क्या है वो कानून है, जिसके बूते केंद्र सरकार ने केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन को भेजा जेल

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय, यानी ED ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया। मंगलवार को CBI कोर्ट ने जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए 9 जून तक ED की हिरासत में भेज दिया।

सत्येंद्र जैन के खिलाफ ED ने ये कार्रवाई अगस्त 2017 में उनके खिलाफ सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI), द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के केस के तहत की है। पिछले महीने ED ने जैन परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की थी। 2018 में भी इस मामले में ED ने सत्येंद्र जैन से पूछताछ की थी। आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल का करीबी माना जाता है।

ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग, जिसके आरोपों में अरेस्ट हुए सत्येंद्र जैन? सत्येंद्र जैन पर हैं कौन से आरोप? विजय माल्या से लेकर नीरव मोदी तक मनी लॉन्ड्रिंग के चर्चित केस?

क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग?

मनी लॉन्ड्रिंग बड़ी मात्रा में अवैध पैसे को वैध पैसा बनाने की प्रक्रिया है। सीधे शब्दों में कहें तो ब्लैक मनी को वाइट करने को मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं। ब्लैक मनी वो पैसा है, जिसकी कमाई का कोई स्रोत नहीं होता, यानी उस पर कोई टैक्स नहीं दिया गया है।

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ऐसा लगता है कि पैसा किसी लीगल सोर्स से आया है, लेकिन वास्तव में पैसे का मूल सोर्स कोई आपराधिक या अवैध गतिविधि होती है। धोखेबाज इस प्रोसेस का इस्तेमाल अवैध रूप से इकट्ठा पैसे को छिपाने के लिए करते हैं।

सीधे शब्दों में कहें तो मनी लॉन्ड्रिंग पैसे के सोर्स को छुपाने की प्रोसेस है, जो अक्सर अवैध गतिविधियों जैसे ड्रग्स की तस्करी, भ्रष्टाचार, गबन या जुए से मिलता है। यानी अवैध तरीके से मिले पैसे को एक वैध स्रोत में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को ही मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए ड्रग डीलर से लेकर बिजनेसमैन, भष्ट अधिकारी, माफिया, नेता तक करोड़ों से लेकर अरबों रुपए तक के फ्रॉड करते हैं।

अगस्त 2017 में सत्येंद्र जैन के खिलाफ CBI द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई करते हुए ED ने 30 मई 2022 को उन्हें गिरफ्तार किया।
अगस्त 2017 में सत्येंद्र जैन के खिलाफ CBI द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई करते हुए ED ने 30 मई 2022 को उन्हें गिरफ्तार किया।

क्या है हवाला ट्रांजैक्शन?

सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के मामले में ED ने कहा है कि जैन की कंपनियों को कोलकाता की शेल कंपनी से हवाला के जरिए पैसा मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि हवाला ट्रांजैक्शन क्या होता है?

हवाला ट्रांजैक्शन भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आता है। माना जाता है कि हवाला की शुरुआत साउथ एशिया में 8वीं शताब्दी के दौरान हुई थी। 1990 के दशक में भारत में हवाला ट्रांजैक्शन खूब चर्चा में रहा था। हवाला सिस्टम में दो पक्षों के बीच पैसों का लेनदेन उनकी ओर से स्थानीय एजेंट बिना बैकिंग सिस्टम को शामिल किए ही करते हैं।

यानी रुपये को दुनिया में एक जगह से दूसरी जगह अवैध रूप से ट्रांसफर करने को ही हवाला कहते हैं। इसमें एक रुपये भेजने वाला और दूसरा रुपये पाने वाला होता है और उनके बीच में कम से कम दो बिचौलिए होते हैं। इसके लिए न तो बैंकों की जरूरत है और न ही करेंसी एक्सचेंज की।

हवाला में सबसे अहम भूमिका एजेंट या बिचौलिए की होती है, क्योंकि ये बिचौलिए किसी लेनदेन का रिकॉर्ड नहीं छोड़ते हैं। यही वजह है कि हवाला के जरिए ट्रांसफर होने वाला रुपया कहां से निकल कर कहां पहुंचा, इसका पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए हवाला का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर भ्रष्टाचार और टेरर फंडिंग तक में होता है।

अमेरिका का मानना है कि 9/11 हमले के लिए फंड जुटाने के लिए अलकायदा ने हवाला नेटवर्क का ही इस्तेमाल किया था। 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुबई में हवाला जैसे साधनों का इस्तेमाल कर अब भी विदेशी कामगार भारत, फिलीपिंस जैसे देशों में अपने परिवारों को पैसे भेजते हैं। उस साल इस तरह से दुबई से 240 करोड़ रुपए भेजे गए थे। इसकी वजह ये है कि हवाला से पैसे भेजने में लगने वाली फीस बैंकों द्वारा ली जाने वाली फीस से कम होती है।

 

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के हाल के वर्षों में कुछ सबसे चर्चित केस

ABG शिपयार्ड का 22 हजार करोड़ का स्कैम: इस साल की शुरुआत में देश के बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ। इसमें CBI ने शिपिंग कंपनी ABG शिपयार्ड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित 8 लोगों के खिलाफ 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में FIR दर्ज की। बाद में ED ने इसी मामले में ABG शिपयार्ड और उसके प्रमोटर्स के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया।

ED ने इस साल फरवरी में 28 बैंकों से 22 हजार करोड़ रुपए के फ्रॉड के मामले में ABG शिपयार्ड पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।
ED ने इस साल फरवरी में 28 बैंकों से 22 हजार करोड़ रुपए के फ्रॉड के मामले में ABG शिपयार्ड पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।

विजय माल्या का 9 हजार करोड़ का फ्रॉड: किंगफिशर एयरलाइंस समेत कई कंपनियों के मालिक रहे भारतीय बिजनेसमैन विजय माल्या पर देश के 17 बैंको से करीब 9 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं। माल्या पर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के केस चल रहे हैं। विजय माल्या 2016 में देश छोड़कर ब्रिटेन भाग गया था, जहां से भारत सरकार उसे देश लाने का प्रयास कर रही है। माल्या को हाल ही में भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है।

2007 में विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस ने घाटे में चल रही एयर डेक्कन को खरीदने का फैसला किया, जिसने आखिर में किंगफिशर को भी डुबो दिया।
2007 में विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस ने घाटे में चल रही एयर डेक्कन को खरीदने का फैसला किया, जिसने आखिर में किंगफिशर को भी डुबो दिया।

नीरव मोदी का 11 हजार करोड़ का फ्रॉड: हीरा कोराबारी नीरव मोदी के खिलाफ पंजाब नेशनल बैंक के साथ 11,365 हजार करोड़ रुपए फ्रॉड के मामले में जांच जारी है। नीरव मोदी 2018 में देश छोड़कर ब्रिटेन भाग गया था। नीरव मोदी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, फ्रॉड और आपराधिक साजिश के केस चल रहे हैं और उसे ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित कराए जाने की कोशिशें जारी हैं।

नीरव मोदी पर PNB से 11 हजार करोड़ रुपए के फ्रॉड के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश के केस चल रहे हैं।
नीरव मोदी पर PNB से 11 हजार करोड़ रुपए के फ्रॉड के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश के केस चल रहे हैं।

शारदा ग्रुप का 2500 करोड़ का फ्रॉड: ये फ्रॉड शारदा ग्रुप द्वारा चलाई गई एक पोंजी स्कीम के जरिए किया गया। शारदा ग्रुप 200 कंपनियों का समूह था। महज कुछ सालों में शारदा ग्रुप ने 2500 करोड़ रुपए कमा लिए। 2012 में SEBI के इस पर शिकंजा कसने से ये पोंजी स्कीम ढह गई। 2014 में इसके मालिक सुदीप्तो सेन समेत अन्य लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग और फ्रॉड समेत अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया गया था।

शारदा ग्रुप ने पोंजी स्कीम चलाते हुए 2500 करोड़ का फ्रॉड किया था। इस ग्रुप के अंडर में 200 कंपनियां काम कर रही थीं।
शारदा ग्रुप ने पोंजी स्कीम चलाते हुए 2500 करोड़ का फ्रॉड किया था। इस ग्रुप के अंडर में 200 कंपनियां काम कर रही थीं।

सत्येंद्र जैन पर हैं मनी लॉन्ड्रिंग के कौन से आरोप

CBI ने 2017 में जैन और उनके परिवार पर 1.62 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था। CBI ने आरोप लगाया था कि सत्येंद्र जैन और उनके परिवार ने चार छोटी शेल फर्म बनाते हुए 2011-12 में 11.78 करोड़ रुपए और 2015-16 में 4.63 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की थी।

CBI के इसी FIR के आधार पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की थी। शेल फर्म ऐसी कंपनियां होती हैं, जिनका हकीकत में कोई बिजनेस नहीं होता है, इसलिए इन्हें कागजी कंपनी भी कहा जाता है। CBI ने अपनी शिकायत में कहा था कि जैन इन चार कंपनियों को मिले धन के सोर्स के बारे में नहीं बता सके, जिनमें वह शेयरधारक थे।

पिछले महीने ED ने सत्येंद्र जैन और उनके परिवार से जुड़ी चार कंपनियों के अलावा एक और कंपनी से जुड़ी 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कुर्क किया था। इन कंपनियों में अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफोसॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

ED का कहना है कि 2015-16 में सत्‍येंद्र जैन के स्‍वामित्‍व वाली इन कंपनियों को कुछ शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये मिले थे। ये पैसा हवाला रूट के जरिये कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को ट्रांसफर किए गए कैश के बदले इन शेल कंपनियों से मिला था। इस पैसे का इस्‍तेमाल जमीन की सीधी खरीद या दिल्ली और उसके आसपास खेती भूमि की खरीद को लेकर लिए गए लोन को चुकाने के लिए किया गया था।

CBI ने अपनी जांच में कहा था कि सत्येंद्र जैन ने 2010-2016 के दौरान उनके स्वामित्व वाली कंपनियों के नाम पर दिल्ली में 200 बीघा जमीन खरीदी थी और कई करोड़ रुपए काले धन की लॉन्ड्रिंग की थी।

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