मोबाइल पर सेक्स गेम के जाल में फंस रहे बच्चे … नादान उम्र में ऐसी हरकतें क्यों, कौन उकसा रहा मासूमों को

  • साल 2021 तक भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के करीब 7800 करोड़ रुपए के होने की संभावना जताई गई।

एक कपल खुले में सेक्स कर रहा है और उसके आसपास खड़े लेाग यह देख रहे हैं। साथ ही साथ अश्लील कमेंट्स भी कर रहे हैं। घबराएं नहीं, यह हकीकत की नहीं गेमिंग की दुनिया है। रोबोलोक्स का यह गेम पिछले दिनों मीडिया में चर्चा में था। गंदे शब्दों के इस्तेमाल की वजह से जॉर्डन में यह बैन कर दिया गया है।

आखिर इस गेम की बात क्यों की जा रही है? क्या वाकई वीडियो या ऑनलाइन गेम बच्चों को कंट्रोल कर रहे हैं ?

सोर्स : नेशनल रिसर्च काउंसिल कनाडा

दादी को मारा, फिर छोटे-छोटे 19 बच्चों को, हत्यारा महज 18 साल का
आज यूएस में राष्ट्रीय शोक चाैथा दिन है। दरअसल, 26 मई को वहां के रॉब एलीमेंट्री स्कूल में 19 बच्चे और 2 शिक्षकों की हत्या कर दी गई। इस वजह से यह शोक मनाया जा रहा है। महज 18 साल के लड़के ने बंदूक से इस दर्दनाक वाकये को अंजाम दिया। इस घटना के पहले इस हत्यारे ने अपनी दादी को भी मारा। कहा जा रहा है कि जिन बच्चों ने गन वायलेंस संबंधी वीडियो गेम देखे हैं उनमें इनकी आशंका अधिक है।
ऐसे में यह सवाल उठता है कि बच्चे किस तरह के गेम देख रहे हैं और इससे उनके दिलोदिमाग पर कैसा असर पड़ेगा?जुलाई 2021 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन की एक स्टडी में पाया गया कि कम उम्र में हिंसक वीडियो गेम खेलने से बंदूक के इस्तेमाल की आशंका अधिक हो जाती है।

ताइवान में हुए एक अध्ययन के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग की वजह से साल 2001 के बाद असामाजिक अपराधों की बाढ़ आ गई। कुल साइबर केसेज के करीब 37% में ऑनलाइन गेमिंग का हाथ था।

सचमुच की दुनिया को भी गेमिंग की दुनिया मानने लग जाते हैं
वीडियो गेम में चीजों को या कैरेक्टर को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है। इस तरह की चीजें लोगों को आसानी से अपनी ओर खींच लेती है। सोशल मीडिया एक्सपर्ट और आईआईटी बंगलुरू की पूर्व प्रोफेसर डॉ. सीमा गुप्ता के अनुसार, वीडियो गेम की लत बहुत ही आसानी से लग जाती है। बच्चे ही नहीं बड़े भी बड़ी आसानी से इसके चंगुल में फंस जाते हैं। इसे खेलने के दौरान खुद को कंट्रोल कर पाना आसान नहीं होता।
आजकल 3 से 4 घंटे वीडियो गेम खेलने में बिताना कॉमन ट्रेंड बन गया है। कई बार बच्चे इन गेम्स में इतने मग्न हो जाते हैं कि वे गेमिंग और रियल वर्ल्ड में अंतर नहीं कर पाते। गेमिंग वर्ल्ड में बंदूक चलाना, लोगों को मारना उस खेल का हिस्सा होता है लेकिन कई बार वास्तिव दुनिया उसी गेम का विस्तार लगने लग जाती है, जिस वजह से बच्चे गलत कदम उठा लेते हैं। आने वाले समय में गेमिंग की लत और भी बढ़ने की आशंका है।

गेम जो बैन कर दिए गए
रॉबलॉक्स एक ऑनलाइन गेम प्लेटफॉर्म है। यह यूजर्स को गेम्स प्रोग्राम करने और दूसरे के बनाए गेम्स को खेलने का मौका देता है।कोविड पैनडेमिक के बाद इसमें तेजी से बढ़त देखी गई। इसके कुछ गेम्स एजुकेशन से जुड़े हैं, तो कुछ गेम्स बेहद आपत्तिजनक है। पिछले दिन इसके कुछ गेम्स को लेकर बेहद आपत्ति जताई गई थे।
एक अनुमान के अनुसार साल 2020 तक हर महीने इस गेम के करीब 1640 लाख यूजर्स थे। यह पाया कि यूएस के 16 साल तक के बच्चों का 50% से अधिक इससे जुड़ा हुआ है। गेम्स अड्‌डा के अनुसार रोब्लॉक्स पर कई देशों जैसे जॉर्डन, यूएई और उत्तर कोरिया में प्रतिबंध लगा दिया है। यूएई के अनुसार यह बच्चों के हेल्थ पर बुरा असर डाल रहा है, वहीं जॉर्डन का मानना था कि इसमें भद्दे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि अभी तक भारत में इसे बैन नहीं किया गया है। भारत में पहले कुछ गेम जैसे पब्जी समेत कुछ ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

ऑनलाइन गेम और वीडियो गेम में क्या अंतर होता है? आपके घरों में किस तरह का गेम खेला जा रहा है क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है?

मद्रास हाईकोर्ट ने माना कि जहां तक वीडियो गेम पर बैन की बात है, तो सरकार को इस ओर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। इस मामले में याचिका दायर करने वाले ई मार्टिन जयकुमार को कहा कि वे महीने भर के अंदर केंद्र-राज्य सरकार से संपर्क करें।

वीडियो गेम एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक गेम है। इसमें आमतौर पर प्लेयर को खुद के या दूसरे प्लेयर्स के खिलाफ चुनौतियों को पार करना होता है। इंटरनेट के माध्यम से खेले जाने वाले वीडियो गेम को ऑनलाइन गेम्स कहते हैं। इसमें कई बार अलग-अलग प्लेयर्स रियल टाइम में कनेक्ट होते हैं। अब ज्यादातर वीडियो गेम ऑनलाइन मोड में भी उपलब्ध हैं इसलिए अब इन दोनों के बीच अधिक अंतर नहीं रह गया है।
ऑनलाइन गेमिंग का बच्चों के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करते समय बंगलुरू निम्हांस ने पाया कि 14 साल से लेकर 35 साल तक के बच्चों में इंटरनेट एडीक्शन है। क्लिनिकल साइकोलॉजी के प्रो. मनोज कुमार शर्मा के अनुसार बहुत ज्यादा इंटरनेट एक्सपोजर का प्रभाव किशोरों के एकेडमिक ग्रेड्स के ऊपर पड़ रहा है।
एक अनुमान के अनुसार साल 2021 तक भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री 100 करोड़ डॉलर यानी 7800 करोड़ रुपए के होने की संभावना जताई गई थी। प्रो. सीमा गुप्ता के अनुसार, पेरेंट्स को बच्चों के मोबाइल एडीक्शन को काबू में रखने की जरूरत है। पेरेंट्स बच्चों के गेमिंग हैबिट को अपने कंट्रोल में करें।

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