शहर की हरियाली बढ़ाने के लिए ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की ओर से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का बजट जारी किया जाता है। यदि करोड़ों के बजट के बाद भी लाखों रुपये की लागत से लगाए गए पौधों को पानी तक नसीब न हो तो प्राधिकरण के उद्यान विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में है …
, ग्रेटर नोएडा :
शहर की हरियाली बढ़ाने के लिए ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की ओर से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का बजट जारी किया जाता है। यदि करोड़ों के बजट के बाद भी लाखों रुपये की लागत से लगाए गए पौधों को पानी तक नसीब न हो तो प्राधिकरण के उद्यान विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। पानी के अभाव में दादरी में रूपबास बाईपास के पास तीन वर्ष पूर्व लगाए गए चार हजार में से लगभग पचास प्रतिशत तक पौधे सूख गए हैं।
मानसून के दौरान प्राधिकरण की ओर से शहर की हरियाली बढ़ाने के लिए हर वर्ष अभियान चलाया जाता है। इसके तहत शहर में स्थानों का चयन कर हजारों पौधे लगाए जाते हैं। जुलाई 2020 में प्राधिकरण ने दादरी में रूपबास बाईपास का चयन किया था। लगभग ढाई किलोमीटर लंबे बाईपास के दोनों तरफ लगभग नीम, बरगद, पिलखन, पीपल सहित अन्य प्रजाति के लगभग चार हजार पौधे लगाए गए थे। इस पर लगभग तीस लाख रुपये का बजट खर्च हुआ था। अब कई पौधे दो से पांच फीट तक ऊंचे हो गए हैं। पौधों को नियमित पानी की जरूरत
इस वर्ष प्राधिकरण ने ग्रीन बेल्ट को व्यवस्थित करने का बजट दस करोड़ रुपये रखा है। इसी बजट में पौधों की सिचाई भी होती है। भारी भरकम बजट के बाद भी प्राधिकरण का उद्यान विभाग पौधों में पानी तक नहीं दे पा रहा है।
शिकायत पर विभाग नहीं ले रहा संज्ञान
पर्यावरण प्रेमी विक्रांत तोंगण का कहना है कि बाईपास के पास तीन वर्ष पूर्व लगाए गए लगभग पचास प्रतिशत तक पौधे सूख गए हैं। पौधों की लगातार सिचाई के लिए प्राधिकरण अधिकारियों से लगातार संपर्क किया जाता है, सुनवाई नहीं होती है। लगातार शिकायत करने के बाद दिखाने के लिए एकाध बार एक एक टैंकर लगा कुछ पौधों में पानी डाल दिया जाता है। पौधों में टैंकर से सिचाई कराई जाती है। जो पौधे सूखे हैं वह अधिक गर्मी पड़ने के कारण सूखे हैं।
-कपिल देव, वरिष्ठ प्रबंधक उद्यान विभाग