कवाल कांड के बाद हुआ था मंजिल सैनी का ट्रांसफर…
CBI ने श्रवण साहू हत्याकांड में माना लापरवाही का दोषी, 2013 में ट्रांसफर के बाद मुजफ्फरनगर में भड़का था दंगा…..
लखनऊ में हुए श्रवण साहु हत्याकांड के मामले में सीबीआई ने तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी को लापरवाही का दोषी माना है। 2013 में मुजफ्फरनगर के कवाल में हुए तीहरे हत्याकांड के दिन ही जिले की एसएसपी रहीं मंजिल सैनी का ट्रांसफर कर दिया गया था। 2013 सांप्रदायिक दंगे की जांच करने वाले एक सदस्यीय आयोग अध्यक्ष जस्टिस विष्णु सहाय ने भी मंजिल सैनी के मुजफ्फरनगर से ट्रांसफर को भी दंगे का एक कारण माना था।
27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर में दंगे की चिंगारी पैदा हो गई थी। इस दिन थाना जानसठ क्षेत्र के गांव कवाल में शाहनवाज की हत्या के बाद आक्रोषित भीड़ ने पीट पीटकर ममेरे भाईयों सचिन व गौरव की हत्या कर दी थी।
जिसके बाद जनपद में सांप्रदायिक तनाव व्याप्त हो गया था। 27 अगस्त की रात को ही एसएसपी मुजफ्फरनगर के पद पर तैनात रही मंजिल सैनी तथा डीएम सुरेन्द्र सिंह का मुख्य सचिव के आदेश पर ट्रांसफर कर दिया गया था। सांप्रदायिक तनाव दौरान अचानक डीएम और एसएसपी के ट्रांसफर से जिले की प्रशासनिक व्यवस्था गड़बड़ा गई थी। जिला अचानक से ही नेतृत्वविहीन हो गया था। 1 वर्ष से अधिक समय तक मुजफ्फरनगर की एसएसपी रहीं मंजिल सैनी के ट्रांसफर के बाद तत्कालीन एसपी क्राइम कल्पना सक्सैना को कार्यवाहक एसएसपी के तौर पर जिले की जिम्मेदारी दी गई थी। जिसके बाद लखनऊ से ही आइपीएस सुभाष दुबे को एसएसपी तथा आइएएस कौशल राज शर्मा को डीएम मुजफ्फरनगर का चार्ज देकर विशेष हेलीकाप्टर से जिले में भेजा गया था।
2013 से पहले ही तैयार हो गई थी दंगे की भूमिका
तीन हत्याओं वाले कवाल कांड के बाद जिले में दंगे की चिंगारी भड़क उठी थी। लेकिन उसकी भूमिका इस कांड से लगभग एक वर्ष पूर्व से ही बननी शुरू हो गई थी। जगह-जगह हिंदु तथा मुस्लिम पक्षों के बीच मामूली झड़प तथा मदरसा छात्रों के साथ मारपीट व छेड़छाड़ का विरोध करने पर खास ईद के दिन हुए हत्याकांड से तनाव पनपना शुरू हो गया था। ऐसे हालातों को काबू में न कर पाने के कारण तीहरे हत्याकांड के साथ ही जिले में दंगे का विस्फोट हो गया था।