यह कैसा गणित : किसानों की कमाई दोगुना होना थी, घट गई
छह साल बाद भी ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं किसान, दोगुना होना थी आमदनी लेकिन इसमें कमी आई है। एमपी के पूर्व केन्द्रीय मंत्री सचिन यादव ने यह आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि, अपमान निधि बनी है।
भोपाल। कांग्रेस विधायक एवं पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि सरकार किसानों के साथ लगातार छल कर रही है। 28 फरवरी 2016 को उत्तरप्रदेश के बरेली की रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना कर दी जायेगी। मगर छह साल बाद मोदी और शिवराज सरकार के किसानों के साथ कि गए विश्वासघात का परिणाम है कि किसानों की आय बढऩा तो दूर उल्टी पहली की अपेक्षा कम हो गई है। रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने यह बात कही।
यह कैसा गणित : किसानों की कमाई दोगुना होना थी, घट गई
उन्होंने कहा कि हाल ही में सितम्बर 2021 में राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा ग्रामीण भारत में कृषि परिवारों की स्थिति को लेकर जारी रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि एक किसान की प्रतिदिन की आमदनी 26.67 रूपए खेती से रह गई है और देश में किसानों पर औसत कर्ज 74 हजार 121 रूपए है। 24 मार्च 2022 को पार्लियामेंट्री कमेटी ने भी यह खुलासा किया कि मध्यप्रदेश देश के उन चार राज्यों में शुमार है, जहां किसान परिवारों की आमदनी 2015-16 के मुकाबले 2018-19 में 9 हजार 740 रू. से घटकर 8 हजार 339 रू. रह गई है।
मोदी सरकार ने दिसम्बर 2018 से किसान सम्मान निधि की घोषणा की थी, जिसमें यह तय किया था कि प्रत्येक किसान के खाते में 6000 रूपए सालाना डाला जाएगा, ताकि खेती का लागत मूल्य घटाया जा सके। मगर सच्चाई यह है कि बीते सात सालों में 25 हजार रूपए हेक्टेयर खेती की लागत बढ़ गई। पहली बार खेती पर टैक्स यानी जीएसटी लगाया गया। ट्रेक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत टैक्स, टेक्टर टायर व अन्य पुर्जो पर 5 प्रतिशत टैक्स, खाद पर 5 प्रतिशत और कीटनाशक दवाईयों पर 18 प्रतिशत टैक्स, डीजल की कीमत औसत 35 रू. प्रति लीटर बढ़ा दी, खाद के दाम में वृद्धि की गई।