मर्डर मिस्ट्री सीरीज-7 …. डॉक्टर की बेटी और नौकर के मर्डर की ऐसी कहानी, जिसमें कातिल ने CBI के बड़े-बड़े अफसरों को घनचक्कर बना दिया
ध्यान रहे कि यह पूरी कहानी जांच एजेसिंयों के जरिए बताई गई बातों पर आधारित है। जैसा अधिकारियों ने बताया है ठीक उसी तरह से हम पूरे केस को समझाने की कोशिश करते हैं।
डॉक्टर दंपत्ति की इकलौती बेटी थी आरुषि
नोएडा के सेक्टर 25 जलवायु विहार में जाने-माने डेंटिस्ट राजेश तलवार रहते थे। 15 मई 2008 की रात करीब 11 बजे उनके लैपटॉप में वाईफाई की दिक्कत हुई तो वह अपनी 14 साल की बेटी आरुषि के कमरे में चले गए। वहां रखे कप्यूटर को खोला और कुछ मेल करने लगे। आरुषि उस दौरान चेतन भगत की 3 मिस्टेक्स ऑफ माइ लाइफ पढ़ रही थी। आरुषि की मां नूपुर भी कुछ देर में आ गई। अब मां-बेटी बात कर रहे थे और पिता ईमेल।
आरुषि और नौकर हेमराज को गलत करते देख लिया
कुछ देर बाद राजेश और नूपुर अपने कमरे में चले गए। इधर घर का नौकर हेमराज आरुषि के कमरे में चला गया। कुछ देर बाद राजेश किसी काम से अपने कमरे से बाहर निकले तो देखा आरुषि के कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला है। झांककर देखा तो आरुषि और हेमराज आपत्तिजनक हालत में थे। राजेश गुस्से से लाल। भागकर किचेन के बगल में रखे गोल्फ स्टिक को उठा लाए।
कमरे का दरवाजा तेजी से खोला और हेमराज के सिर पर बहुत तेज वार किया। हेमराज का सिर फट गया। राजेश ने दोबारा गोल्फ स्टिक से दोबारा वार किया। इस बार हेमराज बगल हट गया। वार सीधे आरुषि के सिर में जाकर लगा। इसके बाद दूसरे कमरे से नूपुर तलवार भी आ गई। राजेश ने पूरी बात नूपुर को बताई और फिर दोनों हेमराज की लाश को ठिकाने लगाने और मर्डर से अंजान बनने की कोशिश में लग गए।
हेमराज बच न जाए इसलिए उसकी गर्दन की नस काट दी
राजेश और नूपुर तलवार हेमराज की लाश को लेकर छत पर गए। वहां एक किनारे रख दिया। उसके ऊपर कूलर का ढक्कन रख दिया। राजेश को लगा कहीं हेमराज बच न जाए, इसलिए वह नीचे से सर्जिकल ब्लेड लेकर गए और हेमराज की गर्दन की नस काट दी। नीचे आए तो आरुषि की गर्दन पर भी सर्जिकल ब्लेड से कट मार दिया। इसके बाद दोनों ने कपड़े बदले और गोल्फ स्टिक और सर्जिकल ब्लेड को कार में रखा और उन्हें फेंकने चले गए। वापस आए तो गेट में अंदर से ताला लगा दिया और सुबह होने का इंतजार करने लगे।
सुबह हुई तो नूपुर बोली, हेमराज ने आरुषि को मार दिया
हेमराज के अलावा भारती भी राजेश तलवार के घर पर नौकर थी। वह रात में घर चली जाती थी। 16 मई की सुबह वह 6 बजे आई। गेट बंद था। 3-4 बार डोर बेल बजाया। नूपुर आंख मलते हुए आई और बोली, हेमराज नहीं है क्या? भारती बोली, इतनी आवाज के बाद भी वह बाहर नहीं आया। नूपुर ने गेट का ताला खोलने की कोशिश की पर उससे नहीं खुला। भारती को चाभी दे दी। भारती ने हाथ अंदर डालकर ताला खोल दिया।
भारती और नूपुर अंदर गए तो राजेश तलवार रोते हुए खड़े थे। नूपुर ने आरुषि की लाश देखी तो जोर-जोर से रोने लगी। भारती से कहा, “देखो भारती, हेमराज ने आरुषि को मार दिया।” भारती के भी आंसू निकल आते हैं। वह रोते हुए पूछती है कि पड़ोसियों को बुलाऊं? नूपुर ने हां में सिर हिला दिया। राजेश तलवार ने पुलिस को सूचना देने से पहले अपने परिवार के लोगों को बुलाया। 6.50 बजे पुलिस आ जाती है।
फिंगर प्रिंट कलेक्टर ने जो तस्वीरें खींची, सब धुंधली निकल गई
राजेश तलवार और नूपुर ने पुलिस के सामने हत्या के लिए पहला नाम हेमराज का लिया। हेमराज नेपाल का था, इसलिए पुलिस का एक दल नेपाल निकल गया। यूपी पुलिस के फोटोग्राफर और फिंगर प्रिंट कलेक्टर चुन्नीलाल गौतम घटनास्थल पर 10 बजे पहुंचे। फोटो खींची। फिंगरप्रिंट निकाला, लेकिन जब उसका फाइनल प्रिंट निकला तो 24 में से 22 धुंधले थे। 23 फोटो निगेटिव से मेल ही नहीं खाते।
हेमराज की लाश छत पर और दरवाजा अंदर से बंद
हत्याकांड के अगले ही दिन पुलिस जांच के लिए छत पर जाने लगी। सीढ़ी पर ताला बंद था। चाभी मांगी तो राजेश तलवार ने दी। ऊपर गए तो हेमराज की लाश देखकर सन्न रह गए। अब पुलिस का शक बढ़ता गया। अभी तक पुलिस हेमराज को दोषी मान रही थी, लेकिन उसकी लाश मिलने के बाद आईजी पुलिस गुरुदर्शन सिंह ने केस को ऑनर किलिंग बता दिया और 23 मई 2008 को राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई को केस मिला तो तलवार का नार्को टेस्ट कराया
उस वक्त राज्य में मायावती की सरकार थी। लोगों ने जांच पर सवाल उठाए तो केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने राजेश तलवार का नार्को टेस्ट करवा दिया, लेकिन कुछ नहीं मिला। इसके बाद जांच टीम ने राजेश की क्लीनिक में काम करने वाले नौकर राजकुमार, विजय मंडल और कंपाउंडर कृष्णा से पूछताछ शुरू की। यहां भी सबूत नहीं मिला।
सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में झोल ही झोल
सीबीआई ने सितंबर 2009 में स्पेशल जुडीशियल मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह को रिपोर्ट भेजी। प्रीति सिंह ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया। कहा, फिर से जांच करिए। अब जांच की जिम्मेदारी सीबीआई की दूसरी टीम को मिली। इसका नेतृत्व एजीएल कौल को सौंपी गई। दूसरी टीम ने तलवार परिवार के तीनों नौकरों को छोड़ दिया। गाजियाबाद में विशेष रूप से गठित सीबीआई अदालत में चार्जशीट दाखिल की।
चार्जशीट में राजेश तलवार को आरोपी बनाया गया। सबूत के तौर पर सीबीआई ने कुछ चीजें लिखी।
- आरुषि की लाश को ढकने, उसके प्राइवेट पार्ट्स को साफ करने कोई दूसरा नहीं आएगा।
- हेमराज की हत्या के बाद उसके शव को छत पर कैसे पहुंचाया गया, जबकि सीढ़ी का ताला तो बंद था।
- सीबीआई के मुताबिक किसी भी बाहरी व्यक्ति के घर के अंदर आने के सबूत नहीं मिले।
- हेमराज की लाश को छत पर पहुंचाने के बाद राजेश तलवार ने खूब शराब पी और सबूत मिटाए।
इन्हीं सबूतों के आधार पर 25 नवंबर 2013 को सीबीआई की विशेष अदालत ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार को धारा 302/34 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा दोनों को सबूत मिटाने के लिए धारा 201 का दोषी पाया गया और 5-5 साल की सजा सुनाई। अदालत के अनुसार, अब नूपुर और राजेश को पूरी उम्र जेल में रहना होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई की दलील को बकवास बता दिया
राजेश तलवार ने सीबीआई के फैसले को जनवरी 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। कोर्ट ने सीबीआई की दलील देखी तो बकवास बता दिया। जज ने कहा, इसमें सिर्फ कहानियां है, सबूत कहां है? कोर्ट ने जो दलीले दी उसे समझिए।
- हत्याकांड में प्रयोग की गई गोल्फ स्टिक और सर्जिकल ब्लेड कहां है?
- हेमराज के खून के धब्बे राजेश और नूपुर पर क्यों नहीं मिले?
- राजेश और नूपुर से अलग-अलग पूछताछ हुई, लेकिन कोई अंतर नहीं मिला।
- राजेश और नूपुर के नार्को टेस्ट में भी कुछ ऐसा नहीं मिला, जिससे वह दोषी साबित हों।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्रा की खंडपीठ ने 16 अक्टूबर 2017 को सीबीआई के फैसले को पलट दिया। इस तरह राजेश तलवार और नूपुर बरी कर दिए गए। लेकिन इन्हें निर्दोष नहीं बताया गया बल्कि बेनिफिट ऑफ डाउट का फायदा मिला यानी 100 दोषी छूट जाएं पर 1 निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए वाला नियम यहां लग गया। फैसला देखा तो गाजियाबाद की डासना जेल में बंद राजेश और नूपुर रो पड़े। नूपुर बोली, “अब हमें इंसाफ मिला है।”
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सीबीआई को अपनी हार लगा। सीबीआई ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। अपील का माध्यम बनाया हेमराज की पत्नी को। 10 अगस्त 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली। अब तक लगातार सुनवाई हो रही है। फैसले का इंतजार है।