MP Election 2022 …. लड़ाई तो नगरीय व पंचायत चुनाव की होगी, पर नजरें विधानसभा चुनाव पर रहेंगी
निकाय व पंचायत चुनाव टलते-टलते विधानसभा चुनाव के इतने करीब आ गए हैं कि इनका प्रभाव मिशन 2023 पर भी होगा ….
भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण मिल गया, लेकिन इससे आंकड़े नहीं बदलेंगे। लगभग तय है कि आरक्षण 14 प्रतिशत ही होगा। तो क्या आंकड़ों की तरह राजनीतिक समीकरण भी अप्रभावित होंगे? बिलकुल नहीं, बल्कि पूरे केंद्र में ही यही 14 प्रतिशत आरक्षण का खेल है। कांग्रेस के 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग के जवाब में जब भाजपा सरकार ने 35 प्रतिशत आरक्षण की मांग पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के माध्यम से उठा दी थी, तभी संकेत मिलने लगे थे कि हकीकत से अधिक तपिश दावों में होगी।
अर्थात दोनों दलों को संकेत मिल चुके थे कि यदि ओबीसी को आरक्षण मिला भी तो 50 प्रतिशत की बाध्यता में ये 14 प्रतिशत से अधिक होने वाला नहीं है। ऐसे में हकीकत से आगे बढ़कर दावों की नौबत आ गई। हालांकि कांग्रेस दावों के मामले में ही नहीं, बल्कि आरोप-प्रत्यारोप में भी पीछे छूटती दिखी। यदि कांग्रेस अब इसका विरोध करती है, तो पार्टी के लिए सियासी जोखिम से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। भाजपा पहले से इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण में बाधा और चुनाव में देरी का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ती रही है। इधर, कांग्रेस ने तथ्यों के आधार पर प्रतिक्रिया में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।
भाजपा की स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में बेहतर मानी जाती रही है। ऐसे में प्रबल संभावना है कि पहले नगरीय निकायों के चुनाव कराए जाएं, इसके बाद पंचायतों के लिए चुनाव हों। इस स्थिति को लेकर कांग्रेस की तैयारियों की चुनौती बढ़ जाएगी। चूंकि नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव टलते-टलते विधानसभा चुनाव के करीब आ गए हैं, तो इसका प्रभाव मिशन 2023 को भी प्रभावित करेगा ही। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस चुनाव तो नगरीय निकायों का लड़ेंगी, लेकिन नजरें विधानसभा चुनाव पर होंगी।