Gwalior Health News …. मेडिकल हब बनता ग्वालियर
ग्वालियर मेडिकल हब बनता जारहा है, यहांं पर उपचार की आधुनिक सुविधाएं व अस्पताल बनते जा रहे हैा….
चिकित्सा सेवाओं के मामले में ग्वालियर पर दूसरे जिलों के साथ-साथ आसपास के राज्यों से आने वाले मरीजों का विश्वास बढ़ता जा रहा है। लोग दूरदराज से गंभीर बीमारियों का इलाज कराने ग्वालियर आने लगे हैं। शहर में बढ़ती बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, आधुनिक तकनीक और डाक्टरों का अनुभव मरीजों का विश्वास जीत रहा है। ़यिही कारण है कि देशभर के बड़े ग्रुप ग्वालियर में अपनी सेवाएं देने के लिए लालायित हैं। एचसीजी, मेदांता, सर गंगाराम, मैक्स, अपोलो जैसे बड़े ग्रुप के डाक्टर आज शहर के निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। ग्वालियर ने जिस तरह से बीते समय में चिकित्सा क्षेत्र में काम किया है, उससे साफ है कि भविष्य में ग्वालियर प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं के मामले में केंद्र बिंदू होगा। जहां बड़े-बड़े ग्रुप खड़े होंगे।
कुछ बड़े ग्रुप शहर के निजी अस्पतालों के साथ मिलकर सेवाएं देने की तैयारी कर रहे हैं। शहर में दो बड़े निजी अस्पताल बड़े ग्रुप के साथ अपनी सेवाएं शुरू करने वाले हैं। एक अस्पताल थाटीपुर में और दूसरा झांसी हाइवे पर तैयार हो रहा है। आने वाले समय में एस्कार्ट जैसे बड़े ग्रुप ग्वालियर में आ सकते हैं। जल्द ही लिवर, किडनी व दूसरे अंगों का ट्रांसप्लांट शुरू होगा। इससे ब्लड कैंसर, थैलीसीमिया के मरीजों को अगर बोनमैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ती है तो उन्हें बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ह्दय रोगी वाल्व खराब होने पर शहर में ही इलाज ले सकेंगे। ग्वालियर में आए कुछ ग्रुप जल्द ही फेंफड़े के ट्रांस्प्लांट की सुविधा लाने की तैयारी में हैं।
शहर में 290 निजी अस्पताल दे रहे स्वास्थ्य सेवाएं
पिछले कुछ सालों में ग्वालियर में एक सैकड़ा से अधिक अस्पताल खोले गए और इन अस्पतालों में आधुनिक मशीनों को जुटाया गया। जिले में करीब 290 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। जिनमें 50 बेड से अधिक संख्या के मरीब 100 अस्पताल हैं। इन अस्पतालों में नई पद्घति व तकनीक से इलाज की सुविधा मौजूद है। यही कारण है कि दूर दराज से मरीज इलाज लेने ग्वालियर आते हैं।
– 1952 में महिला व बच्चों के इलाज के लिए जेएएच परिसर में ही कमलाराजा अस्पताल का निर्माण शुरू हुआ।
– 1916 सराफा बाजार में मध्य भारत के पहले राजकीय चिकित्सा विद्यालय की शुरुआत हुई।
– 1956 में इसे आमखो, कंपू शिफ्ट किया गया। अब यह स्वशासी आयुर्वेद कालेज के नाम से पहचाना जाता है।
– 1936 में मनोरोगियों के इलाज के लिए 212 बिस्तर के अस्पताल शुरू किया गया। इस अब मानसिक आरोग्यशाला के नाम से जाना जाता है।
माधवराव सिंधिया के जन्म पर उपहार में मिला जीआरएमसी
वर्ष 1945 में माधवराव सिंधिया का जन्म हुआ था। ग्वालियर राज घराने व राज्य को बारिश मिल चुका था। यह खबर जब घनश्याम दास बिरला को लगी तो वह जीवाजी राव से मिलने राजमहल पहुंचे। उन्होंने पुत्र रत्न की बधाई देते हुए जीवाजी राव को भेंट के रूप में 10 लाख रुपये का चेक भेंट किया। इच्छा जताई कि इस राशि से जनहित का कार्य हो, तभी सात मौजूद डा. भगत सहाय ने मेडिकल कालेज का प्रस्ताव रखा तो जीवाजी राव ने सहमति दे दी।
मेडिकल कालेज बनाने आम का बाग की जमीन दिलाई
डा. भगवत सहाय को चेक से पैसा तो मिल चुका था, पर जरूरत थी जमीन की। जमीन भी जयारोग्य चिकित्सालय के पास में ही चाहिए थी। यह बात जीवाजी राव के सामने रखी गई। उन्होंने कटोराताल के सामने से लेकर माढ़रे की माता तक की पूरी जमीन मेडिकल कालेज को देने का निर्णय कर लिया। पर समस्या थी कि जिस स्थान पर कालेज का निर्माण होना था, वहां भाऊ साहब की कोठी थी। मेडिकल कालेज का पूरा परिसर उस समय आम का बाग हुआ करता था। जीवाजी राव ने जनता के हित की बात भाई साहब के सामने रखी, जिस पर उन्होंने कालेज के लिए जमीन दे दी।
दो साल में बनकर तैयार हुआ भवन
वर्ष 1946 में मेडिकल कालेज के भवन निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया। शुरुआत में मुख्य भवन ही बनाया गया था। भवन का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया कि वहां पर सभी विभाग के लिए अलग से कक्ष उपलब्ध हो सकें। मेडिकल कालेज प्रारूप में एनाटोमी विभाग से लेकर अन्य विभागों की भी रूप रेखा तैयार की गई थी। कालेज का मुख्य भवन करीब दो साल में वर्ष 1948 में बनकर तैयार हो गया था।
शहर में खुलेंगी 17 पोलीक्लीनिक
केंद्र के सहयोग से प्रदेश सरकार शहर में 17 पोलीक्लीनिक खोलने जा रही है। शहर में 35 स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं, जिन्हें बढ़ाकर 51 किया जा रहा है। हर तीन शहरी स्वास्थ्य केंद्र पर एक पोलीक्लीनिक तैयार की जा रही है।
नई तकनीक और अनुभवी डाक्टर दे रहे बेहतर इलाज
जिस तरह से निजी अस्पतालों से बड़े ग्रुप जुड़ रहे हैं। ठीक वैसे ही सरकार भी स्वास्थ्य की दृष्टि से ग्वालियर को मजबूत कर रही है। पिछले कुछ समय में शहर के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। सरकारी अस्पतालों में आधुनिक मशीनों से लेकर डाक्टर की उपलब्धता तेजी से बढ़ी है। शहर को एक हजार बिस्तर अस्पताल की सौगात जल्द मिलने वाली है, जबकि सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल बनकर तैयार हो गया है। ़जियारोग्य अस्पताल: 50 से 1250 हुई बिस्तरों की क्षमता़जियारोग्य अस्पताल वर्ष 1889 में 50 बिस्तर से शुरू हुआ था। पहले केवल एक पत्थर वाली बिल्डिंग ही बनी थी। आज यहां 1250 बेड की क्षमता है। अब इस परिसर में प्लास्टिक सर्जरी, आइसीयू, कार्डियोलाजी, कैंसर, सुपर स्पेशियलिटी, ट्रामा सेंटर, कमलाराजा अस्पताल और अब एक हजार बिस्तर अस्पताल बनकर तैयार होने वाला है। जिसके बाद जयारोग्य चिकित्सालय दो हजार बेड का होगा। जयारोग्य अस्पताल अत्याधुनिक मशीनों से लेकर आक्सीजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ है। जहां प्लांट से लेकर आक्सीजन टैंक लगाए जा चुके हैं।
आधुनिक मशीनों से तैयार सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल
जेएएच के सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल केंद्र व प्रदेश सरकार के सहयोग से 165 करोड़ की लागत से बनकर तैयार है। जहां पर गंभीर बीमारियों का ही इलाज होता है। इलाज के लिए माड्यूलर ओटी से लेकर सीटी, एमआरआइ, एक्स-रे, अत्याधुनिक मशीनों से लैस आइसीयू, वेंटिलेटर और विषय विशेषज्ञ डाक्टरों की उपलब्धता है।
एक हजार बिस्तर: सी ब्लाक में तैयार हो चुके हैं 500 बिस्तऱजियारोग्य अस्पताल का विस्तार हुआ है और बगल से ही एक हजार बिस्तर अस्पताल बनकर तैयार हो रहा है। जिसका 500 बेड का सी ब्लाक लगभग तैयार है। ए व बी ब्लाक का काम तेजी से चल रहा है। इस अस्पताल की खास बात यह होगी कि एक छत के नीचे हर प्रकार की जांच से लेकर संपूर्ण इलाज मरीज को दिया जाएगा। जिसमें अत्याधुनिक मशीनों की उपलब्धता कराई जा रही है। इस अस्पताल को मैक्स, वेदांता व सर गंगाराम की तर्ज पर ही स्वास्थ्य सेवाओं में मजबूती दी जाएगी।
आजाद भारत में उद्घाटन
जिन दो सालों में मेडिकल कालेज के भवन निर्माण हुआ, उसमें देश में बहुत कुछ बदल चुका था। अंग्रेज भारत छोड़ चुके थे और हिंदुस्तान आजाद हो चुका था। उस समय पं. जवाहरलाल नेहरु प्रधानमंत्री और सरदार वल्लभ भाई पटेल उप प्रधानमंत्री बने थे। ग्वालियर के राजा का पूरा राज्य स्वतंत्र हिन्दुस्तान में शामिल कर लिया गया था। ऐसे में जब मेडिकल कालेज का भवन तैयार हुआ तो उसके उद्घाटन करने के लिए उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ग्वालियर आए थे।
सरकारी व निजी अस्पतालों की लैब आधुनिक मशीनों से हुई लैस
ग्विालियर में निजी व सरकारी अस्पतालों की पैथोलाजी पिछले कुछ समय से तेजी से अपडेट हुई हैं। यहां पर फेफड़ों के संक्रमण से लेकर कैंसर के टिश्यू की जांच की सुविधा बढ़ी है। निजी क्षेत्र में बड़े ग्रुपों ने अपनी आमद दर्ज कराई, जैसे लाल व पैथकाइंड जैसे ग्रुप शहर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं सरकारी अस्पताल की पैथोलाजी भी हाइटेक हुई है और अधुनिक मशीनों से जांच की जा रही है।