भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी डीपीआइ में अपर संचालक के पद पर कार्यरत हैं। विभाग में इनका रुतबा है और कई बड़ी जिम्मेदारी इनके पास हैं। पहले ये डीपीआइ में संयुक्त संचालक हुआ करते थे, लेकिन बाद में कोर्ट में याचिका लगाकर अपर संचालक की कुर्सी पर बैठ गए। यही नहीं, ये प्रगत शैक्षिक संस्थान में निदेशक भी हैं। बताया जाता है कि यह पद भी इन्होंने खुद ही निर्मित किया था। अब इनकी योग्यता का ही कमाल है कि दो पदों के साथ ही इनके पास कई प्रोजेक्ट की भी जिम्मेदारी है। कई जगहों पर तो इनका नाम ही चलता है। दरअसल जिस तरह वनवास के समय भगवान राम की खड़ाऊं उनके भाई भरत ने राजसिंहासन पर रखकर राजकाज चलाया था, उसी तरह इनके भी खड़ाऊं कई विभागों में रखे हैं। क्योंकि जिस संस्थान में ये जा नहीं पाते हैं, वहां अदृश्य खड़ाऊं की आज्ञा से ही काम हो जाते हैं।

राजधानी के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय का कार्यकाल चार माह बाद समाप्त होने वाला है, लेकिन उनका उत्साह चरम पर है। दरअसल अभी विवि में विकास के कई काम तेजी से चल रहे हैं। जो काम उन्होंने चार साल में नहीं किए, उन सभी कामों को निपटाने में लगे हैं। शिक्षकों की भर्ती से लेकर लंबे समय से बन रहे विवि के मुख्य द्वार का निर्माण भी तेजी से हो रहा है। कुलपति और रजिस्ट्रार के लिए एक शानदार कार्यालय भी 35 करोड़ की लागत से बन रहा है। हालांकि जब तक यह कार्यालय बनकर तैयार होगा, तब तक तो वे यहां से जा चुके होंगे। चर्चा यह भी है कि वे अपना दूसरा कार्यकाल भी यहीं बिताना चाहते हैं, जिसके लिए ही इतनी तैयारी चल रही है। यही कारण है कि वे काम की ऐसी छाप छोड़कर जाना चाह रहे हैं कि लोग कहें…जाने नहीं देंगे तुझे…।
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से परीक्षा पे चर्चा की। इसके लिए राजधानी के एक सरकारी स्कूल में परीक्षा पे चर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के बाद मुख्यमंत्री भी विद्यार्थियों से चर्चा करने वाले थे। इस कारण विभागीय अधिकारी भी कार्यक्रम में पहुंचे थे, लेकिन जब प्रधानमंत्री का एक घंटे का कार्यक्रम ढाई घंटे तक चला तो अधिकारी परेशान होने लगे। कुछ फोन के बहाने बार-बार बाहर जाते दिखे तो कुछ ने तो कुछ देर के लिए झपकी भी ले ली। हालांकि, इस कार्यक्रम से एक फायदा जरूर हुआ कि सभी को माध्यमिक शिक्षा मंडल की अध्यक्ष मैडम के दर्शन हो गए। क्योंकि कोरोना के डर से मैडम तो किसी से मिलती ही नहीं हैं। कार्यक्रम में भी सिर्फ मैडम ही पूरे समय मास्क लगाए नजर आईं। कारण जो भी हो, लेकिन ये तो तय है कि अधिकारी दो घंटे भी नहीं बैठ सके।
गुपचुप हो रही है प्रमोशन की तैयारी
स्कूल शिक्षा विभाग के भोपाल संभाग के संयुक्त संचालक महोदय गुपचुप तरीके से प्रमोशन की जुगाड़ में लग गए हैं। इन दिनों वे विभागीय अधिकारियों से लेकर मंत्री के पास जुगाड़ लगाने में जुटे हुए हैं। फाइल भी अब अधिकारियों के पास से मंत्री के पास पहुंच गई है, जबकि विभाग में ऐसे कई संयुक्त संचालक और उप संचालक हैं, जिनका वर्षों से प्रमोशन नहीं हुआ है। हालांकि, विभाग में यह चर्चा भी है कि इन्हें जिस काम की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, वह ठंडे बस्ते में चला जाता है। कई मामलों में जांच समिति तक गठित कर उसकी रिपोर्ट ही आगे नहीं बढ़ पाई। कुछ ऐसा ही जिला परियोजना समन्वयक के मामले में देखा जा सकता है। छह माह हो गए, लेकिन यौन शोषण के मामले में कोई जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई। निजी स्कूलों की फीस से लेकर कापी-किताब के मामले में भी कुछ ऐसा ही है।