इन 3 वजहों से 12 राज्यों में हीट वेव, अगले 5 दिन और तपेगी धरती: जानिए कब मिलेगी राहत

देश में लगातार बढ़ रही गर्मी ने लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है। देश का करीब 75% हिस्सा भीषण गर्मी के कहर से जूझ रहा है। इसकी चपेट में करीब 80% आबादी है। मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल मार्च का महीना पिछले 122 सालों में सबसे गर्म रहा है। पिछले दिनों देश के 33 शहरों में भी तापमान 44 डिग्री के पार हो गया। मौसम विभाग का अनुमान है कि राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में आने वाले दिनों में तापमान लगातार बढ़ेगा। मार्च से लेकर अब तक देश में 4 हीट वेव देखी जा चुकी हैं।

…. जानते हैं कि आखिर किन वजहों से देश में लगातार गर्मी बढ़ती जा रही है और आगे आने वाले दिनों में क्या स्थिति रहेगी?

हीट वेव से जुड़ी जानकारी को समझने के लिए हमने भारत मौसम विज्ञान विभाग में रडार विभाग के साइंटिस्ट वेद प्रकाश सिंह से बातचीत की।

क्या होती है हीट वेव?
आमतौर पर लोग लू को ही हीट वेव समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। जब किसी क्षेत्र में तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा बढ़ जाए और ऐसा कई दिनों तक बना रहे तब उसे हीट वेव कहते हैं। इस दौरान क्षेत्र में ह्यूमिडिटी भी ज्यादा होती है। इंडियन मीटियरोलॉजिकिल डिपार्टमेंट (IMD) यानी भारत मौसम विज्ञान विभाग 3 परिस्थितियों में हीट वेव की घोषणा करता है।

  • पहली: जब मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा, तटीय (कोस्टल) क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया जाता है तो उन क्षेत्रों में हीट वेव की घोषणा की जाती है।
  • दूसरी: हर क्षेत्र का एक सामान्य अधिकतम तापमान होता है। जब उस क्षेत्र में तापमान सामान्य से 4.5-6.4 डिग्री सेल्सियस के बीच बढ़ता है, तब भी हीट वेव का अलर्ट घोषित किया जाता है।
  • तीसरी: जब किसी क्षेत्र में अधिकतम तापमान 45-47 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया जाता है, तो भी उसे हीट वेव साइकिल का हिस्सा माना जाता है।

देश में इस साल क्या है हीट वेव की स्थिति?
मार्च से लेकर अब तक देश के कुछ क्षेत्रों में करीब 26 दिन हीट वेव रही। पिछले डेढ़ महीने में इन क्षेत्रों हीट वेव के 4 दौर रह चुके हैं, जिनमें से आखिरी हीट वेव साइकिल अब भी जारी है।

  • पहली हीट वेव: इनमें से पहला साइकिल 11 मार्च से 19 मार्च तक चला। इस दौरान कच्छ-सौराष्ट्र, उत्तरी कोंकण, मध्य महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, पश्चिम मध्य प्रदेश, पश्चिम यूपी और ओडिशा में भीषण गर्मी रही।
  • दूसरी हीट वेव: हीट वेव का दूसरी साइकिल 27 मार्च से शुरू हुआ और 12 अप्रैल तक चला। इसने उन सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो पहली हीट वेव से प्रभावित थे। इसके अलावा इसका असर उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश में भी देखने को मिला।
  • तीसरी हीट वेव: कुछ दिनों की राहत के बाद 17 अप्रैल से 20 अप्रैल तक तीसरी हीट वेव चली। इस दौरान दिल्ली, राजस्थान, पूर्वी यूपी, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र प्रभावित हुए।
  • चौथी हीट वेव: 24 अप्रैल को कच्छ-सौराष्ट्र और राजस्थान में शुरू हुई चौथी हीट वेव अब तक जारी है। आने वाले दिनों में इसके दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तरी गुजरात और महाराष्ट्र में फैलने की उम्मीद है।

इसी साल क्यों बढ़ी गर्मी?
इस साल भारत में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही है। इसके 3 कारण हैं।

  • पहला कारण: इस बार गर्मी बहुत जल्दी शुरू हो गई। ऐसा इसलिए क्योंकि सामान्य तौर पर मार्च के अंत में बनने वाला एंटी-साइक्लोन इस बार 1 महीने जल्दी बना। इससे थार रेगिस्तान और पाकिस्तान से गर्म हवाएं आनी शुरू हो गई हैं। इसकी वजह से जम्मू, राजस्थान और आसपास के क्षेत्रों में तापमान सामान्य से ज्यादा है।
  • दूसरा कारण: पिछले कुछ सालों के मुकाबले इस साल हीट वेव का एक साइकिल ज्यादा लंबे समय तक चल रहा है, जिसकी वजह से तापमान बढ़ता जा रहा है। पिछले डेढ़ महीने में ही भारत में हीट वेव के 4 साइकिल देखे जा चुके हैं।
  • तीसरा कारण: आमतौर पर सर्दी खत्म होने के बाद कई क्षेत्रों में बारिश होती है, जिससे तापमान बैलेंस हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। देश के अधिकांश हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ने के बाद भी बिल्कुल बारिश नहीं हुई। इस वजह से लू और गर्म हवा का सिलसिला लगातार जारी है।

किन राज्यों में सबसे ज्यादा चल रही हीट वेव और क्या है इसकी वजह?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, 1901 के बाद ये तीसरी बार है, जब मार्च में इतनी गर्मी पड़ी। जहां हर साल मार्च महीने में अधिकतम तापमान 31.24 डिग्री सेल्सियस रहता है, वहीं इस साल ये 32.65 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। IMD ने बताया कि मार्च में देश के अधिकांश हिस्सों में गरज के साथ बारिश भी नहीं हुई। आइए जानते हैं कि कौन से राज्य गर्मी का सबसे ज्यादा प्रकोप झेल रहे हैं।

  • दिल्ली: दिल्ली शहर यमुना नदी के किनारे बसा है, जिससे ये ह्यूमिड सब-ट्रॉपिकल रीजन कहलाता है। ऐसे क्षेत्रों में ह्यूमिडिटी ज्यादा होती है और गर्मी भी ज्यादा पड़ती है। इसके अलावा राजस्थान से आने वाली गर्म हवा भी यहां के तापमान को बढ़ाती है। आजकल दिल्ली में सुबह से ही गर्म हवा और लू का सिलसिला शुरू हो जाता है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में यहां पारा 44 डिग्री तक जा सकता है।
  • महाराष्ट्र: मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई हिस्सों में हीट वेव का असर देखने को मिल रहा है। गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र से लगातार गर्म हवाएं आ रही हैं। इसके अलावा बढ़ते तापमान की एक वजह बढ़ता सोलर रेडिएशन भी है। गर्मी की वजह से महाराष्ट्र के बड़े हिस्से में बिजली की मांग बढ़ती जा रही है। राज्य ने 20,000 लाख मीट्रिक टन बिजली की कमी की बात मानी है। वहीं मौसम विभाग ने राज्य के कई शहरों में हीट वेव की चेतावनी जारी कर दी है। अप्रैल अंत में राज्य के अलग-अलग शहरों में दर्ज किया गया तापमान।
  • राजस्थान: राजस्थान में गर्मी बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है, थार रेगिस्तान से आने वाली गर्म और सूखी हवा। यहां 7 जिलों में तापमान 45 डिग्री के पार चला गया है। वहीं 8 जिलों में अधिकतम तापमान 44 डिग्री से ऊपर है। भीषण गर्मी के साथ यहां भी बिजली की भारी कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोज करीब 4 घंटे की बिजली कटौती की जा रही है, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में मौसम तेजी से करवट ले रहा है। अप्रैल के आखिरी दिनों में गर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है। मौसम विभाग ने लखनऊ सहित पूरे प्रदेश के लिए भीषण गर्मी का अलर्ट जारी किया है। लखनऊ समेत अन्य जिलों में अगले तीन दिन तक भीषण गर्मी पड़ेगी। इस दौरान 60 की स्पीड से गर्म हवाएं भी चलेंगीं। ये आंकड़े अप्रैल के अंत में रिकॉर्ड किए गए तापमान के मुताबिक हैं।
  • मध्यप्रदेश: मध्य प्रदेश में भी गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। मौसम विभाग ने 19 मई तक तेज गर्मी का अलर्ट जारी किया है। ऐसे में पारा 45 डिग्री के पार जा सकता है। 25 अप्रैल से प्रदेश के कई इलाकों में हीट वेव चल रही है। मौसम विभाग के अनुसार ग्वालियर, राजगढ़, रतलाम, गुना, छिंदवाड़ा, रीवा, सतना, सीधी, छतरपुर, टीकगमढ़ और दमोह जैसे शहरों में हीट वेव का कहर जारी है। अप्रैल अंत में दर्ज किया गया तापमान।
  • ओडिशा: ओडिशा में भी चिलचिलाती धूप के बीच हीट वेव चल रही है। यहां अधिकतम पारा 40 डिग्री के पार जा चुका है। बढ़ती गर्मी और लू को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी स्कूलों को 30 अप्रैल तक बंद कर दिया है।
  • छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में मौसम ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं। प्रदेश में पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है। मौसम विभाग के मुताबिक, रायपुर में अप्रैल महीने में अब तक का सबसे अधिक तापमान 30 अप्रैल 1942 को दर्ज किया गया था।

मौसम विभाग कैसे जारी करता है अलर्ट?
आमतौर पर लोग अलर्ट शब्द का नाम सुनते ही घबरा जाते हैं। यहां हम आपको बताएंगे कि IMD के किस अलर्ट का क्या मतलब होता है। भारत के मौसम विभाग ने चेतावनी देने के लिए अलग-अलग रंग निर्धारित किए हैं, जिसमें मुख्य 4 रंग होते हैं।

  • हरा: हरे रंग का मतलब है कि अभी देश में मौसम सामान्य है।
  • यलो: यलो कलर का मतलब है कि मौसम पर नजर रखें, मौजूदा हालातों पर अपडेट रहें।
  • ऑरेंज: तैयार रहें, मौसम कभी भी करवट बदल सकता है।
  • रेड: लाल रंग का मतलब होता है खतरे की घंटी। इसका मतलब साफ है कि आपात स्थितियों से निपटने को तैयार रहें।

आखिर कितने दिनों तक बनी रहेगी हीट वेव की स्थिति?

  • अगले 5 दिनों तक हीट वेव से नहीं मिलेगी राहत: इस बात को अच्छे से समझने के लिए हमने मौसम वैज्ञानिक वीपी सिंह से बात की। सिंह ने बताया कि 5 मई तक हीटवेव से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। इस दौरान उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में हीट वेव की आशंका है।
  • मई का पहला हफ्ता रहेगा कुछ राज्यों के लिए गर्म: मई के पहले हफ्ते में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, झारखंड में तापमान और बढ़ सकता है। पाकिस्तान, सौराष्ट्र और कच्छ से लगातार आ रही गर्म हवा के चलते मई के पहले हफ्ते में और तेज गर्मी पड़ने की आशंका है।
  • 15 मई तक बारिश की संभावना कम: सिंह ने बताया कि 15 मई तक दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को छोड़कर बाकी प्रदेशों में बारिश के आसार नहीं है। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले करीब 15 दिनों तक गर्मी से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।

क्या है हीट वेव बढ़ने की वजह?
यह पहले मौका नहीं है जो इस साल देश में इस तरह हीट वेव चल रही है। साल 2013-14 और 2016-17 में भी इसी तरह की गर्मी देखने को मिली थी और तब भी देश में इसी तरह तेज गर्म हवाएं चली थीं। जानकारी के अनुसार, हीट वेव के बढ़ने के मुख्य रूप से 3 कारण रहे हैं, जो इस समय पूरी दुनिया में मौसम के मिजाज को बदल रहे हैं।

  • प्रशांत और अटलांटिक महासागर में हवा का कम होना: देश में इस साल ज्यादा हीट वेव बढ़ने का पहला कारण यह है कि इस समय प्रशांत और अटलांटिक महासागर में सामान्य से कम हवा है और इसकी वजह से वहां के तापमान का सीधा असर भारत और उसके आसपास के देशों पर पड़ रहा है।
  • दूसरा कारण है क्लाइमेट चेंज: पहले जानते है कि क्लाइमेट चेंज क्या होता है? क्लाइमेट चेंज या जलवायु परिवर्तन का मतलब है तापमान और मौसम के पैटर्न में बदलाव। 18वीं सदी के बाद लोगों की गतिविधियां क्लाइमेट चेंज का प्रमुख कारण रही हैं। कोयला, गैस जैसी चीजों का ज्यादा इस्तेमाल क्लाइमेट चेंज के लिए जिम्मेदार है। इनसे ग्रीन-हाउस गैस निकलती हैं, जो एटमॉस्फियर को नुकसान पहुंचाती हैं। वैश्विक स्तर पर 2015-16 के बाद क्लाइमेट चेंज का असर देखने को मिला है। साल 2020-21 में बारिश के कम होने के कारण इस साल देशभर में भयानक गर्मी पड़ने की आशंका है।
  • तीसरा कारण है ग्लोबल वार्मिंग: तो क्या होती है ग्लोबल वार्मिंग? हमारी धरती पर सूरज की किरणों से हीट पहुंचती है। ये किरणें एटमॉस्फियर से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से रिफ्लेक्ट होकर लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है, जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। ये धरती के ऊपर एक लेयर बना लेती हैं। यह लेयर लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेती है, जिससे धरती का वातावरण गर्म रहता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग से मौसम पर क्या असर पड़ता है? ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्रीन हाउस गैस की लेयर ज्यादा मोटी हो जाती है। इससे सूरज की लौटती किरणें धरती के एटमॉस्फियर में ट्रैप हो जाती हैं, जिससे तापमान बढ़ता है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम बदलने का असर भारत ही नहीं, बल्कि अब दुनिया के कई देशों में दिखने लगा है। भारत में पहली बार इसका इतना ज्यादा प्रभाव देखा गया है। देश में पिछले कुछ सालों में मौसम का रुख काफी बदला है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगले पांच साल में धरती का तापमान 40 फीसदी बढ़ सकता है। लगातार बढ़ रहे तापमान की वजह से बर्फ पिघल रही है और समुद्र के जलस्तर में इजाफा हो रहा है।

समुद्र के पास के इलाकों में इस बार ज्यादा गर्मी क्यों बढ़ रही है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि मेडन जूलियन ऑसीलेशन (MJO) एक समुद्र के वायुमंडल से जुड़ी घटना है। इसका समुद्र से बहने वाली हवा पर असर पड़ता है और ये धीमी हो जाती है। जब समुद्री तटों से बहने वाली मंद हवाएं रुकने लगती हैं, तब सूरज की ज्यादा गर्मी से समुद्र के आसपास का हिस्सा गरम हो जाता है। अगर ये स्थिति ज्यादा देर तक बनी रहती है तो तापमान में तेज बढ़ोतरी होने की आशंका बढ़ जाती है।

ज्यादा गर्मी से हो सकते हैं बीमार
गर्मी के मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। गर्मियों में तेज लू से शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इसके अलावा पसीने और तेज धूप की वजह से भी शरीर में कई बैक्टीरिया पहुंच जाते हैं।

आइए जानते हैं कि गर्मी से इंसान को क्या परेशानी हो सकती है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।

  • त्वचा संबंधी समस्या: गर्मी के मौसम में तेज धूप की वजह से हीट रैश और फंगल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ सामान्य लक्षणों में त्वचा पर लाल धब्बे, फुंसी या छालों के साथ खुजली और जलन की दिक्कत हो सकती है। इससे बचने के लिए सनस्क्रीन क्रीम लगाएं। साथ ही धूप में निकलने से पहले हाथ-पैर और चेहरे को अच्छे से ढंक लें।
  • हीट स्ट्रोक का खतरा: तापमान बढ़ने के साथ अक्सर बाहर रहने वाले लोगों में हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर शरीर से पसीने के रूप में गर्मी निकलती रहती है, लेकिन कभी-कभी शरीर स्वाभाविक रूप से ठंडक नहीं ले पाता है, जिसके कारण यह समस्या होती है। इससे शरीर का तापमान बढ़ जाता है और चक्कर आने लगते हैं। इससे बचने के लिए ठंडी चीजों को खाते-पीते रहें, जिससे शरीर का तापमान बैलेंस रहे। साथ ही बहुत ज्यादा देर तक चिलचिलाती धूप में रहने से बचें।
  • डीहाइड्रेशन: गर्मी में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है शरीर में पानी की कमी। लगातार पसीना आने और लू चलने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है। ऐसे में मुंह और जीभ सूखने, चक्कर आने, कमजोरी-थकान और बुखार का खतरा बढ़ जाता है। डीहाइड्रेशन से बचने के लिए हर थोड़ी देर में पानी जरूर पिएं। साथ ही ऐसी चीजें खाएं जिससे शरीर में पानी की मात्रा बढ़ती रहे।

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