ग्वालियर। निजी अस्पतालों में सरकारी डाक्टरों का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। आनकाल सरकारी डाक्टर और निजी एक से अधिक अस्पतालों में स्थाई सेवाएं दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग भी कार्रवाई के नाम पर पंजीयन रद कर नए नाम से उन्हें ही मरीजों की जान से खिलवाड़ करने की अनुमति दे देता है। अभी हाल ही में हुई कार्रवाई में सरकारी डाक्टरों का निजी अस्पतालों में नेटवर्क का राजफाश हुआ है। एसआर मैमोरियल अस्पताल से लेकर रुद्राक्ष अस्पताल में मरीजों की मौत का कारण सरकारी डाक्टर रहे। जिनके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग सख्त कदम तक नहीं उठाता। यही कारण है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की दलाली प्रथा फलफूल रही है।

रुद्राक्ष अस्पताल: मुरार स्थित रुद्राक्ष अस्पताल जहां पर जिला अस्पताल से आशा कार्यकर्ता पुष्पलता, डा.अनीता श्रीवास्तव के कहने पर गर्भवती प्राची शर्मा को लेकर पहुंची थी। जहां स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान में पदस्थ डा.अनीता श्रीवास्तव ने इलाज दिया और दूसरे दिन आपरेशन से डिलीवरी कराने के लिए कहा था, लेकिन रात में प्रसव पीड़ा होने पर दो नर्सों ने प्राची का पेट दबा दिया था, जिससे बच्चेदानी फटने से बच्चे की मौत हो गई थी। इस अस्पताल का संचालक डा.संजीव शर्मा जीआर मेडिकल कालेज का छात्र है और व्यापमं कांड में पहले इसका नाम आ चुका है। जीआर मेडिकल कालेज के डीन डा.समीर गुप्ता का कहना है कि सीएमएचओ से पत्र मिला है। मेडिकल छात्र के बारे में जानकारी ली जा रही है।

एसके मैमोरियल हास्पिटल: मार्च में गोला का मंदिर स्थित एसके मैमोरियल अस्पताल में भिंड निवासी गर्भवती महिला की आपरेशन से डिलीवरी कराई गई थी। यह डिलीवरी बिरला नगर जच्चाखाना में तैनात डा.शालनी खान ने कराई थी। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच में अस्पताल का पंजीयन निरस्त कर दिया था और डा.शालनी खान को कारण बताओ नोटिस थमा कर भूल गया। एसके मैमोरियल के संचालक ने दूसरे न्यू एसके मैमोरियल नाम से फाइल सीएमएचओ कार्यालय में लगा दी है, जिसे जल्द ही अनुमति देने की तैयारी है।

एसएन हास्पिटल के खिलाफ परिवाद पेश हुआ: चार फरवरी को डा.धर्मवीर दिनकर के मुरार स्थित एसएन अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने डिकोय भेजकर गर्भपात होने का पता लगाया था। जिसमें अस्पताल के स्टाफ ने डिकोय का गर्भपात करने के लिए उसे भर्ती कर लिया था। तब स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के खिलाफ कोर्ट में परिवाद पेश किया था। डा.धर्मवीर दिनकर ने सीएमएचओ कार्यालय में हंगामा किया था, जिसको लेकर उनके खिलाफ पड़ाव थाने में शिकायत भी दर्ज हुई। डा.धर्मवीर जयारोग्य अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में संविदा पर तैनात थे, लेकिन उन्होंने यह जानकारी मेडिकल कालेज व स्वास्थ्य विभाग से छिपाई थी। जिस पर दोंनो में से किसी भी संस्थान ने कोई एक्शन नहीं लिया।

वर्जन-

शहर के सभी अस्पतालों से उनके स्टाफ के बारे में जानकारी मांगी गई है। जहां पर भी गड़बड़ी नजर आएगी वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी। जांच अभी चल रही है। रुद्राक्ष अस्पताल को समय दिया गया है और पत्र मेडिकल कालेज भेजा गया है। जिन अस्पतालों में सरकारी डाक्टरों के द्वारा सेवा देने का पता चला है उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा।

डा. मनीष शर्मा, सीएमएचओ