जाती थी। योगी को ईमेल्स में ‘शिरोमणि’ कहने वाली चित्रा ने उसे ऑर्गनाइजेशन के स्ट्रक्चर से लेकर डिविडेंड, फाइनेंशियल रिजल्ट, एचआर पॉलिसी, बोर्ड मीटिंग का एजेंडा तक शेयर किया। इतना ही नहीं कर्मचारियों के परफॉर्मेंस अप्रेजल में भी योगी की सलाह ली जाती थी।

मामले पर पर ओपन डिबेट शुरू हुई
SEBI की इस रिपोर्ट के बाद सेबी, एनएसई, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स सभी की इमेज दांव पर है। कुछ लोग बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भी इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। सवाल पूछे जा रहे हैं कि ये सब क्यों हुआ? क्यों इसे इग्नोर किया गया? क्या पेनाल्टी लगाना सिर्फ फॉर्मैलिटी है। इस मामले पर पर ओपन डिबेट शुरू हो गई है।

बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने ट्वीट किया, ‘एक योगी चलाता रहा भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज को, एक पपेट मास्टर की तरह। गवर्नेंस में इतनी बड़ी खामी हैरानी की बात है। क्या कोई नजर नहीं रखता था?’ इस पर NSE में 2016 से 2020 तक बोर्ड मेंबर रहे टी वी मोहनदास पाई ने जवाब दिया, ‘झूठ न फैलाएं। NSE को कोई योगी नहीं चला रहा था।’

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि सरकार को इस मामले पर व्हाइटपेपर लाना चाहिए। उन्होंने कहा, 303 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैप वाले NSE को कोई बाबा चला रहा है। सेबी को पता ही नहीं है कि वो बाबा कौन है, कहा जा रहा है बाबा हिमालय पर रहते हैं।

क्या इस खुलासे का निवेशकों का कोई असर होगा?
एक्सपर्ट का कहना है कि निवेशकों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। कंपनी की बैलेंस शीट ठोस है और हेरफेर से जुड़ी कोई चिंता नहीं है। एक्सपर्ट को लगता है कि अतीत में रहने के बजाय भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए।

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