पूरी दुनिया में एक स्त्री मां के रूप में जिस जीवन को जीती है, शायद ही कोई और जी सके

सारे हमसफर चाहे साथ छोड़ दें, तकदीर सदा साथ ही रहती है। भारत के घरों में महिलाओं के साथ कई ऐसी घटनाएं घटती हैं जिसमें वे दक्ष हो जाती हैं दुख झेलने के लिए। आज भी यहां कई गृहिणियों के लिए सुख सपने जैसा है, लेकिन फिर भी वे दुख में भी सुख ढूंढने की कला जानती हैं।

पिछले दिनों एक दुर्घटना मामले में न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि किसी गृहिणी को भी मुआवजा वैसा ही दिया जाए जैसे किसी कामकाजी महिला को दिया जाता है। अदालत का यह निर्णय गृहिणियों का बहुत बड़ा सम्मान है। जीवन जीने के लिए होता है। कोई इसे कर्तव्य बना लेता है, कोई सेवा और कोई बोझ मानकर ढोता रहता है, लेकिन भारत की महिलाएं सही अर्थ में जीवन जीती हैं।

पूरी दुनिया में एक स्त्री मां के रूप में जिस जीवन को जीती है, शायद ही कोई और जी सके। गृहिणी और रसोईघर एक-दूसरे का पर्याय लगते हैं। रसोईघर का मान ही मां है। ओरछा में रामराजा सरकार का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां वे रसोईघर में विराजे हैं। शायद इसीलिए कि एक गृहिणी को उचित सम्मान मिल सके।

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