अमृतसर का स्वर्ण मंदिर…..
अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है, जिसका निर्माण गुरु रामदास ने अपने हाथों से किया था। यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचोंबीच स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है। इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह गुरुद्वारा शिल्प सौंदर्य की अनूठी मिसाल है। इसकी नक्काशी और बाहरी सुंदरता देखते ही बनती है। गुरुद्वारे के चारों ओर चार दरवाजे हैं। जो चारों दिशाओं में खुलते हैं। श्री हरमन्दिर साहिब परिसर में दो बड़े और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं। इस जलाशय को अमृतसर, अमृत सरोवर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद संगमरमर से बना है। इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। हरमन्दिर साहिब में पूरे दिन गुरबाणी की स्वर लहरियां गूंजती रहती हैं। स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले श्रद्धालु मंदिर के आगे शीश झुकाते हैं। फिर पैर धोने के बाद सीढ़ियों से मुख्य मंदिर तक जाते हैं। सीढ़ियों के साथ-साथ स्वर्ण मंदिर से जुड़ी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लिखा हुआ है। स्वर्ण मंदिर एक बहुत ही खूबसूरत इमारत है। इसमें रोशनी की बहुत ही सुन्दर व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में पत्थर का एक स्मारक भी है, जो जांबाज सिख सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए लगाया गया है। मंदिर की सराय में विश्राम-स्थल है। इसमें 228 कमरे और 18 बड़े हॉल हैं। यहां पर रात गुजारने के लिए गद्दे-चादरें मिल जाती हैं। विश्राम-स्थलों के साथ-साथ यहां चौबीस घंटे लंगर चलता है। इसमें रोज लगभग 40 हजार श्रद्धालु प्रसादी ग्रहण करते हैं। लंगर में कोई भी प्रसाद ग्रहण कर सकता है। स्वर्ण मंदिर सरोवर के बीच बना हुआ है। यह मंदिर एक पुल द्वारा किनारे से जुड़ा हुआ है। सरोवर में श्रद्धालु स्नान करते हैं। पास ही स्वर्ण जड़ित, अकाल तख्त है। इसमें संग्रहालय और सभागार है। स्वर्ण मंदिर परिसर में स्थित सभी पवित्र स्थलों की पूजा स्वरूप भक्तगण अमृतसर के चारों तरफ बने गलियारे की परिक्रमा करते हैं। इसके बाद वे अकाल तख्त के दर्शन करते हैं। अकाल तख्त के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु पंक्तियों में स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते हैं। गुरुद्वारे के आसपास अन्य महत्त्वपूर्ण स्थल हैं। थड़ा साहिब, बेर बाबा बुड्ढा साहिब, गुरुद्वारा लाची बार, गुरुद्वारा शहीद बंगा बाबा दीप सिंह जैसे छोटे गुरुद्वारे स्वर्ण मंदिर के आसपास स्थित हैं। उनकी भी अपनी महत्ता है।