BJP में भी सिंधिया के महाराजा वाले तेवर! जानिए कैसे…:सरकारी बंगला एकदम शाही ठाठ-बाट जैसा, भ्रष्ट अफसरों की गर्दन किसके हाथ में.

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है। जिसमें ये कहा गया है कि IAS, IPS और IFS अफसरों पर किसी भी तरह की जांच और कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री इजाजत लेनी होगी। पहले EOW और लोकायुक्त की टीम खुद ही कार्रवाई करती थी। अब लोग ये सोच रहे है कि अफसरों की गर्दन सरकार के हाथ में आ गई। लेकिन यहां तो सुना है कि इस आदेश के बहाने सरकार भ्रष्ट अफसरों की ढाल बन गई है। दरअसल सवाल यह उठा कि अचानक यह फैसला क्यों?

सुना है कि लोकायुक्त ने ‘सरकार’ के करीबी अफसरों के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर ली थी। बस फिर क्या था सरकार ने आनन-फानन में यह आदेश जारी कर दिया। खबर है कि मामला उज्जैन का है। यहां एक रिटायर मुख्य सचिव के बेटे को गलत तरीके से फायदा देने की शिकायत पर लोकायुक्त में केस चल रहा था। इसमें करीब 13 IAS अफसरों (अधिकतर रिटायर हो चुके हैं) के खिलाफ एक्शन की तैयारी थी। इसमें एक दबंग छवि वाला अफसर भी है, जो मालवा के एक जिले में कलेक्टर है। आरोपियों में से ज्यादातर अफसरों पर ‘सरकार’ की कृपा बरसती रही है। इस आदेश से उन्हें एक बार फिर सुरक्षा कवच मिल गया है। जांच एजेंसी से जुड़े एक अफसर की टिप्प्णी- लोकायुक्त, EOW की हालत ये हो गई, जैसे किसी योद्धा के हाथ बांधकर उसे तलवार चलाने को कहा जाए…

लपेटे में आए माननीय तो अफसरों को कर दिया आगे

सियासत क्या क्या ना कराए और बात जब बड़े वोट बैंक की हो तो भैया पांव पांव तो करना ही पड़ेगा। फिर भले वो सत्ताधारी हो या विपक्षी। अब सिवनी की घटना को ही ले लीजिए। यहां गो-मांस की तस्करी के आरोप में दो आदिवासियों की हत्या कर दी गई। जब कांग्रेस ने अपने विधायकों को जांच के लिए भेजा तो भला सत्ताधारी दल कहां चुप बैठता। बीजेपी ने भी अपने सांसद-विधायकों को सिवनी तक दौड़ा दिया। वो भी तब जब सरकार इस मामले में जांच करा रही है।

सुना है बीजेपी की विचारधारा से जुड़े दल के लोगों पर हत्या का आरोप है। ऐसे में आदिवासी नाराज हो गए तो चुनाव में लेने के देने पड़ जाएंगे। अब चुनाव तो बाद की बात है। लेने के देने तो यहां पड़ गए। सुना है कि बीजेपी के दल को आदिवासियों ने खूब खरी-खोटी सुनाई। ये कहकर दिल की धड़कन बढ़ा दी… कि चुनाव तो आने दो बताते है। अब माननीय लपेटे में आए तो उन्होंने घटना का ठीकरा एसपी-कलेक्टर पर फोड़ दिया। अब देखना ये है कि सरकार इनकी रिपोर्ट पर क्या एक्शन लेती है।

एक बंगला बना न्यारा

एक बंगला बने न्यारा… ये गाना तो आपने सुना ही होगी। हम अभी इस गाने का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक महाराज के लिए एक न्यारा बंगला बना है। ये वहीं महाराज है… जो कांग्रेस में भी महाराज थे। और कार्यकर्ताओं की पार्टी कहे जाने वाली बीजेपी में आने पर भी वो महाराज ही है। तभी तो उनके लिए न्यारा बंगला बना है। एकदम शादी ठाठ-बाट जैसा। बंगले का बड़ा सा महलनुमा दरवाजा देखते ही बनता है।

दरवाजे के दोनों ओर दीवार पर राजघराने के ध्वज वाले सर्प निशान की आकृति बनाई गई है। प्रदेश में यह पहला सरकारी बंगला है, जिसे शाही लुक देने की कोशिश की गई है। और हो भी क्यों ना बंगला महाराज के लिए जो बना है। और हां दो पूर्व मुख्यमंत्री इनके पड़ोसी है, इनमें से एक तो राजा साहब है। हालांकि महाराजा के बंगले की चमक के सामने वो फीके ही है। भई महाराजा तो महाराजा है… चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी में।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *