पीके की एंट्री से कितना बदलेगी कांग्रेस: देश की सबसे पुरानी पार्टी में क्या होगी प्रशांत किशोर की भूमिका, कौन सी चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना?

कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने को लेकर सोनिया गांधी की हरी झंडी मिल चुकी है। अब कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ पीके की बैठक होगी। इसके बाद औपचारिक एलान हो जाएगा।
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें तेज हैं। पिछले चार दिनों से प्रशांत कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और अन्य बड़े नेताओं के साथ कई मुलाकात कर चुके हैं। पीके ने गुरुवार को 600 स्लाइड का प्रजेंटेशन भी दिया। इसमें नए कांग्रेस के स्वरूप से लेकर चुनावों में जीत दिलाने की रणनीति तक शामिल थी।

कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने को लेकर सोनिया गांधी की हरी झंडी मिल चुकी है। अब कांग्रेस और यूपीए गठबंधन में शामिल अन्य पार्टी के बड़े नेताओं के साथ पीके की बैठक होगी और इसके बाद औपचारिक एलान हो जाएगा।

सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक के लिए काम कर चुके प्रशांत किशोर कांग्रेस को कितना बदल पाएंगे? लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस को इससे क्या फायदा होगा? कांग्रेस में पीके की भूमिका क्या होगी? उन्होंने कांग्रेस के लिए क्या-क्या प्लान किया है? आने वाले दिनों में उनके सामने कौन-कौन सी बड़ी चुनौतियां होंगी? आइए इसे विस्तार से समझते हैं…

 प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए क्या प्लान किया है?

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी – फोटो : Agency
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के उत्थान के लिए 600 स्लाइड्स का प्रजेंटेशन तैयार किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस नेताओं के सामने इसमें से अब तक 52 स्लाइड को ही प्रजेंट किया गया है। इसके कुछ खास अंश…

  • पार्टी को पुराने सिद्धांतों पर लौटने की बात कही गई है।
  • गांधी परिवार के बाहर से किसी को अध्यक्ष बनाने की सलाह दी गई है।
  • जमीनी कार्यकर्ताओं को मजबूत करने की सलाह है।
  • गठबंधन से जुड़े विवादित मुद्दों को सुलझाने को लेकर कई पॉइंट रखे गए हैं।
  • पार्टी के कम्युनिकेशन सिस्टम में बदलाव करने और स्थायी पार्टी अध्यक्ष नियुक्त करने को कहा है।
  • यूपी, बिहार, ओडिशा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, गोवा, छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों में अकेले चुनाव लड़ने पर फोकस करने की बात है।
  • महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में गठबंधन को मजबूत करने की बात है।
  • प्रजेंटेशन में गठबंधन के साथियों के साथ सीट बंटवारे का फार्मूला भी शामिल किया गया है।
  • कुछ स्लाइड में ये बताया गया है कि किन-किन राज्यों में पार्टी के संगठनात्मक ढांचें में बदलाव करने की जरूरत है?
  • पार्टी के अंदर चापलूसी की भावना को खत्म करने की जरूरत भी पीके प्रजेंटेशन में है।
  • परिवारवाद को खत्म करने के लिए ‘एक परिवार, एक टिकट’ की रणनीति बनाने की बात भी इसमें शामिल है।
  • सभी स्तरों पर चुनाव के माध्यम से संगठनात्मक निकायों का पुनर्गठन करना।
  • कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस कार्यसमिति सहित सभी पदों के लिए निश्चित कार्यकाल तय करना।
  • 15,000 जमीनी स्तर के नेताओं को पहचानें और उन्हें शामिल किया जाए। इसके अलावा एक करोड़ से ज्यादा कार्यकर्ता तैयार किए जाएं।
  • 200 से अधिक समान विचारधारा वाले इंफ्लूएंसर, कार्यकर्ताओं और सिविल सोसाइटी के सदस्यों का एक संघ बनाया जाए।

पीके की कांग्रेस में क्या भूमिका हो सकती है?

सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रशांत किशोर।
सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रशांत किशोर ….
इससे पहले भी प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लग चुकी हैं। लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी में पुराने दिग्गज नेताओं ने इसका विरोध किया था। इस बार भी ऐसे नेता उनकी एंट्री से असहज हो सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने पीके को बड़ी जिम्मेदारी देने का मन बना लिया है। कांग्रेस नेतृत्व के पास इसके लिए दो विकल्प हैं। मसलन…

  1. पीके को पार्टी महासचिव (रणनीति) का पद दिया जा सकता है। इस पद पर रहते हुए वह पार्टी के स्ट्रैटजी और गठबंधन के मामलों को देख सकते हैं। अभी तक ऐसा कोई पद संगठन में नहीं है। मतलब पीके के लिए खासतौर पर इस पद का सृजन किया जाएगा। इसमें पार्टी के सभी प्रदेश प्रभारी सीधे तौर पर प्रशांत किशोर को रिपोर्ट करेंगे।
  2. दूसरा विकल्प सोनिया गांधी के सलाहकार के रूप में प्रशांत किशोर की एंट्री का है। अभी तक ये जगह अहमद पटेल संभालते थे। उनके निधन के बाद से ये जगह खाली है। इसमें पीके सीधे तौर पर सोनिया गांधी को रिपोर्ट करेंगे।

प्रशांत का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड क्या कहता है?

प्रशांत किशोर ने कई राज्यों के चुनाव में काम किया।
प्रशांत किशोर ने कई राज्यों के चुनाव में काम किया ….
प्रशांत किशोर सबसे पहले 2014 में चर्चा में आए थे। तब उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए लोकसभा चुनाव में रणनीति तैयार की थी। चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत भी हासिल की। इसके बाद प्रशांत भाजपा से अलग हो गए।

फिर 2015 में उन्होंने जेडीयू के लिए कमान संभाली। जेडीयू तब भाजपा से अलग हो गई। प्रशांत किशोर ने जेडीयू और आरजेडी के गठबंधन में बड़ी भूमिका निभाई। चुनाव में गठबंधन को जीत मिली, लेकिन जेडीयू और आरजेडी का साथ ज्यादा दिन तक नहीं चला। नीतिश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रशांत किशोर को भी मंत्री का दर्जा दिया।

2017 में कांग्रेस ने पंजाब और उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए प्रशांत किशोर को हायर किया। पंजाब में तो जीत मिली, लेकिन उत्तर प्रदेश में वह फेल हो गए। यूपी में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के पीछे पीके को ही बताया जाता है। हालांकि, उनकी ये स्ट्रैटजी यहां नहीं चल पाई।

2019 : आंध्र प्रदेश के चुनाव में वाईएसआरसीपी के लिए प्रशांत किशोर ने काम किया। इस चुनाव में वाईएसआरसीपी की जीत हुई और जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बने।

2020 : प्रशांत किशोर ने आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव में काम किया। यहां भी प्रशांत की रणनीति सफल हुई और दिल्ली में आप को बड़ी जीत मिली।

2021 : पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर को रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी दी। भाजपा से इस चुनाव में सीधे टक्कर थी। इसके बावजूद ममता ने बड़ी जीत हासिल की। ठीक इसी समय प्रशांत किशोर ने तमिलनाडु चुनाव में डीएमके के लिए रणनीति तैयार की। यहां भी डीएमके को बड़ी जीत मिली।

कांग्रेस के लिए कितने फायदेमंद होंगे प्रशांत किशोर?

अशोक श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार …
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘कोई भी चुनाव नेताओं और कार्यकर्ताओं के सहारे जीता जा सकता है। बगैर इनके कुछ नहीं हो सकता। प्रशांत किशोर  2014 में नरेंद्र मोदी के साथ थे। उस वक्त देशभर में मोदी की लहर थी। मोदी विजयरथ पर सवार थे। ऐसी स्थिति में प्रशांत किशोर ही क्या, कोई भी होता तो भी भाजपा का चुनाव जीतना तय था।’

अशोक प्रशांत की क्षमता पर सवाल भी खड़े करते हैं। कहते हैं, ‘अगर वाकई में प्रशांत किशोर में इतनी क्षमता है कि वह किसी भी पार्टी को जीत दिला सकते हैं तो सबसे पहले उन्हें एआईएमआईएम या टीपू सुल्तान पार्टी हायर कर लेती। इनके पास भी पैसों की कमी नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं होगा।’

वह कहते हैं, ‘अब तक जिन पार्टियों के लिए भी प्रशांत ने काम किया, वो पहले से ही काफी मजबूत रहीं हैं।’

आगे अशोक ने कहा, ‘कांग्रेस अगर वाकई में खुद में बदलाव लाना चाहती है तो उसे अंदर से बदलना होगा। कांग्रेस में भी बहुत सारे अच्छे नेता और कार्यकर्ता हैं। उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है। पार्टी को अपने अंदर के लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए।’

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय सिंह कहते हैं, ‘प्रशांत किशोर पिछले आठ साल से अलग-अलग राज्य और राजनीतिक दलों के साथ काम कर चुके हैं। ऐसे में इसका कुछ फायदा उन्हें जरूर 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान मिल सकता है। वह कांग्रेस के लिए पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में मजबूत गठबंधन तलाश सकते हैं।’

प्रो. सिंह के मुताबिक, पीके ने भाजपा के साथ भी काम किया है। ऐसे में उन्हें भाजपा की कमजोरी और मजबूती के बारे में भी मालूम है। इसका फायदा भी वह चुनावी रणनीति बनाने में उठा सकते हैं।

चुनौतियां क्या-क्या होंगी?

राहुल गांधी और प्रशांत किशोर।
राहुल गांधी और प्रशांत किशोर। – फोटो : अमर उजाला
कांग्रेस अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पिछले 20 से ज्यादा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार मिली है। दो लोकसभा चुनाव भी हार चुकी है। ऐसे में प्रशांत किशोर के सामने कई चुनौतियां होंगी।

1. कांग्रेस के वरिष्ठ और युवा नेताओं में तालमेल बनाना।
2. खुद की प्लानिंग को अमलीजामा पहनाना।
3. छह माह के अंदर गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं। दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है। गुजरात में पिछले 27 साल से कांग्रेस सत्ता से दूर है। हिमाचल में भी भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है। इन दोनों राज्यों में प्रशांत किशोर की पहली परीक्षा होगी।
4. पार्टी में कई गुट बन चुके हैं। सभी को फिर से एकजुट करना बड़ी चुनौती होगी।
5. उत्तर प्रदेश, बिहार में पार्टी का संगठन काफी कमजोर है।
6. पार्टी और पार्टी के नेताओं की छवि पिछले कुछ सालों में काफी कमजोर हुई है। फिर से इसे मजबूत करने की बड़ी चुनौती पीके के सामने है।

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