12 बुकीज का नेटवर्क चलाता है IPL सट्टा …. 80-20 रेश्यो वाला है सट्टे का खेल; खेलने वाले 80% लोग पैसा गंवाते हैं, सिर्फ 20% ही कमा पाते हैं
‘IPL का एक सीजन, अपुन के लिए इसका मतलब है 100 करोड़ के सट्टे की बुकिंग। इस बार IPL शुरू होने के पहले चेन्नई, मुंबई का भाव टाइट था, लेकिन अब लखनऊ और गुजरात का भाव चढ़ेला है। भाव-बिव सेट होगा, पंटर लोग आएगा, पैसा लगाएगा। कोई भी टीम जीते-कोई भी टीम हारे, अपुन को उससे मतलबिच नाई। अपना कटिंग फिक्स है।’
ये हैं मिड लेवल के क्रिकेट बुकी गौरव भाई (बदला हुआ नाम)। 42 साल के गौरव का ज्वेलरी का बिजनेस भी है, लेकिन वो सिर्फ दिखावे का बिजनेस है। गौरव के लिए उनका ‘मेन बिजनेस’ है सट्टा मार्केट। उनके पास मॉनसून से लेकर पॉलिटिक्स तक हर एक ईवेंट का सट्टा लगता है।
गौरव बचपन में खुद क्रिकेटर रहे हैं और उन्हें इस खेल की बारीकियों का अच्छा खासा ज्ञान है। एक बार गौरव के अंकल ने उन्हें एक बुकी से मिलवाया। बुकी के साथ उनकी अच्छी पटरी बैठी। धीरे-धीरे गौरव को ये काम पसंद आया और क्विक मनी का चस्का लग गया। अब गौरव मिड लेवल का बुकी है और 100 करोड़ से ज्यादा का सट्टा लगवाता है।
भारत में क्रिकेट के सबसे बड़े मेले में सट्टेबाजी का खेल कैसे होता है इस पर हम IPL में सट्टेबाजी पर दो रिपोर्ट की पड़ताल सीरीज ला रहे हैं। इस पहली किस्त में हम आपको बताएंगे कि पर्दे के पीछे से सट्टेबाजी का करोड़ों रुपयों का खेल कैसे होता है? सट्टेबाजी की नेटवर्किंग, तरीके, शब्दावली, नुस्खे सब कुछ बेहद दिलचस्प हैं।
पड़ताल की शुरुआत हमने की सट्टेबाजी में शामिल बुकी को ढूंढने से। करोड़ों का सट्टा खिलाने वाले ये बुकी मीडिया के लोगों से मिलने से कतराते हैं, लेकिन बहुत मशक्कत के बाद ये एक मीडिएटर के जरिए बात करने को तैयार हो गया। हमने मुंबई के एक बुकी से IPL के पीछे होने वाले धंधे पर बात की और क्रिकेट के पीछे होने वाले सट्टे के गेम को समझा।
टॉप बुकी मुंबई के फाइव स्टार होटल में करते हैं प्री-लीग मीटिंग
IPL शुरू होने से करीब एक महीने पहले टॉप 10-20 बुकी की बड़े-बड़े रिसॉर्ट और फाइव स्टार होटल में मीटिंग होती है। बुकीज पिछले सीजन के प्रदर्शन का रिव्यू करते हैं। वहीं खिलाड़ियों से प्रदर्शन की उम्मीद का रेट तय करते हैं। बुकीज की इसी मीटिंग में रेट का चार्ट तैयार होता है। पहले दिन जो रेट रखे जाते हैं ये ओपनिंग रेट कहलाते हैं। सट्टेबाजी का नेटवर्क बहुत ही गोपनीयता से डिजाइन होता है। क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में सट्टा लगाने का तरीका तो एक ही होता है, लेकिन IPL इसलिए खास है क्यों यहां रोमांच और पैसा दोनों चरम पर होता है।
जो भाव एक महीने पहले तय होता है उस के आधार पर पंटर (दांव लगाने वाले) भाव लगाना शुरू करते हैं। बुकीज का नेटवर्क होता है- सबसे ऊपर1,000- 500 करोड़ तक की बुकिंग लेने वाला बुकी होता है, उसके नीचे 200 करोड़ तक की बुकिंग करने वाला बुकी होता, वहीं इसके नीचे 50 करोड़ तक की बुकिंग करने वाला होता है।
गौरव ने हमें एक मैच के उदाहरण से सट्टेबाजी का तरीका समझाया। 8 अप्रैल, IPL 2022 में गुजराट टाइटंस और पंजाब किंग्स के बीच मैच का आखिरी ओवर। गुजरात को आखिरी दो गेंदों पर जीत के लिए चाहिए थे 12 रन और हर कोई मान चुका था कि गुजरात की हार तय है। सट्टा मार्केट में इस वक्त हर कोई पंजाब पर ही दांव लगा रहा था, लेकिन तेवतिया ने आखिरी दो गेंद में दो तूफानी छक्के लगाए और अपनी टीम गुजरात को जिताकर पंजाब पर दांव लगाने वालों के तोते उड़ा दिए।
IPL में स्पॉट बेटिंग है सबसे मशहूर सट्टेबाजी
क्रिकेट में सट्टा लगाने की कई कैटेगरी होती हैं, लेकिन इसे दो हिस्सों में बांटा जा सकता है- पहला- टीम की हार- जीत पर दांव, दूसरा- स्पॉट सट्टा जो हर बॉल, ओवर, प्लेयर, पावरप्ले में लगता रहा है और इसका भाव ऊपर-नीचे होता रहता है। स्पॉट बेटिंग ही सबसे पॉपुलर सट्टा होता है, जिसमें खेलने वालों में ज्यादा रोमांच पैदा होता है। इसी तरह की बेटिंग में पंटर (सट्टा लगाने वाले) लोग बड़ा पैसा गंवाते हैं या कमाते हैं।
क्रिकेट बेटिंग के खेल में कुछ चर्चित शब्दावली है जो आपको सट्टेबाजी के खेल को समझने के लिए जाननी होगा…
बुकी- जो सट्टा लगवाता है और बेट को आगे पास करता है। इसके बदले में बुकी अपना कमीशन लेता है और बाकी का सारा पैसा अपने से ऊपर वाले बुकी को पास कर देता है।
पंटर- सट्टेबाजी की भाषा में सट्टा में दांव लगाने वाले को पंटर कहते हैं। ये मुंबई की लोकल भाषा से निकला शब्द है, लेकिन क्रिकेट सट्टा बाजार में काफी आम है।
भाव या रेट- किसी भी टीम की जीतने की उम्मीद कहलाती है रेट। पिच कंडीशन, होम एडवांटेज और बैटिंग लाइन अप और बॉलिंग डिफेंस के आधार पर ये पता चल जाता है कि कौन सी टीम जीत रही है। जिस टीम के जीतने की उम्मीद ज्यादा होती है, उस पर भाव कम लगता है और जिसके जीतने की उम्मीद कम होती है उसका भाव ज्यादा लगाया जाता है। ये भाव तेजी से बदलता रहता है।
लगाई-खाई- ‘खाना’ मतलब आप उस टीम को सपोर्ट कर रहे हैं जिसे आप पसंद नहीं करते। ‘लगाना’ मतलब आप अपनी पसंद की टीम को सपोर्ट कर रहे हैं। बेटफेयर डिसाइड करता है कि किस टीम के जीतने की संभावना ज्यादा है। अगर चेन्नई और बेंगलुरु में से चेन्नई की जीतने की संभावना ज्यादा है और मैं चेन्नई पर ही पैसा लगाता हूं, तो इसे ‘लगाना’ कहते हैं। वहीं बेंगलुरु पर पैसे लगाने वाले को ‘खाना’ कहेंगे।
लाइव कमेंट्री डिले- ग्राउंड पर जो कुछ भी लाइव घट रहा होता है उसे हमारे टीवी सेट पर प्रसारित होने में 9-10 सेकेंड का वक्त लगता है। सट्टेबाजी के महारथियों के लिए ये वक्त करोड़ों रुपए बनाने के लिए काफी होता है। ये सिस्टम कॉन्फ्रेंस कॉल सिस्टम पर काम करता है, जिसमें एक व्यक्ति स्टेडियम में मौजूद होता है और वही एक कॉन्फ्रेंस लाइन के जरिए बॉल दर बॉल अपडेट देता रहता है।
कैसे तय होता है रेट?
मैच शुरू होने के पहले के रेट तो पूर्वनिर्धारित होते हैं और इस पूरे IPL सट्टेबाजी के खेल में सबसे अहम भूमिका है Batfair.com की। ये एक वर्चुअल ऑनलाइन सट्टेबाजी का प्लेटफॉर्म है। ये दुनिया के कई देशों में लीगल है। भारत में ये वेबसाइट खोलने पर लिखा आता है- ‘आपके देश में ये वेबसाइट खोलना मना है क्योंकि भारत में सट्टेबाजी लीगल नहीं है।’ हालांकि, भारत के सट्टा बाजार में इस वेबसाइट की काफी अहमियत है। भारत के बुकीज बेटफेयर के सेट किए हुए ऑड्स को बेंचमार्क मानकर बुकिंग जारी रखते हैं।
‘नेशनल टास्क फोर्स जैसा कुछ बने, तभी खुलासा होगा’
IPL 2022 की शुरुआत के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों से सट्टेबाजों पर कार्रवाई की खबरें आने लगीं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक… ज्यादातर राज्यों से सट्टेबाजी करते हुए लोगों को पकड़ा गया। जब भी पुलिस इस तरह की कार्रवाई करती है तो कुछ बदमाश पकड़े जाते हैं, उनके पास से लैपटॉप-फोन और कैश जब्त किया जाता है, लेकिन एक्सपर्ट बताते हैं कि इस तरह के केस में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाती और बदमाश छूट जाते हैं।
इंडिया क्राइम पोर्टल के विवेक अग्रवाल बताते हैं कि ‘भारत में 5 लाख के करीब बुकी हैं। वहीं 500 करोड़ से ऊपर का कारोबार चलाने वाले बुकीज सिर्फ 10-12 लोग ही हैं। बाकी सब बुकीज छोटे ही लोग होते हैं। अब बहुत ज्यादा तादाद में बुकी होने लगे हैं। बुकी अपने स्तर पर अपने इलाके में रेट कोट करते हैं। छोटे बुकी कटिंग करके पैसा बनाते हैं। वहीं, बहुत से इंटरनेशनल बुकी भी हैं, जो दूसरे देश के लोगों की बेट भी लगाते हैं।’
‘फिक्स्ड: कैश, करप्शन एंड क्रिकेट’ किताब लिखने वाले शांतनु गुहा रे बताते हैं कि ‘भारत में स्पोर्ट्स में जितना पैसा है उसका 85% पैसा सिर्फ क्रिकेट से ही आता है, बाकी सारे दूसरे खेल मिलाकर सिर्फ 15% पैसा है। इससे पता चलता है कि सट्टेबाजी का खेल कितना ज्यादा बड़ा है।
फाइनल मैच के दिन तक 40 करोड़ लोग बनते हैं सट्टा मार्केट का हिस्सा
शांतनु बताते हैं कि ‘एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब 14 करोड़ लोग रोजाना सट्टे में लगे रहते हैं, वहीं जैसे-जैसे लीग सेमीफाइनल की तरफ बढ़ती है तो ये संख्या 35-40 करोड़ हो जाती है। पिछले साल तक भारत में सट्टेबाजी का मार्केट 10 लाख करोड़ रुपये (180 अरब डॉलर) का है। इस पर सरकार और BCCI को लगकर जांच करनी होगी।’
सट्टेबाजी के रेवेन्यू मॉडल पर रे कहते हैं कि ‘गेम को डिजाइन ही ऐसा किया जाता है कि ज्यादा पैसा सट्टेबाज ही बनाते हैं। इसमें 80 और 20 का रेश्यो काम करता है। सट्टा खिलाने वाले 80% पैसा बनाते हैं और 20% खेलने वाले भी कमाते हैं। कई सारे ऐसे भी लोग हैं जो खेलकर भी करोड़ों कमा लेते हैं।’
अभी तक हमने आपको जो कुछ बताया ये IPL सट्टेबाजी का सिर्फ एक हिस्सा है। अब जमाना है डिजिटल और सट्टेबाज भी डिजिटल हो गए हैं। IPL में सट्टेबाजी की पड़ताल सीरीज की दूसरी रिपोर्ट में हम पड़ताल करेंगे क्रिकेट सट्टेबाजी की डिजिटल दुनिया की और बताएंगे कि कैसे अब घर बैठे एक क्लिक पर सट्टा खेला जा रहा है और पीड़ितों की जिंदगी कैसे बेहाल हो गई।