93 हजार पौधे लगाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर भूखे सोए, घुटने टूट गए फिर भी 29 हजार किमी साइकिल चलाई

ग्रीन मैन का ….. इंटरव्यू…..

एक आदमी जिसने 29 राज्यों में साइकिल चलाई। इसलिए कि पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर लोग जागरुक हो सकें। 93 हजार पौधे लगाए ताकि लोग साफ हवा का असल मतलब समझ पाएं। रास्ते में कई रुकावटें आईं। खूब चोटें भी लगीं] लेकिन उस व्यक्ति ने कभी हार नहीं मानी।

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले नरपत सिंह राजपुरोहित की। नरपत दो अक्षरों के मेल से बना है। नर का मतलब है पुरुष और पत का अर्थ मार्ग दिखाने वाला। अपने नाम की तरह ही नरपत आज लोगों को पर्यावरण संरक्षण का रास्ता दिखा रहे हैं।

37 साल के नरपत सिंह एक खास मिशन पर हैं। ग्रीन एनवायर्नमेंट के लिए साइकिलिंग का विश्व रिकार्ड बनाने का मिशन। 29 हजार किलोमीटर का सफर तय करने के बाद वो शुक्रवार को लखनऊ पहुंचे तो हमने भी उनसे दो बातें कर लीं। लगभग 15 मिनट की बातचीत में हमने 5 सवालों में उनकी यात्रा को समझा है। इसके बाद उन्होंने जिंदगी से जुड़ी कुछ और रोचक बातें बताई हैं। तो चलिए मिलते हैं ग्रीन मैन नरपत सिंह पुरोहित से।

तीन साल दो महीने से साइकिल यात्रा पर निकले नरपत का लक्ष्य एक लाख पौधे लगाना है।
तीन साल दो महीने से साइकिल यात्रा पर निकले नरपत का लक्ष्य एक लाख पौधे लगाना है।

सवाल 1 : आपने इस यात्रा के दौरान 93 हजार पौधे लगाए हैं। इसकी शुरुआत के बारे कुछ बताइए ?
जवाब : 
मेरी यात्रा 27 जनवरी 2019 को शुरू हुई। स्टार्टिंग पॉइंट था जम्मू-कश्मीर। आज 3 साल 2 महीने हो चुके हैं। अब तक मैंने इस जर्नी में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और यूपी के साथ 29 राज्यों को कवर कर लिया है। इस दौरान मैंने 93000 से ज्यादा पौधे लगाए हैं। इसे एक लाख तक पहुंचाना है। इसलिए ये सफर लगातार जारी है।

सवाल 2 : इस यात्रा का ध्येय क्या है,आप इतनी बड़ी संख्या में पौधे लगाकर लोगों को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
जवाब : इंसान को अपने जीवन में दो पौधे जरूर लगाने चाहिए। एक पौधा सांस लेने के लिए और दूसरा अपनी आखिरी सांस के लिए। मैं हर साल पर्यावरण दिवस पर खुद को हरे रंग से रंग लेता हूं। शहरों में घूम-घूमकर लोगों को पर्यावरण और जल संरक्षण का संदेश देता हूं।

मैंने अपनी यात्रा में ज्यादातर आबादी वाले रूट ही चुने हैं। यहां रुककर मैं युवाओं को पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूक करता हूं। मेरा मानना है कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में दो पौधे भी ना लगाए हों, उसको मरने पर लकड़ी के साथ जलने का कोई हक नहीं है।

सवाल 3 : लगभग 29000 किलोमीटर की इस यात्रा में सबसे यादगार पल कौन सा रहा?
जवाब :
 वैसे तो इस यात्रा की शुरुआत के बाद से ही मेरे साथ कुछ ना कुछ नया होता रहा है, लेकिन एक बात मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। वो ये है कि मैंने अपनी साइकिल यात्रा के दौरान पौधों को लगाने के अलावा कई बेजुबान जानवरों की जान बचाई।

मैंने अब तक इस यात्रा के दौरान 170 हिरणों, 6 मोरों, 5 मोरनियों, 2 नीलगायों और 2 बाजों की जान बचाई है। इसके साथ-साथ मैंने दो शिकारियों को भी पकड़वाया है। यही मेरे लिए इस यात्रा का सबसे यादगार हिस्सा रहा है।

नरपत साइकिल से हर दिन 80 से 100 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। इस दौरान वह पौधे रोपने के लिए अलग-अलग स्थानों पर रुकते हैं।
नरपत साइकिल से हर दिन 80 से 100 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। इस दौरान वह पौधे रोपने के लिए अलग-अलग स्थानों पर रुकते हैं।

सवाल 4: आप जिस यात्रा पर हैं,उसको लेकर परिवार का कितना सपोर्ट मिला ?
जवाब: 
जब मैं इस मुहिम पर निकला था तो परिवार के सभी लोग बहुत खुश थे। सभी ने मेरा साथ दिया। मैंने तो छोटी बहन की शादी में ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर 251 पौधे दहेज में दिए थे। आज मैं जिस गांव में पहुंचता हूं वहां के लोग मेरा स्वागत करते हैं। लोगों ने तो मेरे काम की वजह से मेरा नाम ‘ग्रीन मैन’ रख दिया है। मेरी यात्रा की खबरें जब अखबारों में छपती हैं तो परिवार वालों को बहुत खुशी होती है।

सवाल 5 : यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा मजा कौन से राज्य में आया ?
जवाब:
 गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र की यात्रा खूब याद आती है। यहां के गांवों में पहुंचने पर लोग घेर लेते थे। हालचाल पूछते थे, दूर-दूर से लोग खाना और पानी तक लेकर आ आते थे। महाराष्ट्र में मेरी साइकिल के पीछे लगे तिरंगे को लेकर लोगों का अलग ही प्यार दिखा। मुझे देखकर लोगों ने खुद अपनी साइकिल पर झंडे लगा लिए थे।

मुझे याद है जब मैं राजस्थान के झालावाड़ में यात्रा पर था, कहीं भी एटीएम ना मिलने पर बिस्किट खाकर काम चलाया था। कुछ रातें रेलवे स्टेशन पर भूखे ही सोना पड़ा। पूरी यात्रा के दौरान इसी तरह के पल अक्सर याद आते रहते हैं। इससे हिम्मत और बढ़ जाती है।

यहां तक आपने नरपत सिंह राजपुरोहित की साइकिल यात्रा के बारे में जाना। कहानी के अगले हिस्से में आइए उनकी जिंदगी के कुछ और पहलुओं को जानते हैं…

अकेले राजस्थान में लगाए 90 हजार से ज्यादा पौधे

  • नरपत सिंह राजस्थान के बाड़मेर के लंगेरा गांव के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 37 साल है। विश्व की सबसे लंबी साइकिल यात्रा पर निकले नरपत को आज लोग ‘ग्रीन मैन’ के नाम से जानने लगे हैं। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण व जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।
29 प्रदेशों में पौधे लगाने की इस मुहिम के लिए नरपत को कई राज्यों ने सम्मानित भी किया गया है। सेना में भी उनके काम को पसंद करने वालों की कमी नहीं है। तस्वीर में यूपी और उत्तराखंड मुख्यालय के रिक्रूटमेंट एडीजी मेजर जनरल एनएस राजपुरोहित के साथ नरपत सिंह।
  • पौधों को लगाने के साथ-साथ नरपत गर्मी वाले इलाकों में सूखे तालाबों में पानी भरवाने का भी काम करते हैं। उन्होंने अपनी साइकिल यात्रा के दौरान 20 से ज्यादा सूखे तालाबों को लोगों के सहयोग से फिर से जीवित किया है।
  • 29 हजार 400 किमी की यात्रा के दौरान नरपत ने राजस्थान में 90 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। बाकी 28 राज्यों में करीब 3500 पौधों को लगाया है।
  • नरपत सिंह की इस मुहिम की तारीफ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कर चुके हैं। इसके अलावा उन्हें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कर्नाटक के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और पुडुचेरी के पूर्व सीएम वी. नारायणसामी ने उन्हें सम्मानित किया है।

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