आओ बचाएं अपनी मंदाकिनी …. UP के 35 और MP के 17 नाले मंदाकिनी में गिर रहे, एक्सपर्ट बोले- ऑक्सीजन कम होने से जलीय जीवों पर संकट

चित्रकूट में मंदाकिनी नदी की साफ-सफाई को सामाजिक संस्थाएं भी पहल कर रही हैं। मंदाकिनी में गंदगी के मुद्दे को डॉ. अनिल गौतम ने एनजीटी में उठाया। हकीकत यह है कि अनुसूइया से लेकर राजापुर तक तकरीब हर भवन का प्रदूषित पानी मंदाकिनी नदी पर गिर रहा है। रजोला में जहां कलेक्टर ने नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जमीन आरक्षित की है। वहां अभी सपाट मैदान है, जबकि लिखिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट वाले स्थल पर भी खेती हो रही है।

सीमांकन नहीं करा सका प्रशासन

विशेषज्ञ कहते हैं कि मेगा रिचार्ज प्लान तैयार मंदाकिनी नदी में कुंभ, अमावस्या व दीवाली मेले जैसे अवसरों पर दिसंबर से मार्च तक 100 क्यूसेक पानी छोड़ा जाए। इससे अविरल प्रवाह बना रहे। डॉ. अनिल गौतम कहते हैं कि सती अनसूइया से राजापुर तक हर बिंदु पर हर समय सदैव 100 घनमीटर से अधिक प्रवाह ऊपर निर्माण आए।

मंदाकिनी में गिरता नाला

श्याम गुप्त ने बताया कि इस समय मंदाकिनी में एमपी के करीब 17 और यूपी के करीब 35 नाले मंदाकिनी नदी में गिर रहे हैं। ऐसे में कोर्ट ने उन्हें नोटिस भी दिया गया। बावजूद इसके, कोई सुधार नहीं हो सका है। ऐसे में मंदाकिनी को साफ करने के लिए सार्थक कदम उठाने की जरूरत है। मंदाकिनों के संरक्षण की आस तो जगी है, लेकिन लंबे अर्से से मंदाकिनी के जल प्रदूषण व सीमा का अध्ययन कर रहे ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर घनश्याम गुप्ता ने बताया कि मंदाकिनी में इतना प्रदूषण है कि जल में ऑक्सीजन की भी मात्रा कम हो गई है। इसी के चलते यहां जलीय जीवों का भी संकट सामने आ रहा है।रिचार्जिंग के लिए बरगी नहर के पानी को पहुंचाने के अलावा कंक्रीट में दबे असंख्य जलस्त्रोत खोल दिए जाएं, तो परम पुण्य कार्य होगा।

नाले में तब्दील हो गई मंदाकिनी।
नाले में तब्दील हो गई मंदाकिनी।

एक और बरगी का पानी सतना तक लाने के लिए तीन सौ करोड़ से अधिक की लागत से टीबीएम मशीन लगाकर स्लीमनाबाद निकट पहाड़ में सुरंग बनाई जा रही है तो तो दूसरी ओर मदाकिनी को रिचार्ज करने में प्रशासन हाथ खड़े कर रहा है। क्या मंदाकिनी को लेकर प्रशासनिक चिंतनीय नहीं है। रीवा जनपद के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि 2014 में हाई कोर्ट जबलपुर में मंदाकिनी का मामला चल रहा था। उसने जवाब देने के लिए जिला प्रशासन सहित एनजीटी विभाग भी पहुंचा था। उस समय एनजीटी विभाग में मंदाकिनी की बीच धारा से 50 मीटर इधर-उधर पक्के निर्माण का हवाला दिया था। कहां गया था कि मंदाकिनी नदी के 50 मीटर इधर उधर पक्के निर्माण नहीं हो सकेंगे।

अनजान है प्रशासन

आज मंदाकिनी नदी की यह स्थिति है कि मंदाकिनी धारा के बगल से लोग भवन मठ मंदिर का निर्माण बेहिचक कर रहे हैं जिला प्रशासन अनजान बना बैठा है। आज यही कारण है जो मंदाकिनी नदी दुर्दशा के आंसू बहा रही है। गंदगी से पटी मंदाकिनी को रामनवमी के दिन मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान 5 लाख दीपक जलाने के लिए चित्रकूट आ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि दीपक जलाते समय क्या सीएम को मां मंदाकिनी नदी की गंदगी नहीं दिखेगी।

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