संघ के सौवें साल में 9 लक्ष्य … सरसंघचालक मोहन भागवत ने काशी में दिया मंत्र- युवाओं, गांवों और मजदूरों को जोड़ने से जुड़ेगा भारत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत पांच दिवसीय काशी दौरे पर हैं। आज उनके काशी-प्रवास का आखिरी दिन है। साल 2025 में RSS अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा। इस लिहाज से सरसंघचालक का काशी दौरा बेहद ही अहम माना जा रहा है। काशी प्रवास के दौरान सरसंघचालक ने स्वयंसेवकों को 9 लक्ष्यों को अपने रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करने की सीख दी है।
मोहन भागवत ने कहा कि स्वयंसेवकों की सादगी, कम खर्च करना और सेवा कार्य समाज के लिए सदैव अनुकरणीय रहे हैं। हमें देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सदैव प्रयासरत रहना चाहिए। हमें नई पीढ़ी को स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करना है। हम राष्ट्रवाद की भावना से आगे बढ़ें और एक-दूसरे के साथ सकारात्मक विचारों को साझा करें। समाज से भेदभाव को दूर कर अच्छा माहौल बनाएं।
स्वयंसेवकों के लिए संघ प्रमुख के मंत्र
- संघ और उसके सहयोगी संगठन रोजाना समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अपनी पैठ बढ़ाएं। फिलहाल जितनी शाखाओं का संचालन हो रहा है, साल 2025 तक उससे दोगुनी शाखाएं चलाई जाएं।
- कुटुंब-प्रबोधन कार्यक्रम से स्वयंसेवक पारवारिक संबंधों को मजबूती दें। अलग-अलग मोहल्लों, बस्तियों और समाज के लोग एक-दूसरे के परिवारों को जानें। सप्ताह में एक बार मिलें। एक साथ भोजन करें और आपसी समस्याएं एक-दूसरे की समझकर समाधान करें।
- सामाजिक समरसता से स्वयंसेवक समाज में भेदभाव दूर करें। स्वयंसेवकों को समाज से सभी समस्याओं को दूर कर समरसता भाव वाले सामाजिक माहौल को तैयार करें।
- पर्यावरण असंतुलन के बारे में स्वयंसेवक लोगों को जागरूक करें। साफ-सफाई पर विशेष जोर देते हुए स्वयंसेवक लोगों को बताएं कि पर्यावरण असंतुलन मानव जीवन के लिए कितना नुकसानदायक है। पौधे लगाने के लिए लोगों को जागरूक करें। पौधों को बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाते रहें।
- युवा पीढ़ी अपने गौरवशाली अतीत से परिचित हो। युवा पीढ़ी अपने राष्ट्र के महानायकों के बारे में अच्छे से जाने, इसके लिए स्वयंसेवक लगातार प्रयास करें। युवा पीढ़ी को अपने राष्ट्र के इतिहास का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
- देश आत्मनिर्भर बने और लोग स्वावलंबी हों। अपने देश में बने सामानों को हम अपने रोजमर्रा के जीवन में अपनाएं। हम रोजगार सृजन करने वाले बनें और हरसंभव यह प्रयास हो कि जो जहां रहता है उसे वहीं काम मिले।
- जाति-धर्म का भेद हर हाल में खत्म होना चाहिए। समाज का मन बदलना चाहिए। सामाजिक अहंकार और हीनभाव समाज के लोगों के बीच में न हो।
- गांवों का विकास हर हाल में हो और प्राकृतिक खेती पर बल दिया जाए। गांव आधुनिक तकनीक की ओर बढ़े, लेकिन अपना मूल स्वरूप बरकरार रखे। गांवों में एक-दूसरे की मदद और एकता की भावना को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जाएं।
- श्रमिक वर्ग के कल्याण के लिए प्रयास हों। उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और रहन-सहन पर ध्यान देने के साथ ही उनकी प्रगति के लिए प्रयास करें। श्रमिकों की समस्या सुनने के लिए हर हाल में समय निकालें। उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताएं।