स्नैपडील के फाउंडर का मंत्र- क्या होगा, फेल ही होंगे न; भरोसा रखिए कि उस कंडीशन में भी कुछ कर ही लेंगे

स्टार्टअप, Google में डालते ही सर्च रिजल्ट आया- About 3,01,00,00,000 results (0.61 seconds)। एक बार और डालिये तो इससे ज्यादा रिजल्ट इससे भी कम सेकेंड में। ये की वर्ड है ही ऐसा… हर कोई जानता है, फिर भी जानना चाहता है। और अगर स्टार्टअप शुरू कर लिया तो यूनिकॉर्न बन जाने का सपना, यानी 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा वैल्यू की कंपनी बन जाने की हसरत।

ये बेहद मेहनती सपना है और इन सपनों में हमारी हिस्सेदारी सच वाली बातों की। तो हम शुरू कर रहे हैं ‘Unicorn Dreams with कुशान अग्रवाल‘। ये सीरीज होगी और शुरुआत रोहित बंसल से। वही रोहित स्नैपडील वाले। बातें कंपनी की भी हैं, पर उससे पहले उन बातों की बातें, जिनसे कंपनी बनी, बढ़ी और कामयाब हुई। तो शुरू करें?…

कुशान: जब आप कुणाल के साथ दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके पुरम में पढ़ाई कर रहे थे, तब क्या आप लोग स्नैपडील बनाने के बारे में सोच रहे थे?
रोहित बंसल:
 मैं पंजाब में पला-बढ़ा। 11वीं क्लास में दिल्ली आया। यहां कुणाल से दोस्ती हुई और धीरे-धीरे हम क्लोज फ्रेंड बन गए। हमने तभी तय कर लिया था कि आगे चलकर साथ में काम करना है, लेकिन कब और कौन सा काम करना है, यह पता नहीं था।

कुशान: आप IIT दिल्ली से पढ़े, और कुणाल ने पेन्सिलवेनिया के बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की। अलग-अलग जगह नौकरी भी चल रही थी। साथ में बिजनेस करने का आइडिया कैसे आया?
रोहित बंसल: हम शुरुआत से ही साथ काम करना चाहते थे। जब कुणाल अमेरिका गए तो भी हम एक दूसरे के कॉन्टैक्ट में रहे। ईमेल के जरिए बातचीत करते थे। जब भी वो भारत आते तो हम जरूर मिलते थे। इसके बाद दोनों की पढ़ाई पूरी हुई और हम जॉब करने लगे।

करीब 6 महीने बाद कुणाल अपने भाई की शादी के लिए भारत आए। हम दोनों की मुलाकात हुई। कुणाल ने मुझसे पूछा कि हमें तो साथ में बिजनेस करना था, तो आपका क्या प्लान है, कब शुरू किया जाए।

मैंने कहा कि अभी तो 2-3 साल काम करना चाहता हूं, फिर अमेरिका जाकर MBA करने का इरादा है। उसके बाद बिजनेस के बारे में सोचेंगे। तब कुणाल ने कहा कि जब खुद का काम शुरू ही करना है तो फिर 6-7 साल का वक्त क्यों बर्बाद करना।

चूंकि हम दोनों काफी यंग थे। हमारे खर्चे भी कम थे, दोनों की शादी भी नहीं हुई थी और किसी तरह का फाइनेंशियल प्रेशर भी नहीं था। इसलिए तय किया कि चलो शुरू करते हैं।

इसके बाद हमने कुछ आइडियाज को लेकर सोचना शुरू किया कि क्या कर सकते हैं। मजेदार बात यह है कि आज जो स्नैपडील है, यह हमारा पहला बिजनेस नहीं था। साल 2008 में हमने अमेरिका की एक कंपनी से इंस्पायर्ड होकर प्रिंटेड कूपन बुकलेट बेचना शुरू किया था। एक साल तक हमने उस पर काम किया। हमें उम्मीद थी कि यह कामयाब होगा, लेकिन लॉन्च करते ही समझ आ गया कि कोई कूपन खरीदना नहीं चाहता है।

इसके बाद हम अलग-अलग आइडिया को लेकर काम करते रहे और 3-4 साल बाद यानी 2012 में स्रैपडील का आइडिया आया।

कुशान: जब नौकरी छोड़कर बिजनेस शुरू करने का प्लान किया तो सबसे बड़ा डर क्या था? क्या पैसे की चिंता नहीं हुई?
रोहित बंसल: हम दोनों ने अच्छे कॉलेज से पढ़ाई की थी और अच्छी जॉब भी कर रहे थे। इसलिए खुद पर भरोसा था। वर्स्ट केस में अगर तीन-चार साल कुछ नहीं होता है, बिजनेस फेल होता है। तो भी हम अपनी एजुकेशन और एक्सपिरियंस के दम पर कुछ न कुछ कर ही लेंगे।

कुशान: एक कॉमन मैन अपने इनोवेटिव आइडिया को बिजनेस में कैसे कंवर्ट करे?
रोहित बंसल: मुझे लगता है कि बिजनेस शुरू करना मुश्किल नहीं है। सबसे अहम बात है स्टार्ट करना। इसके बिना कुछ भी हासिल करना मुमकिन नहीं है। एक बार जब आप कोई काम स्टार्ट कर देते हैं और उसे अपना 100% देते हैं, तो अपने आप रास्ता बनता जाता है। इसलिए स्टार्ट करने को लेकर बहुत वक्त नहीं लगाना चाहिए। अगर आप ज्यादा सोचोगे, तो कुछ नहीं कर पाओगे।

कुशान: नए बिजनेस को शुरुआत में फंडिंग मिलना मुश्किल होता है। आपने इन्वेस्टर्स का भरोसा कैसे हासिल किया?
रोहित बंसल:
हमें सबसे पहला इन्वेस्टर जो मिला वो कुणाल के सीनियर थे, जो माइक्रोसॉफ्ट में काम करते थे। वे कभी भारत नहीं आए थे। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि कोई हमें इतना पैसे देगा, जिसके पास पहले से कोई बिजनेस ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने हमें 40 लाख रुपए का फंड दिया था।

कुशान: स्नैपडील की जर्नी को दो फेज में देखा जाता है। एक 2017 से पहले का स्नैपडील और दूसरा 2017 के बाद का स्नैपडील। 2017 के बाद स्नैपडील में क्या-क्या बदलाव हुए? आपका मौजूदा फोकस किस तरफ है और आने वाले दिनों में क्या प्लान हैं?

रोहित बंसल: 2017 के बाद हमने वैल्यू और लाइफस्टाइल सेगमेंट पर फोकस किया। कपड़ों से लेकर होम-किचन, ब्यूटी और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स तक। अगर भारत की बात करें तो ये सभी प्रोडक्ट लोकल मार्केट में मिलते हैं। मॉल्स में इनकी खरीदारी कम होती है।

इस कैटेगरी के अंदर डिमांड बहुत ज्यादा है, मार्केट काफी बड़ा है, लेकिन क्वालिटी का इश्यू है। इस प्राइस कैटेगरी के अंदर ब्रांड्स की कमी है। चूंकि अब कस्टमर्स धीरे-धीरे ऑनलाइन शिफ्ट हो रहे हैं। इसलिए हम ऐसे कस्टमर्स को टारगेट कर रहे हैं।

कुशान: किसी भी सेक्टर में बड़े बिजनेस के सामने छोटे प्लेयर्स कैसे सर्वाइव करें?
रोहित बंसल: देखिए भारत में मार्केट बहुत बड़ा है और ऐसा नहीं है कि किसी एक ही कंपनी का कब्जा पूरे मार्केट शेयर पर है। मुझे लगता है कि सबसे जरूरी चीज है कि आपकी कंपनी अपने आप को दूसरी कंपनियों से कैसे अलग करती है और खुद को यूनीक बनाती है। ऐसी क्या चीज है जो आप कस्टमर्स को देते हैं, जो दूसरी कंपनियां नहीं देती हैं।

अगर आप इस पर फोकस करते हैं और लगातार फोकस करते हैं तो निश्चित रूप से आपका बिजनेस बढ़ता जाएगा और कॉम्पटिशन का डर भी नहीं रहेगा।

कुशान: स्नैपडील की अब तक की जर्नी में क्या कभी ऐसा वक्त आया कि लगा हो, अब बहुत हो गया। उस मुश्किल वक्त में आपने खुद को कैसे संभाला?
रोहित बंसल:
 हां ऐसा बहुत बार हुआ है। कई बार उतार-चढ़ाव आए, लेकिन देखा जाए तो ज्यादातर बिजनेस मुश्किलों से होकर ही गुजरते हैं। मुश्किलें तो आती रहेंगी। इनका हिम्मत से सामना करना जरूरी है। इसमें मेरे परिवार ने काफी सपोर्ट किया और हर कदम पर साथ दिया।

कुशान: अब थोड़ा पर्सनल लाइफ के बारे में बात करते हैं। जब आप बिजनेस की बात नहीं कर रहे होते, तो क्या करते हैं? आपकी हॉबीज क्या हैं?
रोहित बंसल: मेरी तीन हॉबीज हैं। पहली अपने बच्चों और परिवार के साथ वक्त बिताना। मेरा परिवार ही मुझे हर दिन इंस्पायर करता है। दूसरी, मुझे हेल्थ में रुचि है। मैं रेगुलर वर्काउट करता हूं। हेल्थ से जुड़ीं किताबें पढ़ना पसंद है। तीसरी हॉबी है ट्रैवल करना। अलग-अलग जगहों पर जाना और खुद को एक्सप्लोर करना मुझे बहुत पसंद है।

कुशान: बिजनेस की दुनिया में भारत में जो इन्नोवेटिव वर्क हो रहा है वह यूएस, यूरोप और चाइना से कितना आगे या पीछे है?
रोहित बंसल:10-15 साल पहले जरूर बात अलग थी, लेकिन अब भारत भी इन देशों से पीछे नहीं है। तब ज्यादातर बिजनेस दूसरे देशों के आइडिया से इंस्पायर्ड होते थे, अब ऐसा नहीं है। ऐसे कई बिजनेस शुरू हो रहे हैं, जो सिर्फ भारत के मार्केट के लिए हैं। दूसरी बात कि कई ऐसे स्टार्टअप हैं जिनके प्रोडक्ट का इस्तेमाल भारत के बाहर यानी ग्लोबल लेवल पर भी हो रहा है।

कुशान: भारत में स्टार्टअप तेजी से ग्रो कर रहा है। कम उम्र के फाउंडर्स बड़ी संख्या में आ रहे हैं। आप युवाओं को क्या सलाह देंगे?
रोहित बंसल: भारत के लिए बहुत अच्छी बात है कि स्टार्टअप सिस्टम बढ़ रहा है। जब हमने शुरू किया तब स्थितियां अलग थीं। हाल ही में IIT दिल्ली के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स के साथ मेरा इंटरैक्शन हुआ। उनके प्रोफेसर ने मुझे बताया कि जब उन्होंने सर्वे किया कि ग्रेजुएशन करने के बाद स्टूडेंट्स क्या करना चाहते हैं तो ज्यादातर युवाओं की फर्स्ट चॉइस एंटरप्रेन्योर बनने को लेकर थी।

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि ये युवा अपना बिजनेस करना चाहते हैं। मैं ऐसे युवाओ को सलाह दूंगा कि वे कोई भी बिजनेस शुरू करने से पहले डरें नहीं कि वे सफल होंगे या नहीं। सारे सक्सेसफुल बिनेसमैन भी इंसान ही हैं।

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