श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह का 1005 साल पुराना विवाद…. ?
मथुरा
पहली बार महमूद गजनवी ने तोड़ा, 1982 में भव्य मंदिर बना; 10 ग्राफिक्स में पढ़िए कहानी……
पौरणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म 5000 साल पहले यानी द्वापर युग में मथुरा के कारागार में हुआ था। वैसे, कोर्ट-कचहरी से उनका पीछा आज तक नहीं छूटा है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद फिर सुर्खियों में है। अदालत ने जन्मभूमि के पास बनी शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की याचिका को स्वीकार कर ली है।
ये विवाद 1005 साल पहले से चल रहा है, जब पहली बार महमूद गजनवी ने केशवदेव मंदिर को तोड़ा था। तब से लेकर अब तक आक्रांताओं ने 3 बार मंदिर को तोड़ा। मंदिर को 6 बार बनवाया भी गया।
तो आइए ग्राफिक्स के जरिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह के इतिहास और उससे जुड़े विवादों की तह तक चलते हैं…
साल 1968 के समझौते के 52 साल बाद यानी 25 सितंबर, 2020 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया गया। इसी जगह में शाही ईदगाह मस्जिद भी बनी है। अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने श्री कृष्ण की सखी के रूप में याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को गलत बताकर इसे रद्द करने की मांग की।
20 महीनों में 36 तारीखों की लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है। अब मामला जिला अदालत में है। प्रतिवादी पक्ष के वकील तनवीर अहमद ने बताया, “रंजना की याचिका स्वीकार होने के बाद अदालत में 20 से ज्यादा याचिकाएं आ चुकी हैं।”
सोर्स:
- अरुणा शर्मा की किताब History Of Mathura
- जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव कपिल शर्मा द्वारा दिखाए गए दस्तावेज
- शाही मस्जिद के सचिव तनवीर अहमद से बातचीत
- इटैलियन यात्री मचूनी का लेख
- मुंशी अल उत्वी की किताब ‘तारीख – ए – यामिनी’
- ग्राफिक्स : राजकुमार गुप्ता