मुरैना में नर्सिंग छात्र नकल मामला … CMHO ने जब अस्पताल नहीं दिए तो, अधिकारियों ने कागजों में करा दी परीक्षाएं

मुरैना में नर्सिंग छात्रों की नकल के बाद अब दूसरा नया मामला सामने आया है। मीडिया में नकल का खुलासा होने के बाद CMHO डॉ. राकेश शर्मा ने सभी शासकीय चिकित्सालयों में परीक्षा कराने पर तत्काल रोक लगा दी। रोक लगने के बाद परीक्षाएं टाल दी गईं। उसके बाद डायरेक्टर ऑफ मेडीकल एजूकेशन ने जब देखा कि नकल का मामला तूल पकड़ रहा है तो उन्होंने मामला दबा दिया। अधिकारियों ने कागजों में प्रायोगिक परीक्षा कराकर मामले को रफा-दफा कर दिया। अब, सवाल यह उठता है कि जब जिला अस्पताल या जिले के अन्य अस्पतालों में परीक्षाएं हुई नहीं तो कागजों में की गईं यह परीक्षाएं कैसे मान्य कर ली जाएंगी, क्योकि यह प्रायोगिक परीक्षाएं हैं तथा प्रायोगिक परीक्षाएं केवल और केवल शासकीय चिकित्सालयों में ही कराई जाती हैं। इनको कराने के लिए नर्सिंग काउंसिल की तरफ से पर्यवेक्षक भेजे जाते हैं तथा उन्हीं की देख-रेख व निर्देशन में यह परीक्षाएं आयोजित होती हैं।

सामूहिक रुप से नकल करते छात्र-छात्राएं
सामूहिक रुप से नकल करते छात्र-छात्राएं

एक अप्रेल को हुआ था खुलासा
एक अप्रेल 2022 को मुरैना के जिला चिकित्सालय में सैकड़ों की संख्या में नर्सिंग छात्र-छात्राएं GNM की प्रायोगिक परीक्षाएं देने आए थे। इनमें अधिकांश छात्र बिहार व झारखण्ड के थे। पूछने पर उन छात्रों ने बताया था कि उन्हें न तो उनके कॉलेज की जानकारी है और न ही कॉलेज के संचालक की। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने यह जरूरत बताया था कि नर्सिंग की डिग्री दिलाने के नाम पर उनसे दो से ढाई लाख रुपया लिया गया है। उनके साथ पर्यवेक्षक भी आए थे जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। इन छात्रों द्वारा सामूहिक रुप से मोबाइल पर देखकर व आपस में मिल-जुलकर नकल की जा रही थी। इसका खुलासा मीडिया में होने के बाद अगले दिन दोबारा जब यह छात्र जिला चिकित्सालय पहुंचे तो सिविल सर्जन डॉ. विनोद गुप्ता ने उन्हें वहां से भगा दिया था।

CMHO ने नहीं दी अस्पताल में कराने की अनुमति
जिला चिकित्सालय से खदेड़े जाने के बाद नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने सीएमएचओ डॉ. राकेश शर्मा से कॉलेज संचालकों ने अंबाह, दिमनी व खड़ियाहार के शासकीय चिकित्सालयों में प्रायोगिक परीक्षाएं कराने की अनुमति मांगी थी लेकिन उन्होंने नहीं दी। उन्होंने पूरे जिले में किसी भी शासकीय अस्पताल में प्रायोगिक परीक्षा कराने की अनुमति नहीं दी।
नर्सिंग छात्र फर्जीवाड़े में करोड़ों रुपए का खेल
बता दें, कि नर्सिंग छात्र फर्जीवाड़े में करोड़ों रुपए का खेल कॉलेज संचालकों द्वारा किया गया है। इसमें एक-एक छात्र से दो से ढाई लाख रुपए डिग्री देने के नाम पर लिया गया है। भ्रष्टाचार का आलम यहीं से समझा जा सकता है कि जब CMHO ने किसी भी शासकीय चिकित्सालय में परीक्षा कराने की अनुमति नहीं दी तो कॉलेज संचालकों ने भोपाल से जुगाड़ लगा ली और फिर नतीजा यह हुआ कि कागजों में परीक्षा हो गई।
कहते हैं CMHO
हमने नर्सिंग कॉलेजों को हमारे जिले के किसी भी शासकीय चिकित्सालय में परीक्षा कराने की अनुमति नहीं दी है। साथ ही डीएमई द्वारा हमारे पास लिखित में परीक्षा कराने का कोई आदेश भी नहीं आया है। हम यह बात लिखित में देने को तेयार हैं। यह परीक्षा कैसे हो गई, इसकी हमें जानकारी नहीं है। हमसे अंबाह, दिमनी व खड़ियाहार के शासकीय चिकित्सालयों में परीक्षा कराने की अनुमति मांगी थी वह भी हमने नहीं दी थी।
डॉ. राकेश शर्मा, CMHO, मुरैना

इस संबंध में जब डायरेक्टर ऑफ मेडीकल एजूकेशन जितेन्द्र शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि GNM की प्रायोगिक परीक्षा कराई जा चुकी है। CMHO द्वारा चिकित्सालयों में अनुमति दी जाती है। जब उनसे कहा कि सीएमएचओ ने शासकीय चिकित्सालयों की अनुमति दी ही नहीं तो परीक्षा कैसे हो गई, इस पर वह बोले कि अनुमति की जरूरत नहीं होती है, वह तो स्वयं ही होती है। उसके लिए फार्मल लेटर निकाला जाता है, हो सकता है उन्हें न मिला हो।

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