पुराने ढर्रे पर नई शिक्षा नीति…..नई किताबें आईं नहीं; प्रमोट हुए बच्चों से लेकर काम चला रहे स्कूल, अधिकारी भी इस व्यवस्था के आगे सरेंडर

यूपी के परिषदीय स्कूलों में एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो चुका है। इस बार नई शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार सिलेबस से पढ़ाई होनी थी। तैयारी भी पूरी थी, लेकिन स्कूलों तक नए सिलेबस की किताब ही नहीं पहुंची। कमियां दूरी करने की जगह बेसिक शिक्षा निदेशक ने पुरानी किताबों से ही पढ़ाई करने का फरमान जारी कर दिया। इन हालात में नई कक्षा में आने के बाद भी बच्चों को पुराने स्टूडेंट से मिली किताबों से ही पढ़ना पड़ेगा।

नया सिलेबस आने में अभी है वक्त

परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद भी व्यवस्था बदल नहीं पाई है। एक अप्रैल 2022 से नई शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई होने की उम्मीद थी। मगर, सत्र शुरू होने के बाद भी नई शिक्षा नीति लागू नहीं हो सकी है।

यूपी के करीब 1.58 लाख परिषदीय विद्यालयों में पाठ्य सामग्री नहीं पहुंची है। पाठ्य सामग्री की किल्लत के कारण निदेशक ने फिलहाल पुरानी किताबों से ही पढ़ाने के आदेश जारी किए हैं।

प्रमोट होने वाले बच्चों से ली जा रही किताबें

जब तक नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम की किताबें नहीं आती है। तब तक प्रमोट होकर अगली कक्षाओं में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों से पुरानी किताबें लेकर बच्चों को पढ़ाई कराने का निर्देश निदेशक ने दिया है। ऐसे में उन बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जो नई कक्षा में आए है।

नई शिक्षा नीति में होने हैं ये बदलाव

  • नई शिक्षा नीति के तहत अब तीन साल के प्री-प्राइमरी के बाद कक्षा शुरू होगी।
  • इसके बाद कक्षा तीन से पांच के तीन साल शामिल किए गए हैं।
  • तीन साल के मिडिल स्टेज में कक्षा 6 से 8 तक की कक्षा चलेगी।
  • चौथा स्टेज कक्षा नौ से 12 तक चार साल का होगा, जो माध्यमिक विद्यालयों के लिए है।
  • यानी सरकारी विद्यालयों में अब 10+2 की जगह 5, 3, 3, 4 का पैटर्न लागू होगा।
  • प्रदेश में करीब 1.58 लाख परिषदीय स्कूल हैं, जिसमें करीब 1.85 करोड़ छात्र पढ़ते हैं।

स्थानीय बोलचाल ही होगी पढ़ाई की भाषा

विद्यालयों में भाषा की जटिलता को दूर करने के लिए कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को मातृ भाषा के रूप में स्थानीय बोलचाल की भाषा को इस्तेमाल किए जाने पर बल दिया जाएगा। शिक्षा को रोजगार परक बनाने पर जोर दिया जाएगा। माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा छह से ही व्यावसायिक शिक्षा की पढ़ाई शुरू होगी।

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