81 इंदौरियों की मौत पर अन्याय …. 3607 मरीजों पर ड्रग ट्रायल के दोषी डॉक्टरों ने कमाए 5 करोड़; वसूली करके क्लीनचिट देगी सरकार!
ड्रग ट्रायल के आरोपी डॉक्टर्स से उनकी कमाई का 50% जमा कर उनके खिलाफ जांच बंद करने की तैयारी है। लेकिन, सबसे दर्दनाक तस्वीर उन पीड़ितों की है, जिन्हें 10 साल से मुआवजे के नाम पर फूटी कौड़ी तक नहीं मिली है। वे इतने सालों में अदालतों और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर थक गए हैं।
ड्रग ट्रायल के बदले कमाए थे 5 करोड़ रुपए
सूचना के अधिकार के तहत निकाली गई ईओडब्ल्यू (EOW) की जांच रिपोर्ट के अनुसार इंदौर के छह डॉक्टर्स ने सरकार की इजाजत के बिना मरीजों और उनके परिजन समेत 3607 लोगों पर दवाओं का ट्रायल किया। इस ट्रायल के दौरान 81 मरीजों की मौत हुई, जबकि डॉक्टर्स ने इस ड्रग ट्रायल के एवज में कंपनियों से 5 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाए।
7 डॉक्टर्स से पहले हो चुकी वसूली
कॉलेज की ऑटोनोमस बॉडी द्वारा नियुक्त सात डॉक्टर्स से पहले ही कमाई का 10% हिस्सा लेकर जांच बंद की जा चुकी है। इनमें डॉ. अपूर्व पुराणिक, डॉ. वी.एस. पाल, डॉ. पाली रस्तोगी और डॉ. अभय पालीवाल का नाम शामिल हैं। अब प्रदेश सरकार के डॉक्टर्स को राशि जमा करने के नोटिस दिए हैं। ताज्जुब की बात तो ये है कि इस राशि का क्या होगा यह अभी तक तय नहीं है।
ट्रायल हम पर हुए थे, फिर सरकार क्यों ले रही पैसा
क्लिनिकल ट्रायल्स विक्टिम्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अजय नाइक कहते हैं कि 81 लोग ट्रायल के बाद मारे गए थे। अब तक किसी को मुआवजा नहीं दिया गया है। सरकार किस आधार पर ये राशि ले रही है। यह राशि पीड़ितों के परिवार को दी जानी चाहिए।
EOW की रिपोर्ट- 81 मरीजों की मौत, डॉक्टर्स ने कमाए 5 करोड़
इन्हें बरी कर रहे, हम अभी तक हाजिरी दे रहे
एथिकल कमेटी के समक्ष पहली सुनवाई के दौरान डॉक्टर्स व पीड़ितों के परिजन में झूमा-झटकी हुई थी। एक पीड़ित के परिजन पर सरकारी काम में बाधा का केस दर्ज किया। एडवोकेट अपूर्व जैन कहते हैं, जिन्होंने अपराध किया उन्हें बरी कर रहे और हम कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं।
अभी तक तय नहीं इस राशि का क्या करेंगे
डॉक्टर्स से जो राशि वसूल की जा रही है उसका क्या किया जाएगा, यह अब तक तय नहीं है। 2010-11 में भी डॉक्टर्स से स्वशासी मद में पैसा जमा कराया गया था। तत्कालीन डीन ने आला अफसरों से पूछा कि इसका क्या करना है तो जवाब मिला अभी एफडी करा दो बाद में देखेंगे।
मैं कुछ नहीं बता पाऊंगा
इस मामले में संचालक चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) डॉ. जितेंद्र शुक्ला कहते हैं कि यह प्रक्रिया शासन स्तर पर हो रही है, इसलिए इस राशि के उपयोग को लेकर मैं कुछ नहीं बता पाऊंगा।