बच्चे के विवाह से पहले उसके साथी की योग्यताओं की ठीक से परख जरूर करें

कहानी

मनु और शतरूपा मनुष्यों के पहले माता-पिता माने जाते हैं। उनके दो बेटे और तीन बेटियां थीं। सबसे छोटी बेटी थी प्रसुति। उसका विवाह प्रजापति दक्ष से हुआ था। दक्ष यानी बहुत अधिक योग्य व्यक्ति।

दक्ष और प्रसुति के यहां सोलह कन्याएं पैदा हुईं। पति-पत्नी ने विचार किया कि हमें अपनी कन्याओं की शादी ऐसे व्यक्ति से करनी चाहिए जो इनकी योग्यता के अनुसार इनके साथ जीवन यापन करे। पुरुष प्रधान समाज है, लेकिन हमारी बेटियों की योग्यताओं को भी इनका जीवन साथी उजागर करे, सम्मान दे।

सोलह कन्याओं में से 13 कन्याओं का विवाह धर्म के साथ किया गया। एक कन्या का विवाह अग्नि देव से किया। एक का विवाह पितृदेव से किया। सोलहवीं कन्या सती का विवाह शिव जी से किया गया।

दक्ष-प्रसुति ने एक-एक कन्या की योग्यता के अनुसार उनके लिए पति का चयन किया था। धर्म के साथ जिन तेरह कन्याओं का विवाह किया गया, उनकी अपनी अलग-अलग खूबियां थीं, ये सभी धर्म की खूबियां बन गईं। श्रद्धा, मैत्री, दया, शांति, तुष्टि यानी प्रसन्नता, पुष्टि यानी पोषण, क्रिया, उन्नति, बुद्धि, मेधा, इतिक्षा यानी न्याय से उत्पन्न दुख, रीम और मूर्ति, ये सभी धर्म की पत्नियां और ये ही धर्म की खूबियां भी हैं। धर्म की पत्नियों के नाम ही इनकी योग्यता है।

धर्म ने अपने ससुर दक्ष से पूछा, ‘आपने मुझे तेरह कन्याएं क्यों सौंपी?’

दक्ष ने कहा, ‘मैंने सोच-समझकर तेरह कन्याओं की शादी आपसे की है। आप धर्म हैं, जो लोग धर्म पर टिकना चाहते हैं, उन्हें धर्म की इन तेरह कन्याओं की विशेषताएं मालूम होनी चाहिए और आप ये बात सभी तक पहुंचाएंगे।’ बाद में धर्म ने ऐसा ही किया।

सीख

जब भी संतान के जीवन साथी का चयन किया जाए तो उस व्यक्ति की योग्यताओं को भी परखना चाहिए। वैवाहिक जीवन सभी सुखद रहता है जब पति-पत्नी एक-दूसरे की योग्यताएं जानते हैं और उन योग्यताओं के अनुसार जीवन यापन करते हैं। पति को अपनी पत्नी की योग्यता को निखारने की कोशिश करनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *