ग्वालियर । ग्वालियर-अंचल में भाजपा का चेहरा कौन होगा? इस सवाल पर भाजपा में रस्साकसी चल रही है। प्रदेश नेतृत्व अंचल के चारों छत्रप केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर व पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के मध्य समन्वय स्थापित करने का निरंतर प्रयास कर रहा है, ताकि नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव के साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक इन नेताओं के बीच अहम का टकराव बाहर न आए। इसके लिए भाजपा चारों को साधकर चलने की कोशिश कर रही है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को पहले महाराष्ट्र का सह प्रभारी बनाया गया। अब राज्यसभा में भेजने के लिए पार्टी में मंथन चल रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी पहले ही राज्यसभा में भेजने के बाद केंद्र सरकार में शामिल कर उन्हें उचित सम्मान दे चुकी है। नरेंद्र सिंह तोमर पहले से सरकार व संगठन की धुरी बने हुए हैं। सांसद विवेक नारायण शेजवलकर समय-समय पर अपने गुस्से का इजहार कर पार्टी को अपनी याद दिलाते रहते हैं। उन्हें संगठन में पूरा सम्मान दिया जा रहा है।

तोमर: संगठन व सत्ता की धुरी संगठन की रीति नीति में हैं घुलेः प्रदेश में दो बार सरकार बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सत्ता व संगठन के बीच धुरी हैं। संगठन की रीति-नीति में घुले- मिले हैं और अंचल के क्षत्रिय समाज के सर्वमान्य नेता हैं। इसके अलावा प्रदेश के साथ दिल्ली में भी उनकी मजबूत पकड़ हैं। नरेंद्र सिंह का संगठन में समन्वय स्थापित करने के लिए पार्टी उपयोग करेगी।

पवैया: हिंदुत्व छवि के अंग्रिम पंक्ति के नेताः बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया को कट्टर हिंदुत्व छवि के अग्रिम पंक्ति के नेता संगठन में माने जाते हैं। पवैया अपने शब्दों से कार्यकर्ताओं में नया जोश व उत्साह भरने का माद्दा रखते हैं। पवैया के अंचल के अलावा दिल्ली व संघ में मजबूत पकड़ हैं। इसलिए पवैया का संगठन में पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

शेजवलकर: संघ से जुड़ाव और संगठन पर मजबूत पकड़ः सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का परिवार भाजपा के आधार स्तंभों में से है। आरएसएस में उनका दखल बचपन से ही है। इसके अलावा संगठन में उनका सम्मान हैं। इसलिए संगठन उन्हें किसी भी सूरत में नाराज करना नहीं चाहता है। इसलिए उन्हें संगठन के नीति निर्धारक साधकर चल रहे हेैं।

ऐसे समझें समन्वय की कवायदः एक निजी मेडिकल कालेज के भूमिपूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और साधना सिंह भी मंच पर थीं। शिवराज की नजर जब नरेंद्र सिंह तोमर पर पड़ी, वे उनसे एक कुर्सी छोड़कर बैठे थे। शिवराज के पास पत्नी साधना सिंह बैठी थीं। मुख्यमंत्री ने पत्नी से चर्चा कर अपनी बगल वाली सीट नरेंद्र सिंह तोमर के लिए खाली कर आग्रहपूर्वक बैठाया, क्योंकि दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया बैठ सकें। मुख्यमंत्री ने साफ संकेत दिया कि प्रदेश सरकार की नजर में दोनों का सम्मान बराबर है।