मोदी सरकार ने अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी

2022-23 से 2025-26 तक की अवधि के दौरान अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी

आईसीजेएस का दूसरा चरण प्रभावी, आधुनिक पुलिस व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

परियोजना को 3,375 करोड़ रुपये की कुल लागत से केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू किया जाएगा

नई दिल्ली …

मोदी सरकार ने 2022-23 से 2025-26तक की अवधि के दौरान कुल 3,375 करोड़ रुपये की लागत से अंतर-संचालन योग्य (इंटर-ऑपरेबल)आपराधिक न्याय प्रणाली आईसीजेएस परियोजना को गृह मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किये जाने की मंजूरी दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में आईसीजेएस परियोजना का दूसरा चरण प्रभावी और आधुनिक पुलिस व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। परियोजना को केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू किया जाएगा।

मोदी सरकार ने अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी,मोदी सरकार ने अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी,मोदी सरकार ने अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी

आईसीजेएस प्रणाली को उच्च गति की कनेक्टिविटी के साथ एक समर्पित और सुरक्षित क्लाउड-आधारित अवसंरचना के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र एनआईसी के सहयोग से परियोजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी पर होगी। इस परियोजना को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से लागू किया जाएगा।

अंतर-संचालन योग्य आपराधिकन्याय प्रणाली आईसीजेएस मुख्य आईटी प्रणाली के एकीकरणके लिए एक राष्ट्रीय प्लेटफार्म है, जिसका उपयोग निम्न पांच स्तंभों के माध्यम से देश में आपराधिक न्याय को लागू करने के लिए किया जाता है: –

-पुलिस (अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग और नेटवर्क प्रणाली),

– फोरेंसिक लैब के लिए ई-फोरेंसिक,

– न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट

– लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रासक्यूशन

– जेलों के लिए ई-जेल

आईसीजेएस परियोजना के पहले चरण में, अलग-अलग आईटी प्रणालियों को लागू और व्यवस्थित किया गया है तथा इन प्रणालियों पर रिकॉर्ड की खोज करने को भी सक्षम किया गया है। दूसरे चरण के तहत, प्रणाली को ‘एक डेटा, एक प्रविष्टि’ के सिद्धांत पर तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत डेटा केवल एक स्तंभ में केवल एक बार दर्ज किया जाता है और फिर वही डेटा अन्य सभी स्तंभों में उपलब्ध होता है। इसके लिए प्रत्येक स्तंभमें डेटा को फिर से दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है।

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