महीने में सिर्फ 1000 रुपये कमाने वाला ये युवक है आज 200 करोड़ की कंपनी का मालिक, जाने कैसे पहुंचा फर्श से अर्श तक
Success Story : बरेली (Bareilly) के Kshitij Agarwal की फर्श से अर्श पर पहुंचने की कहानी मध्यमवर्गीय (Middle Class) युवाओं के लिए काफी प्रेरणादायक है। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर मिलने वाले कुछ पैसों से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले क्षितिज अग्रवाल आज 200 करोड़ का टर्नओवर करने वाली टेकिला ग्लोबल सर्विसेज (Tekila Global Services) के मालिक है। उनकी कंपनी में भारत और अमेरिका के करीब 300 युवा काम करते हैं।
बरेली Success Story : कभी बरेली (Bareilly) की गलियों में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर महज एक हजार रुपये कमाने वाले क्षितिज अग्रवाल (Kshitij Agarwal) आज 200 करोड़ की कंपनी के मालिक हैंं। क्षितिज ने यह सफलता यूं ही हासिल नहीं की है। उन्हें इसके लिए काफी पापड़ बेलने पड़े हैं। मध्यमवर्गीय (Middle Class) युवाओं के लिए उनकी कहानी काफी प्रेरणादायक है। क्योंकि जिस तरह उन्होंने अभावों के बीच खुद ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई की और संषर्ष किया वह वाकई में इतना आसान नहीं था। आज उनकी कंपनी टेकिला ग्लोबल सर्विसेज (Tekila Global Services) में देसी-विदेशी करीब 300 लोग काम करते हैं। अब क्षितिज अग्रवाल अपने बरेली के 100 युवाओं को रोजगार देने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं उनकी कंपनी युवाओं को वर्तमान में फ्री सेल्सफोर्स (Salesforce) की भी शिक्षा दे रही है।
क्षितिज बताते हैं कि बीटेक की पढ़ाई के साथ उन्हें लोन चुकाने के लिए दो कोचिंग सेंटर में पार्ट टाइम पढ़ाने का काम मिल गया। दोनों चीजों को मैनेज करने के लिए वह सुबह 6 बजे उठते थे। शाम 5 बजे तक वह कॉलेज में पढ़ाई करते और उसके बाद कोचिंग में पढ़ाकर राज 10 बजे तक घर लौट पाते थे। इस तरह उन्होंने लोन की किस्त चुकाते हुए बीटेक की पढ़ाई पूरी की। 2008 में बीटेक करने के बाद आइबीएम में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर उनकी 25 हजार रुपये की पुणे में नौकरी लग गई। जहां से उन्हें अमेरिका जाने का अवसर मिला। 2011 में उन्होंने कंपनी के लिए बड़ी डील करा दी। उस दौरान उन्हें लगा कि वह इस काम को अपने लिए कर सकते हैं। जैसे ही वह अमेरिका से लौटे ताे उन्होंने तय किया कि अब नौकरी नहीं करेंगे, बल्कि लोगों को नौकरी देंगे।
क्षितिज ने बताया कि उन्होंने जिस अमेरिका में नौकरी की आज उसी देश के लोग उनके यहां नौकरी करते हैं। उनकी कंपनी के 8 प्रमुख पदों पर अमेरिकी युवा हैं। उन्होंने बताया कि अब उनका सपना बरेली के इंजीनियरों काे रोजगार देना है। इसके लिए उन्होंने एक बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसमें 100 युवाओं को काम देने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि सेल्सफोर्स क्लाउड पर आधारित एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट तकनीक है, जिसे कोई भी कंपनी कस्टमाइज कर सकती है।