आजमगढ़ .. कौन देगा इन 3 निदोर्षों के 13 साल का हिसाब?:

आजमगढ़ के तीनों आरोपी बरी, साकिब खेलकूद में था अव्वल, हबीब चलाता था मोबाइल की दुकान….

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के 49 आरोपियों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इन आरोपियों में छह आजमगढ़ के रहने वाले हैं। इनमें आजमगढ़ के बीनापार का रहने वाला अबू बशर इस हमले का मास्टर माइंड था। अबू बशर का अहमदाबाद ही नहीं लखनऊ, जयपुर और दिल्ली में हुए बम धमाकों में भी नाम आया था।

इनके गैंग का नाम भी इंडियन मुजाहिद्दीन आजमगढ़ मॉड्यूल के नाम से चिह्नित किया गया था। इसके अलावा, कोर्ट ने ब्लास्ट के 3 आरोपियों को बरी कर दिया है। इनके नाम साकिब शेख, जाकिर शेख और मोहम्मद हबीब है। साकिब का परिवार जिले में उस समय था भी नहीं, जब गिरफ्तारी हुई थी। इस समय भी नहीं रहता है। उनके करीबियों का कहना है कि बेकसूर होकर तीनों 14 साल तक जेल में रहे। इनकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई। इसका हिसाब कौन देगा?

मोबाइल की दुकान चलाता था हबीब
अहमदाबाद ब्लास्ट में आरोपी और बरी हो चुके जिले के निजामाबाद थाने के बारी खास का रहने वाला हबीब 2008 से पहले निजामाबाद में मोबाइल की दुकान चलाता था। हबीब के करीबी का कहना है कि पढ़ाई के दौरान ही हबीब के संबंध बीनापार के रहने वाले अबू बशर से हो गए थे। हबीब के जेल जाने के बाद मिली सहानुभूति में हबीब के बड़े भाई राशिद प्रधान भी चुन लिए गए। करीबी का कहना है कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। मोबाइल जिस दुकान से ले जाता था, शाम को पैसे देने जाता था। हालांकि, अचानक ही हबीब की हालत में बदलाव आया। उसके पास लैपटॉप और कार आ गए।

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का प्रतीकात्मक फोटो।
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का प्रतीकात्मक फोटो।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अचानक पैसा आने लगा। हबीब के निकाह के 4 दिन बाद ही रिश्ता भी टूट गया था। मामले में आरोपित जाकिर शेख व शाकिब के परिवार की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं। हालांकि अदालत द्वारा निर्दोष घोषित किए जाने के बाद भी इनके परिजन कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं।

साकिब खेलकूद में अच्छा था

साकिब शेख, जाकिर शेख के परिवार वाले कुछ बोलने को तैयार नहीं है। इलाके के एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि साकिब शेख शुरुआत से खेल-कूद में बहुत बढ़िया था। अपने परिवार में वो सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा था। अक्सर वो मोहल्ले में छोटे बच्चों के साथ खेलता था। उसे बच्चे बहुत प्यार करते थे। अचानक से उसका नाम सीरियल ब्लास्ट में आने के बाद लोगों ने उनके घर वालों से नाता तोड़ दिया। लोगों को लगने लगा था कि वह आतंकवादी है। उसकी गिरफ्तारी के बाद पूरा परिवार गांव भाग गया। इसी तरह से जाकिर शेख के परिवार वाले भी उस दिन से गायब हो गए।

संजरपुर गांव की फोटो जहां पर जाकिर शेख रहता था।
संजरपुर गांव की फोटो जहां पर जाकिर शेख रहता था।

अबू बशर हमले का मास्टर माइंड था
आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के बीनापार निवासी अबू बशर को हमले का मास्टर माइंड था। इसके साथ ही संजरपुर निवासी मोहम्मद आरिफ, बाज बहादुर निवासी मोहम्मद सैफ, कंधरापुर थाना क्षेत्र के शाहपुर निवासी शकीब निसार, बदरका चौकी का रहने वाला शैफुर रहमान ब्लास्ट में शामिल रहे।

लड़कों को मिला कैपिटल पनिशमेंट
संजरपुर के रहने वाले रिहाई मंच के मसीरूद्दीन संजरी का कहना है कि जिले के लड़कों को सजा सुनाई जा चुकी है। आजमगढ़ के लड़कों को कैपिटल पनिशमेंट दिया गया है। मेरा मानना है कि मामले में बहुत सारे महत्वपूर्ण बिन्दु हैं, जिस पर कोर्ट ने ध्यान नहीं दिया। इस मामले को लेकर हम लोग हाईकोर्ट जाएंगे। हमें उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा। संजरपुर के ही रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता तारिक शफीक का कहना है कि हमारा अगला कदम न्यायालय है। हम लोग मामले को लेकर अपील करेंगे। तारिक शफीक का कहना है कि कुछ न कुछ कमी रह गई है, हमें उम्मीद है कि वह कमीं नहीं रहेगी और जिले के जो लड़के हैं वह बाइज्जत बरी होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *