डिप्टी सीएम मांगा था, फिलहाल योगी कैबिनेट के मंत्री ?
4 साल पहले संजय की निषाद पार्टी से गोरखपुर चुनाव हारी थी बीजेपी, अब वही बने मिनिस्टर…..
संजय निषाद, वो मंत्री हैं जिन्हें 7 साल पहले तक सिर्फ निषाद समुदाय के लिए काम करने वाले लोग ही जानते थे। पर आज वह योगी मंत्रिमंडल में मत्स्य मंत्री के पद पर हैं।
योगी के मंत्रियों की सीरीज में आज कहानी उस मंत्री की जिसने 2022 विधानसभा चुनाव में खुद को डिप्टी सीएम बनाने की मांग रख दी थी। हम आगे इसपर बात करेंगे पर शुरुआत संजय की जिंदगी के 20 साल पुराने चैप्टर से…
राजनीति में आने से पहले होम्योपैथिक क्लिनिक चलाते थे संजय
संजय पेशे से एक डॉक्टर हैं। राजनीति में आने से पहले वो गोरखपुर में इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लिनिक चलाते थे। शुरुआत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दिलाने के लिए भी काम किया था।
2002 में उन्होंने पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी असोसिएशन बनाया। वह अपनी मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट भी गए।
साल 2008 में पहली बार चुनाव लड़े, हार गए
इस साल संजय सबसे पहले बामसेफ से जुड़े। कैम्पियरगंज विधानसभा से पहली बार चुनाव भी लड़े और हार गए। यहां से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हो चुकी थी।
2008 में उन्होंने ऑल इंडिया बैकवर्ड ऐंड माइनॉरिटी वेलफेयर मिशन और शक्ति-मुक्ति महासंग्राम नाम के दो संगठन बनाए। उन्होंने राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद बनाई। निषाद समुदाय की 553 जातियों को एक मंच पर लाने की मुहिम शुरू की।
वह घटना जिससे संजय निषादों के हीरो बन गए

गोरखपुर में 7 जून 2015 की सुबह थी। करीब 8 बजे थे। सहजनवां रेलवे स्टेशन पर अचानक सैंकड़ों लोगों की भीड़ दिखने लगी। करीब 150 लोग थे। हर जगह राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के बड़े-बड़े बैनर नजर आने लगे। ट्रेन का चक्का जाम कर दिया गया।
मांग थी सरकारी नौकरियों में निषादों को 5% आरक्षण देने की। लोगों की इस भीड़ में संजय निषाद भी थे। इन्हीं की अगुआई में ये पूरा आंदोलन हो रहा था। इसकी पूरी तैयारी छुप-छुपाकर की गई थी। पुलिस प्रशासन, रेलवे प्रशासन किसी को कोई जानकारी नहीं थी।
एकदम इतनी भीड़ देखकर पुलिसवाले घबरा गए। जबरदस्ती रेलवे ट्रैक खाली कराने की कोशिश की तो लोगों ने पत्थर मारने शुरू कर दिए। गोलियां चलने लगीं। आंदोलन कर रहे 22 साल के एक लड़के की गोली लगने से मौत हो गई।
बवाल और बढ़ा। तीस से ज्यादा पुलिसवाले घायल हो गए। मामले में संजय समेत 36 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने सबको अरेस्ट कर लिया। संजय ने खुद ही कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
यहीं से संजय निषाद का नाम सुर्खियों में आने लगा और वह निषादों के हीरो बन गए…
2017 में निषादों की पार्टी बनाई, नाम रखा निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल यानी निषाद पार्टी
इस साल निषाद पार्टी बनाई गई। पार्टी का नाम रखने के पीछे संजय का सोचा समझा राजनीतिक मकसद था। देश के 14 राज्यों में निषाद जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है। यूपी में ऐसा नहीं है। पार्टी को बनाने के पीछे संजय का सबसे बड़ा मकसद निषादों को आरक्षण दिलाना है।
पार्टी ने सबसे पहले विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी के साथ गठबंधन किया।
72 सीटों पर चुनाव लड़े। लेकिन 71 पर हार गए। सिर्फ ज्ञानपुर सीट पर जीत मिली। संजय खुद गोरखपुर ग्रामीण सीट से चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
2018 में निषाद पार्टी की वजह से 25 साल बाद बीजेपी चुनाव हार गई थी

साल 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से सांसद का पद छोड़ दिया। साल 2018 में उपचुनाव कराया गया। गोरखपुर को भाजपा का गढ़ माना जाता था, इसलिए कद्दावर नेता उपेंद्र दत्त शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा गया।
इसी बीच समाजवादी पार्टी ने निषाद पार्टी से गठबंधन कर लिया। साथ ही निषाद पार्टी के राष्ट्रीय संजय के बेटे प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बना दिया। उपचुनाव के नतीजे आए तो देश की राजनीति में हलचल मच गई।
25 साल बाद इस सीट पर पहली बार कमल नहीं खिला। भाजपा हार गई। प्रवीण निषाद सपा के टिकट पर गोरखपुर से सांसद बन गए।
बीजेपी के सामने रख दी डिप्टी सीएम बनाने की मांग
संजय ने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी अगर उन्हें उप-मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ती है तो इससे उसे और फायदा मिलेगा और हमारी सरकार बनेगी।
वो बोले कि “उत्तर प्रदेश में अब तक सभी जातियों के मुख्यमंत्री बनाए जा चुके हैं, लेकिन अब 18 फीसदी वोट की ताकत रखने वाले मछुआरा समाज के चेहरे पर बीजेपी को चुनाव लड़ना चाहिए, अगर नहीं मुख्यमंत्री बना सकते तो कम से कम हमें बीजेपी आगामी चुनाव में उप मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर चुनाव लड़े, अगर बीजेपी ऐसा करती है तो इससे पूरे प्रदेश में निश्चित ही विजय मिलेगी और एक बार फिर सरकार बनेगी।
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चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने संजय को एमएलसी बना दिया और निषाद पार्टी को सहयोगी दल बना लिया। भाजपा ने टिकट देकर उनके बेटे सरवन निषाद को भी चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतार दिया।
विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इसमें से उन्हें 11 सीटों पर जीत मिली।
इसके बाद भाजपा ने संजय निषाद को डिप्टी सीएम तो नहीं बनाया लेकिन मंत्रिमंडल में जगह दी। आज संजय यूपी के मत्स्य विभाग के मंत्री पद पर हैं।
एक परिवार के सांसद, विधायक और मंत्री

संजय निषाद के मंत्री बनते ही उनके परिवार का और निषाद पार्टी का राजनीतिक कद बढ़ गया है। संजय खुद मंत्री बन गए हैं। उनके बेटे प्रवीण निषाद संत कबीरनगर से भाजपा सांसद हैं। छोटा बेटा सरवन निषाद चौरीचौरा से भाजपा विधायक बन गए हैं।