MP Govt नहीं रोक पा रही हमले… 5 साल में गई 300 लोगों की जान

Wild animals और मानव संघर्ष के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार के स्तर पर इसके नियंत्रण की कोशिशों के बावजूद यह संघर्ष जानलेवा बन रहे हैं ….

ग्वालियर . प्रदेश में वन्य प्राणियों और मानव संघर्ष के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार के स्तर पर इसके नियंत्रण की कोशिशों के बावजूद यह संघर्ष जानलेवा बन रहे हैं। हालात यह हैं कि वन्य प्राणियों के हमलों में पिछले पांच साल में 300 लोग अपनी जान गंवा चुके हैंञ इनमें वनकर्मी भी शामिल हैं।
सरकार के इन आंकड़ों से इतना तो साफ है कि इस संघर्ष को रोकने के लिए अब तक किए गए उपाय नाकाम रहे हैं। इस मामले को लेकर एक रिसर्च में बताया गया कि देशभर में वन्य जीवों की 32 प्रजातियों के हमले में जानमाल का गंभीर नुकसान हो रहा है। इनमें हाथी, बाघ और तेंदुआ के मामलेे ज्यादा हैं। छत्तीसगढ़ सीमा से सटे शहडोल, सीधी में हाथियों का मूवमेंट रहा है, फिर भी वन विभाग इसे रोक नहीं पाया। इसी महीने शहडोल में हाथियों के मूवमेंट ने वन विभाग की नींद उड़ा रखी है।
भरपाई ऐसे… मुआवजा बढ़ाकर 4 लाख
प्रदेश सरकार वन्य प्राणियों के हमले में मौत पर चार लाख रुपए का मुआवजा दे रही है। इसके अलावा तत्काल राहत और अंतिम संस्कार के लिए 5 से 10 हजार रुपए दिए जाते हैं। सरकार की रिपोर्ट में पांच साल में 285 मृतकों के परिजन को चार-चार लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का जिक्र है।
सरकार की प्लानिंग को अब समीक्षा की जरूरत
इस अध्ययन में 11 अभयारण्यों को शामिल किया गया। इनमें से चार अभयारण्य जयसमंद, कुंभलगढ़, फुलवारी की नाल और सीतामाता उत्तर-पश्चिमी Bharat, ताडोबा अंधेरी एवं Kanha समेत दो अभयारण्य Madhyapradesh और बाकी के पाच अभयारण्य काली, भद्रा, बिलीगिरी रंगास्वामी मंदिर, बंदीपुर एवं नागरहोले पश्चिमी घाट में हैं। भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक वन्य जीवों से मनुष्य के टकराव से होने वाले नुकसान को कम करने के लिये इस समस्या से निपटने की प्रचलित रणनीतियों की समीक्षा करने की जरूरत है।
अभी Government के पास यह प्लान
– 15 रीजनल रेस्क्यू स्क्वॉड और वनमंडल स्तर पर रेस्क्यू स्क्वॉड गठित किए हैं।
– हमले की घटनाएं रोकने वन्य प्राणियों को वन क्षेत्रों या चिडिय़ााघरों में भेजा जाता है
– संरक्षित क्षेत्रों के आसपास गांवों में जागरुकता अभियान चलाया जाता है
– वन्य प्राणियों को वन में रोकने व मवेशियों को वन में जाने से रोकने के लिए गेमप्रूफ वॉल, फेंसिंग कराई है
– वन्य प्राणियों को पानी की तलाश में आबादी क्षेत्र में आने से रोकने जंगल में सॉसर व छोटे तालाब बनाए जाते हैं
आसान नहीं जीवन
– वन्य प्राणियों के हमले से डरे लोग जागकर रात काट रहे हैं। गांव व घरों के पास बाड़ लगा रहे हैं।
– वन क्षेत्र या अभयारण्य से सटे गांव में टोलियां बनाकर वन्य प्राणियों से निगरानी कर रहे हैं।
– शहडोल में हाल में बाघ, हाथियों के मूवमेंट को रोकने वन विभाग ने जंगल में ही आग लगा दी।
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– 2021 में अनूपपुर के बिजुरी वन परिक्षेत्र में बेलगांव में परिवार पर हाथियों ने हमला किया। इसमें केवट परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई।
– 2020 में अनूपपुर के अमरकंटक थाना क्षेत्र में पुरगा मझौली गांव में नर्र्मदा किनारे खेत में काम करते लोगों पर हाथियों के झुंड ने हमला किया। इसमें फसल काट रहे तीन किसानों की मौत हो गई।
– 2021 में सीधी में पोंड़ी बस्तुआ क्षेत्र के खैरी गांव में दो बच्चों सहित तीन लोगों की मौत हो गई थी। जंगली हाथियों के गांव में आने की सूचना नहीं होने पर वनकर्मियों पर कार्रवाई की बात हुई थी।

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