नॉर्मल डिलेवरी चाहती हैं तो प्रेग्नेंसी के दौरान करें यह काम

महिलाएं और उनके परिजन चाहते हैं कि उनकी बहू -बेटियों की डिलेवरी नॉर्मल हो, उन्हें ऑपरेशन नहीं करवाना पड़े….

भोपाल. अधिकतर महिलाएं और उनके परिजन चाहते हैं कि उनकी बहू -बेटियों की डिलेवरी नॉर्मल हो, उन्हें ऑपरेशन नहीं करवाना पड़े, अगर आप भी ऐसा ही चाहती हैं, तो प्रेग्नेंसी के दौरान आपको फिजियोथैरेपी करवाना होगा, ये हम नहीं कह रहे हैं, ये बात खुद विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है।

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कोलार की रहने वाली 23 साल की मिनाक्षी सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई और उसके पीठ का ऑपरेशन हुआ था। एक साल बाद जब मिनाक्षी प्रेग्नेंट हुई तो डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी। पीठ के ऑपरेशन के चलते नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती, लेकिन मिनाक्षी ने फिजियोथैरेपिस्ट से सलाह ली और करीब छह महीने सेशन के बाद नॉर्मल डिलीवरी हुई। इसी तरह मन्नीपुरम में रहने वाली एक महिला का पहला बच्चा सीजेरियन हुआ था, लेकिन वह दूसरा बच्चा नॉर्मल ही चाहती थी। उन्होंने फिजियोथैरेपी सेशन लिए और नॉर्मल डिलेवरी हुई।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक प्रदेश में हर साल 1३ लाख से ज्यादा प्रसव होते हैं, इनमें से 1.34 लाख प्रसव निजी अस्पतालों में होते हैं। फिजियोथैरेपी विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान अगर फिजियोथैरेपी की जाए तो 95 फीसदी प्रसव नॉर्मल हो सकते हैं।

चंडीगढ़ में हुआ था 174 महिलाओं पर शोध
पीजीआई चंडीगढ़ में 174 गर्भवती महिलाओं पर शोध किया गया। इसके लिए महिलाओं को तीन ग्रुप में बांटा गया। दो ग्रुप में शामिल महिलाओं को एक्सरसाइज, पॉस्चरल करेक्शन, रेग्युलर वॉङ्क्षकग और इलेक्ट्रोथैरेपी दी गई । 93 % को गर्भावस्था के दौरान होने वाली दिक्कतें ना के बराबर हुईं।

फिजियोथैरेपी से कम होती है यह तकलीफ
फिजियोथैरेपी विशेषज्ञ डॉ सुनील पांडे बताते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे की ग्रोथ के साथ मां के लोअरबैक मसल्स टाइट और शॉर्ट हो जाते हैं, जिससे दर्द बढ़ जाता है। इसके अलावा कमर और गर्दन में अतिरिक्त भार और हारमोनल बदलाव के कारण जोड़ भी ढीले होने लगते हैं। यही नहीं कमर में दर्द नसों में सूजन, कूल्हों में दर्द के साथ अन्य समस्याएं भी होने लगती हैं। अगर गर्भावस्था के दौरान नियमित व्यायाम और फिजियोथैरेपी सेशन हो तो इन समस्याओं को काफी कम किया जा सकता है।

तीसरे महीने से जरूरी फिजियोथैरेपी
कंसलटेंट फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. रुचि सूद बताती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान पैल्विक फ्लोर को बेहतर बनाते हैं। जिससे नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है। फिजियोथेरेपी से बैक पैन कम तो होता ही है पोश्चर ठीक कराने से भी डिलीवरी के बाद होने वाली दिक्कतें कम हो जाती हैं।

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