राजस्थान में 11 हजार से ज्यादा नाबालिगों से दुष्कर्म … 176 की उम्र 12 से कम; दो साल में 13 हजार से ज्यादा केस
करौली में शनिवार को 4 साल की मासूम से दरिंदगी और बर्बरता के बाद कानून व्यवस्था पर ताे सवाल खड़े किए ही हैं, धीमी न्याय व्यवस्था भी कठघरे में है। प्रदेश में पिछले 28 महीनों (2020 से अप्रैल 2022) तक दुष्कर्म के 13,890 केस दर्ज हुए हैं। इनमें से 11,307 दुष्कर्म नाबालिगों से हुए। वहीं दो साल में 12 साल से छोटी उम्र की 170 बच्चियों से दरिंदगी के मामले सामने आए हैं।
सरकार ने ऐसे मामलों में 2013 में फांसी की सजा का प्रावधान किया। इसके बावजूद इन अतिसंवेदनशील मामलों में पॉक्सो कोर्ट का दबाव बढ़ाया जा रहा है। जयपुर की 7 पॉक्सो कोर्ट में ही 700 से अधिक केस पेंडिंग होने के बावजूद यहां बालिगों के केस ट्रांसफर किए जा रहे हैं। जयपुर मैट्रो की 2 कोर्ट में ऐसे 62 केस हैं। प्रदेश में इसकी संख्या 100 से ज्यादा है।
वह भी तब जबकि 28 महीने में दर्ज कुल 45% मामले, यानी 6,191 ही कोर्ट तक पहुंचे। इनमें भी सजा सिर्फ 4.46% मामलों में मिली। 3 साल में दरिंदगी करने वाले 8 अभियुक्तों को पॉक्सो कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई, लेकिन एक में भी अमल नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने 2018 में आदेश दिया था कि 50 दुष्कर्म के मुकदमों पर एक पॉक्सो कोर्ट खोली जाए।
इस लिहाज से 153 कोर्ट खोली जानी थी, पर नई कोर्ट खोलना दूर, मौजूदा 57 पॉक्सो कोर्ट का ही भार बढ़ा दिया गया। हाईकोर्ट के 2018 में तत्काल फैसलों को लेकर यह आदेश दिया था। मौजूदा कई पॉक्सो कोर्ट में भी महिला उत्पीडन के मामले ट्रांसफर कर दिए हैं, जिससे रेप जैसे गंभीर मामले हाशिए पर जा रहे हैं।
CM का दावा 8 को फांसी की सजा, हकीकत अलग
CM गहलोत ने कहा था- ‘पिछले 3 साल में पॉक्सो एक्ट में 8 दोषियों को फांसी, 137 से अधिक उम्रकैद सहित 620 से अधिक दोषियों को सजा सुनाई जा चुकी है।’ हकीकत में फांसी की किसी भी सजा पर अमल नहीं हुआ। कई मामलों में अभियुक्तों की अपीलें व राज्य सरकार की डेथ रेफरेंस की अपील हाईकोर्ट में लंबित हैं, तो कई में हाईकोर्ट ने आदेश रोक दिया।

फांसी के 8 मामलों की मौजूदा स्थिति
- बूंदी की पॉक्सो मामलों की कोर्ट ने 29 अप्रैल 2022 को नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त सुल्तान और छोटू लाल को फांसी की सजा सुनाई। सजा की पुष्टि के लिए मामला हाईकोर्ट के पास है।
- जयपुर जिले की पॉक्सो कोर्ट ने साढ़े 4 साल की मासूम से रेप और मर्डर के मामले में सुरेश कुमार बलाई को 10 फरवरी 2022 को फांसी की सजा सुनाई। अभियुक्त की अपील हाईकोर्ट में लंबित है।
- झालावाड़ की पॉक्सो मामले की कोर्ट ने 7 साल की मासूम के अपहरण, दुष्कर्म और रेप मामले में अभियुक्त कोमल लोढ़ा को सितंबर 2018 में फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने 2019 में इस फांसी को उम्रकैद में बदल दिया। यह भी कहा कि कोमल के खिलाफ गलत जांच की गई।
- अलवर की पॉक्सो कोर्ट ने मासूम से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में आरोपी राजकुमार को फांसी की सजा दी थी, हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया।
- झूंझुनूं की पॉक्सो कोर्ट ने 17 मार्च 2021 को 5 साल की मासूम से अपहरण और दुष्कर्म केस में अभियुक्त सुनील कुमार को फांसी की सजाई सुनाई। मामला हाईकोर्ट में लंबित।
- जोधपुर की पॉक्सो कोर्ट ने 8 साल की मासूम से दुष्कर्म और हत्या के मामले में अभियुक्त निकाराम को 27 सितंबर 2021 को फांसी की सजा सुनाई थी। इसी तरह नागौर की पॉक्सो कोर्ट में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के केस मामले में हुई फांसी की सजा सुनाई। अन्य की तरह ये मामले भी पैंडिंग।
भास्कर एक्सपर्ट, 12 साल से कम उम्र पर अलग कोर्ट हो… फांसी की सजा को चुनौती वाली अपीलें जल्द सुनें
- हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस पानाचंद जैन बोले- पॉक्सो कोर्ट की फांसी की सजा को चुनौती देने वाली अपीलों में सरकार को जल्द सुनवाई के लिए अर्जी लगानी चाहिए। जल्द फैसला करने की गुहार लगाएं।
- आपराधिक मामलों के अधिवक्ता दीपक चौहान बोले- फांसी की सजा को चुनौती देने वाली अपील हो या मर्सी पिटिशन, तय करवाने के लिए समय सीमा बने।
- हाईकोर्ट की अधिवक्ता मनस्वी महर्षि व अलमास खानम बोलीं- 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के दुष्कर्म केस अलग से पॉक्सो कोर्ट सुने। आमतौर पर पॉक्सो कोर्ट में दुष्कर्म के सभी केसों की सुनवाई होती है।