ग्वालियर.. असफल इलाज का दोषी डॉक्टर को न समझें
मेडिकल साइंस में नित नए रिसर्च हो रहे हैं। नई तकनीक, नई दवाइयां बन रही हैं। फिरभी हर रोग को समझ पाना या हर रोग को 100 परसेंट ठीक करना आज भी संभव नहीं है
ग्वालियर.
प्राय: देखने में आ रहा है कि दिन प्रति दिन रोगी तथा चिकित्सक के संबंधों में दरार सी आती जा रही है। चिकित्सक का दृष्टिकोण तो हर चिकित्सक जानता है कि वह अपनी पूर्ण निष्ठा से रोगी को ठीक करने व अत्यंत गंभीर स्थिति में उसे बचाने का प्रयास करता है, लेकिन आम लोगों को समझ नहीं आ रहा। मानव शरीर एक दिव्य संरचना है। इसे इंसान ने नहीं बनाया, इंसान तो केवल इसकी जटिल क्रियाओं को समझने का प्रयास करता है। जब हम बीमार पड़ते हैं तो चिकित्सक अपने ज्ञान व अनुभव से ठीक करने का प्रयास करता है। किंतु पूर्ण गारंटी से हर मरीज को ठीक कर दे, ऐसा असंभव है। रोगी या साधारण जन मानस का दृष्टिकोण देखें तो उन्हें लगता है कि डॉक्टर यदि चाहे तो हर रोगी को पूर्णत: ठीक कर सकता है, यदि कोई रोगी ठीक नहीं होता है तो उसमें उनको चिकित्सक की लापरवाही नजर आने लगती है। इस लेख के माध्यम से यह बताना चाहती हूं की चिकित्सा विज्ञान अथाह है। सागर से भी गहरा है तथा आज भी अपूर्ण है। क्योंकि शरीर दिव्य है और हर इंसान का शरीर भिन्न-भिन्न तरीके से बर्ताव करता है जैसे कि हर इंसान के चेहरे की संरचना एक होने पर भी सभी चेहरे भिन्न होते हैं।
प्राय: देखने में आ रहा है कि दिन प्रति दिन रोगी तथा चिकित्सक के संबंधों में दरार सी आती जा रही है। चिकित्सक का दृष्टिकोण तो हर चिकित्सक जानता है कि वह अपनी पूर्ण निष्ठा से रोगी को ठीक करने व अत्यंत गंभीर स्थिति में उसे बचाने का प्रयास करता है, लेकिन आम लोगों को समझ नहीं आ रहा। मानव शरीर एक दिव्य संरचना है। इसे इंसान ने नहीं बनाया, इंसान तो केवल इसकी जटिल क्रियाओं को समझने का प्रयास करता है। जब हम बीमार पड़ते हैं तो चिकित्सक अपने ज्ञान व अनुभव से ठीक करने का प्रयास करता है। किंतु पूर्ण गारंटी से हर मरीज को ठीक कर दे, ऐसा असंभव है। रोगी या साधारण जन मानस का दृष्टिकोण देखें तो उन्हें लगता है कि डॉक्टर यदि चाहे तो हर रोगी को पूर्णत: ठीक कर सकता है, यदि कोई रोगी ठीक नहीं होता है तो उसमें उनको चिकित्सक की लापरवाही नजर आने लगती है। इस लेख के माध्यम से यह बताना चाहती हूं की चिकित्सा विज्ञान अथाह है। सागर से भी गहरा है तथा आज भी अपूर्ण है। क्योंकि शरीर दिव्य है और हर इंसान का शरीर भिन्न-भिन्न तरीके से बर्ताव करता है जैसे कि हर इंसान के चेहरे की संरचना एक होने पर भी सभी चेहरे भिन्न होते हैं।
असफल इलाज का दोषी डॉक्टर को न समझें
वातावरण में मौजूद हर सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव या वस्तु जैसे धूल, हवा, प्रदूषण, वायरस, जीवाणु, पेड़ पौधे, सूर्य की किरणें, मोबाइल की किरणें, मानसिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, घर का वातावरण, खानपान, वर्जिश, अनुवांशिक बनावट आदि सभी का शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है और इन सब के कारण हम बीमार पड़ते या स्वस्थ रहते हैं। मेडिकल साइंस में नित नए रिसर्च हो रहे हैं। नई तकनीक, नई दवाइयां बन रही हैं। फिरभी हर रोग को समझ पाना या हर रोग को 100 परसेंट ठीक करना आज भी संभव नहीं है। इसीलिए प्रत्येक मनुष्य को चाहिए वह अपना खानपान व अन्य व्यवहार संतुलित रखे, जिससे कि बीमार ना पड़े और यदि बीमार पड़ जाए तो डॉक्टर से यह अपेक्षा न रखें कि वह उसे हर हाल में ठीक कर देगा।
कल्पना करें कि हमें बुखार है, शरीर के किसी हिस्से में तेज दर्द है या रक्त स्राव हो रहा है, दस्त उल्टी या अन्य बीमारी है और डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। ऐसी कल्पना मात्र ही भयावह है तो डॉक्टर्स के प्रति कृतज्ञ न भी हो सकें तो कम से कम हर असफल इलाज का दोषी डॉक्टर को समझने की भूल न करें।
डॉ. कुसुमलता सिंघल, ग्वालियर
कल्पना करें कि हमें बुखार है, शरीर के किसी हिस्से में तेज दर्द है या रक्त स्राव हो रहा है, दस्त उल्टी या अन्य बीमारी है और डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। ऐसी कल्पना मात्र ही भयावह है तो डॉक्टर्स के प्रति कृतज्ञ न भी हो सकें तो कम से कम हर असफल इलाज का दोषी डॉक्टर को समझने की भूल न करें।
डॉ. कुसुमलता सिंघल, ग्वालियर