हिजाब पर सुनवाई के 8 दिन, जानिए क्या हुआ … वकील बोले- चूड़ी, घूंघट और क्रॉस पर सवाल क्यों नहीं; सरकार ने कहा- हिजाब पर भी बैन नहीं लगाया
हिजाब बैन विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट में 8 दिन से सुनवाई चल रही है। शुरुआती 4-5 दिनों में छात्राओं के वकीलों ने अपनी दलीलें पेश कीं। इसके बाद सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल अपने तर्क रख रहे हैं।
चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस जेएम खाजी और जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की बेंच 10 फरवरी से दोनों पक्षों को सुन रही है। बेंच ने कहा है कि हम इसी हफ्ते ट्रॉयल पूरा करेंगे। हम यहां 7 ग्राफिक्स में 7 दिनों की सुनवाई की हाईलाइट्स पेश कर रहे हैं। इसके बाद 8वें दिन की बहस को विस्तार से बताएंगे, लेकिन उससे पहले इस मसले पर हम आपकी राय जानना चाहते हैं।
आठवां दिनः मुस्लिमों में बलि का विकल्प तो हिजाब की अनिवार्यता कैसे?
8वें दिन कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने पर अटॉर्नी जनरल नवदगी ने कहा कि कुरान के किसी भी सूरा में बलि को अनिवार्य नहीं बताया गया। इसी तरह हिजाब भी वैकल्पिक है।
जस्टिस अवस्थी ने पूछा- मान लीजिए कि अगर कोई अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत हिजाब पहनना चाहता है। तो क्या आप उसके मौलिक अधिकार पर रोक लगाएंगें?
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि देश में हिजाब पर कोई बैन नहीं है। अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत हिजाब पहनने का अधिकार तो है, लेकिन उचित प्रतिबंधों के अधीन है। स्कूल-कॉलेज इस पर प्रतिबंध लगाते हैं, क्योंकि यह संस्थान के आंतरिक अनुशासन का मामला है।
जस्टिस अवस्थी ने कहा- अगर कोर्ट मान ले कि हिजाब एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा है, तो जो मुस्लिम महिलाएं इसे नहीं पहनती हैं, यह उनकी गरिमा को कम करने वाला हो सकता है। इस पर अटॉर्नी जनरल ने अपनी सहमति जाहिर की।
आर वेंकटरमाणी ने एक शिक्षक की तरफ से दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के रूप में मैं कक्षा में एक स्वतंत्र दिमाग रखना पसंद करूंगा। आपकी जो भी प्रथा हो, अगर वह सार्वजनिक व्यवस्था, स्वास्थ्य या नैतिकता के साथ टकराती है, तो राज्य इसे रोक सकता है।
कर्नाटक हिजाब विवाद की पूरी टाइमलाइन
- इस विवाद की शुरुआत कर्नाटक के उडुपी से हुई। 31 दिसंबर 2021 को पीयू कॉलेज में हिजाब पहन कर आई 6 छात्राओं को कक्षा में प्रवेश से रोक दिया गया।
- दो फरवरी को कुंडापुर में भी हिजाब पर विवाद हुआ। हिजाब के विरोध में हिंदू छात्र-छात्राएं भगवा स्कार्फ पहनकर कॉलेज पहुंचने लगे।
- पांच फरवरी को राज्य सरकार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 1983 की धारा 133 लागू कर दी। इसके अनुसार सभी स्टूडेंट्स को स्कूल-कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य कर दिया गया।
- 8 फरवरी को हिजाब विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। सरकार के आदेश के खिलाफ 8 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर 10 फरवरी से सुनवाई चल रही है।